गीली चूत : परीक्षा से पहले चुदी
आईये दोस्तों आपको अपनी पड़ोसन रंगीली की गीली चूत मारने की कहानी सुनाते हैं। रंगीली मेरे कक्षा में ही पढती है और मेरे पड़ोस में रहती है। हम दोनों इंटरमीडियेट फाइनल इयर में थे और दोनों का साइंस ग्रुप था। दोनों ही पढने में होशियार माने जाते थे, पर रंगीली होशियार होने के साथ साथ खूबसूरत भी थी। वो जब जीन्स टाप पहन के निकलती थी तो मुहल्ले के लड़कों की फट जाती थी चढ्डी उसे देख कर। कसम से कटीली जवानी की धनी रंगीली का हुस्न उसके नाम के अनुरुप ही था। उसका मरमरी बदन, मासूम चेहरा, भरी हुई लेकिन सपाट गांड जिसको देख कर देखते ही गांड मारने का मन करे। लाल लाल होट गोरी गोरी बाहें, काली काली जुल्फें और चूंचियां ऐसी कि बस देखो और दाब दो। सामने से देखने पर उसको आप पलकें झपकाए बगैर देख सकते हैं। लोग अपना अस्तित्व भूल जाते हैं उसकी रंगीन जवानी को देख कर। कपड़े भी वो ऐसे पहनती थी कि उसके रंग को निखार देता था। जबरदस्त और बेह्तरीन गांड, चूंच और कमर के साथ रंगीली की अदाएं जोरों पर थीं और जब कि लोग अपने अपने बाथरुम में मूठ मार रहे होते उसके नाम पर, मैं इस मामले में लकी था कि हम दोनों साथ साथ कालेज जाते और फिर साथ साथ आते। इस दौरान हम दोनों कभी बैठ कर काफी या चाय भी पीते।
दिक्कत ये थि कि रंगीली मुझे अपने भाई की तरह मानती थी और इसलिए वो मेरे करीब ही रहती थी पर कभी सेक्स की फीलिंग नहीं आई उसके मन मे मुझे लेकर। जब कि उसे देखते ही मेरे दिमाग में फंतासियों का मेला चलने लगता था। खैर हम साथ साथ थे तो कभी ना कभी तो ये साथ रंग लाने ही वाली थी। फाइनल इयर के इक्जाम्स आ रहे थे और हम दोनों ही प्रेसर में थे। मैथ्स का पेपर सबसे ज्यादा टफ था और रंगीली मैथ्स में फिसड्डी थी। इसलिए रंगीली ने उस रात मुझे अपने घर बुला लिया। अंकल ने कहा कि दोनों स्टडी रुम में बैठ कर सवाल लगाओ। ठंडियों के दिन थे, दोनों ही स्वेटर शाल पहने हुए सोफे पर बैठ कर पढ रहे थे। मैने देखा, कि रंगीली परेशान लग रही थी, मैने पूछा कि क्या बात है तो बोलने लगी कि बहुत टेंशन हो रही है और मैं परेशान हूं कि कल क्या होगा।
पढाई के दौरान पढते पढते हुई गीली चूत
मैं उसके पास खिसक के बैठ गया और उसके हाथ पकड़ कर बोला कि डरो मत तुम्हे सब आता है, तुम अच्छे मार्क्स लाओगी, पर वो निराश थी। उसने मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला कि पता नहीं मुझे क्यूं डर लग रहा है, प्लीज मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करुं और वो मेरे और करीब आ गयी। लड़कियां हताशा में होती हैं तो आसानी से चुद जाती हैं। मैं समझ गया था कि अब ये सही मौका है और लोहा गरम है। उसके कंधे पर सर रख देने से उसकी बड़ी बड़ी चूंचियां मेरे सीनें में चुभ रहीं थीं। मैने अपना एक हाथ अनायास ही उसके दायें चून्चे पर रख दिया। वो कुछ ना बोली। रात के ग्यारह बज चुके थे और अंकल आंटी सो चुके थे। उनकी एकलौती बेटी मेरे साथ स्टडी कर रही थी। मैंने हल्के से