चूत मालिश की एक और ग्राहक
Choot Malish Ki Ek Aur Grahak
अपने सभी आदरणीय पाठकों का सादर आभारी हूँ और उनको सादर नमन करता हूँ।
आप सबको मेरी कहानी उमा की चूत मालिश पसंद आई.. उससे प्रेरित होकर आपको उसी श्रृंखला मैं अपनी दूसरी कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ.. जिनको मैंने ज्यादा तवज्जो नहीं दिया था.. लेकिन आप सबके प्यार के कारण उसको मैं क्रम में लेते हुए कहानी के रूप में लिख रहा हूँ।
यह हमारे काम में मुख्य हिस्सा होता है।
मुझे एक महिला ने नॉएडा मालिश के लिए बुलाया था। उन्होंने मुझे बताया था कि वो केवल मालिश करवायेंगी.. जिसमें कि मुझे हर प्रकार से उनको संतुष्ट तो करना ही होगा लेकिन सम्भोग नहीं होगा.. मतलब चाहे जो करो पर चुदाई नहीं करना है।
उन्होंने मुझसे पैसे के बारे में भी पूछा.. जिनके द्वारा उनको मेरा पता मिला था.. जबकि मेरे विषय में जानकारी देने वाले उन्हें पैसे के बारे में बता दिया था, तब भी वह हमसे पूछ रही थीं।
मैंने बताया कि आने-जाने का एसी थ्री का टिकट.. अगर अगर रात में रोकना चाहो तो.. रहना आपके साथ.. और खाना साथ में.. इसके अतिरिक्त मेरी फीस 8000/-.. और उनको 3000 अग्रिम भेजना होगा.. जिससे मैं अपने आने का पक्का कार्यक्रम बना सकूँ।
इस पर वह तैयार हो गईं। मैं उनका नाम यहाँ पर अर्चना लिख रहा हूँ।
मेरी तारीख तय हो गई.. मैं समय पर दिल्ली आ गया और वहाँ से मैं अर्चना के साथ ग्रेटर नॉएडा अल्फा पहुँच गया।
मैं सुबह ही पहुँचा था इसलिए हमारे पास समय की कोई दिक्कत नहीं थी।
मेरी ट्रेन शाम को थी।
उनके घर पहुँच कर सबसे पहले फ्रेश हुआ.. नहाया और आकर अपने लिए तय कमरे में बैठ गया।
अर्चना एक शादीशुदा महिला हैं जिनकी उम्र कोई 35 या 38 वर्ष के लगभग होगी, वे औसत शरीर की महिला हैं.. दिखने में मोटी तो नहीं थीं लेकिन दुबली भी नहीं कह सकते।
उनका भरा बदन.. रंग गेहुआं था और वे एक गृहणी थीं। उनके पति काम के सिलसिले में बाहर गए थे और वह साथ रहते हैं।
बच्चे हॉस्टल में थे।
उन्होंने बताया कि उनको सिर्फ मालिश चाहिए.. सेक्स नहीं.. हाँ.. ओरल जरूर लेंगी और वह उसका मुख्य हिस्सा होना है।
‘मुझे तो काम करना है और जैसा या जितना बोलो.. उतना करूँगा।’
कुछ देर बाद अर्चना ने मुझे अपने कमरे में बुला लिया और वहाँ उसने कहा- अब तुम अपना काम करो कोई दिक्कत नहीं है।
मैं उसको बोला- आप चेंज कर लो फिर मैं शुरू करूँ।
वह गई.. अपनी नाइटी पहन कर आ गई।
मैंने तब तक जमीन पर उसके बिस्तर का गद्दा निकाल कर सैट किया और जब वो आई तो मैंने उसकी नाइटी उतार दी।
उसने केवल एक पतली सी चड्डी पहनी हुई थी।
मैंने कहा- अगर आप बुरा न माने तो अभी चड्डी भी उतार दूँ… ये मालिश के लिए ठीक रहेगा।
उसने झट से अपने हाथ से ही चड्डी को कमर से नीचे सरका दिया।
उसके बाद मैंने चड्डी को खींच कर बाहर निकाल दिया।
अर्चना की बुर उसकी झांट के बालों से ढकी थी.. उसकी झांटें लम्बी थीं।
मैंने पूछा- मैडम क्या आप बाल साफ़ करवायेगीं?
उसने कहा- हाँ.. करो और शेव करना है.. न कि हेयर रिमूवर से..
‘ओके…’
उसने कहा- गुसलखाने में रेजर रखा है.. जा कर ले लो और काम शुरू करो।
मैं सामान लाकर बैठ गया।
मैंने भी अपना पजामा उतार दिया.. अब मैं केवल चड्डी में था।
अर्चना को मैंने कहा- सीधा लेटी रहें..
उनके नीचे एक मोटा तकिया लगा दिया.. जिससे कि बुर को ऊपर आ जाए और साफ़ करने में दिक्कत न हो।
उसकी झांटों को पहले तो कैंची से काटा.. जब बाल छोटे हुए.. तब उस पर क्रीम लगा कर झाग उठाया और फिर रेजर चलाया।
पहले उसकी जांघों के पास के बाल साफ़ किए.. फिर बुर के ऊपर लगे बाल साफ़ कर दिए..