अपने हाथ से उसकी चूंचियां सहलानी शुरु कर दीं। वो मुझसे और चिपकने लगी थी, इसका मतलब था कि उसे यह अच्छा लग रहा था। सच में सेक्स से अच्छा टेंशन रिलीज करने का कोई बेहतर उपाय नहीं है। इस लिए मैने अब दोनों हाथ उसके दोनों चूंचियों पर रख दिये और हल्के हल्के दबाने लगा। वो आंखें बंद करके मेरे गोद में सर रख दी। अब उसने अपना मुह मेरे पैंट के उपर किया हुआ था। लोवर में लंड तड़पने लगा उसके मुह को पास पाकर। मैने तपाक से उसकी दोनों चूंचियों को छोड़कर उसे उठाया और सोफे पर लिटा दिया। वो सब जानकर भी आराम से लेटी थी। शायद उसे ये सब अच्छा लग रहा था और इसलिए उसने मुझे ये सब करने दिया था। मैने उसकी टाप खोली। गोरी गोरी अक्षत चूंचियां, और काले काले निप्पल उसके दोनों ट्यूबलाईट जैसे स्तन की शोभा बढा रहे थे।
मैने उसको किस करते हुए दोनों चूंचियों को सहलाना शुरु किया। वो मस्ताने लगी थी और अपनी दोनों पैर आगे पीछे करके गीली चूत में होती खलबली का संकेत दे रही थी। मैने उसके स्कर्ट को भी खोल दिया और पैंटी भी तत्काल निकाल दी। अब उसकी बिना बाल वाली चूत जिसपर हल्के हल्के मखमली भूरे रोयें खिल रहे थे, और गुलाबी पंखुड़ियों वाली फुद्दी मेरा दिमाग खराब कर रही थी। मैने एक गहरा चुम्बन लिया उसके गीली चूत का और फिर अपना लंड उसके मुह में दे दिया। वो उसे चूसने लगी। आह मुखमैथुन का देसी अंदाज हमेशा बेहतर होता है। उसने चूस कर मेरे लंड को फौलाद कर दिया था। इसलिए मैने उसको चोदने के लिए अपना लन्ड पोजिशन किया। उसके टांगों के बीच में जाकर उन्हें फैलाया और गीली चूत में दो उंगली डालकर थोड़ी देर अंदर बाहर करने के बाद मैने अपना सुपाडा उसके छेद पर रखा। मैने उसके होटों को अपने होटों में लेकर फ्रेंच किस करते हुए पूरा जाम कर लिया और फिर लंड को अंदर की तरफ धकेला। वो चिचियाने और मुझसे छूटने का प्रयास करने लगी। पर मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों हाथ दबोच रखे थे और पैरों के उपर पैरों से दबाव बनाया हुआ था। ऐसे में उसका निकल पाना नामुमकिन था और इसलिए उसने अपना शरीर ढीला कर दिया। मैने लंड को झटका दिया। और तीन इंच धंसने के बाद वो रुका। मैने एक जोरदार धक्का दिया और फचाक की आवाज करता मेरा लौड़ा उसके गीली गीली चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया। वो कसमसाई, चिल्लाई पर कुछ नहीं। बढती हुई स्पीड के साथ उसने अपनी बाहें मेरी कमर में डाल दीं और दस मिनट बाद खुद ही नीचे से धक्के लगाने लगी। पेलते हुए मैने उसे कुतिया भी बनाया और उसका सर तकिये पर रख कर मैने उसकी गीली चूत में पीछे से अपना लंड प्रवेश कराया। गांड को थपथपाते हुए मैने धक्के लगाने जारी रखे और मेरी रन्गीली महबूबा ने अपने गांड को पेंडुलम की तरह आगे पीछे करते हुए लंड लेना जारी रखा। थोड़ी देर बाद उसकी गीली चूत से वीर्य की धारा बह रही थी। टेस्टी और गीली चूत को मैने फिर चाट कर साफ किया और दो राउंड और चुदाई की। गीली चूत की आमद के बाद इक्जाम्स बेह्तरीन गये।