लेकिन अन्दर के बाल साफ़ करने के लिए ज्यादा जगह होनी जरूरी है.. उसके लिए मैंने अर्चना से कहा- आप अपने पैर जितना चौड़ा करके आराम से लेट सकें.. उतना कर लें।
उसने मेरा साथ दिया और उसकी बुर बिल्कुल खुल कर सामने आ गई।
उसकी बुर का किनारा और उसके अन्दर का रास्ता खुल गया जिससे कि अब मैं आराम से बाल निकाल सकता था।
मैं धीरे से उसके बाल साफ करने लगा।
उसको भी अच्छा लग रहा था क्योंकि वहाँ पर साबुन या झाग मैंने पोंछ दिया था.. जिससे मैं ठीक से वहाँ साफ़ करूँ।
मैं बहुत ही ध्यान से उसकी चूत की सफाई कर रहा था ताकि उसकी चूत की फलक में ब्लेड न लग जाए.. नहीं तो मुश्किल हो जाती।
इसलिए आराम से उसकी बुर की एक फलक को ऊँगलियों से पकड़ कर बाल साफ़ किए।
एक तरफ साफ़ करने के बाद जब दूसरी फलक को पकड़ा तो उसने तब तक अपना पानी गिराना शुरू कर दिया था।
उसको पकड़ने पर उसकी चिकनाहट से हाथ से बुर की फलक छूट जाती थी।
उसको मैंने कपड़े से चूत को पोंछा फिर झांट साफ़ कीं।
उसकी झांटें बुर के अन्दर तक गई थी।
जिसको साफ़ करना कठिन था.. लेकिन उसके सहयोग ने काम आसान कर दिया.. जल्दी ही उसकी बुर साफ़ हो गई।
जब मैंने चूत को पौंछ कर देखा तो मजा आ गया.. क्या पावरोटी की तरह फूली और एकदम साफ़.. उज्जवल चिकनी बुर खुल कर सामने थी.. चूत के ऊपर सजा हुआ उसका कटावदार नुकीला भगनासा.. उसके भूरे काले रंग के फलकों पर दाना मस्त छटा बिखेर रहा था। फूली हुई मस्त बुर निकल आई थी।
देखने से ही लग रहा था कि काफी दिनों से चुदाई नहीं की गई है।
अब मैंने उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसको कंधे से मालिश देने लगा।
उसके कंधों और हाथ को मालिश देने से उसको अच्छा लगा।
फिर उसके पीठ पर मालिश की.. उसकी जांघों और पिंडली के साथ पाँव को भी मालिश दिया.. इतना करने में एक घंटे का समय निकल गया, फिर मैंने उसको पलटा दिया और उसके छाती पर तेल डालने लगा।
उसको अच्छा तो लगा लेकिन अभी कम मजा आ रहा था तो मैंने उसकी छाती के निप्पल को पकड़ कर उसको धीरे-धीरे मसलना शुरू किया जिससे उसको अत्यधिक गर्मी चढ़ने लगी..
जिससे उसके कान लाल हो उठे..
अजीब सी लय के साथ उसकी साँसे चलने लगीं।
उसके दोनों उरोजों को मसलने से उसका उत्तेजित होना स्वाभाविक था।
मैं भी उत्तेजित हो उठा था।
मेरी चड्डी सफ़ेद थी.. और मेरा चिकना पानी निकल रहा था.. पर गीला होने पर भी मैंने अपने आप पर किसी तरह काबू करके अपने काम पर ध्यान लगाया था।
मैंने नीचे मालिश करने के लिए पूछा तो उसने गर्दन हिला कर हामी भरी।
मैंने उनकी कमर के नीचे दो ऊँचे से तकिए लगा दिए.. जिससे कि उनकी बुर सामने रहे।
अब एक तो ऊँचा करने से बुर खुल कर ऊपर को आ गई और फिर जब मालिश देना शुरू किया।
उसकी बुर के किनारों पर.. जिसको बिकिनी लाइन बोला जाता है.. वहाँ से उसकी बुर के उभार को मसलना शुरू किया तो उसके अन्दर उत्तेजना मानो दौड़ रही थी और वह बिल्कुल गली जा रही थी।
कुछ देर उसकी बुर के आस-पास मालिश देने के बाद तेल उसकी बुर की पंखुड़ी को खोल कर उसके अन्दर टपका दिया।
अब उसकी बुर की ऊपरी पंखुड़ी को अपने एक हाथ की दो ऊँगलियों को कैंची की तरह बना कर उठा ली और उसको मालिश देने लगा।
उसको यह तरीका जबरदस्त लगा और वह मजा ले कर अपने पैर और खोल कर लेट गई।
उसकी बुर की पंखुड़ी और उसके मम्मे दोनों मजा ले रहे थे।
इन सब तरह से मजा लेने की वजह से उसका पानी लगातार गिर रहा था।
जब उसकी चूत पर हाथ जाता तो उसका पानी ऊँगली पर लगता और उसका माल एक लार जैसा बन कर निकल रहा था।
मैं उसकी चूत के दाने के पास आया तो उसको मैं आराम से देख पा रहा था.. छोटा सा.. उसमें नक्काशीदार छोटा सा छेद था.. जिसकी संवेदनाशीलता की वजह से उसका पानी निकल रहा था।
अब मैंने उसको धीरे से मसलना शुरू किया तो वह 2-3 बार के मसलने के बाद ही उछाल मारने लगी।
मैंने उसको थोड़ा कम किया.. फिर उसके पंख पकड़ कर मालिश दी..
जिसका नतीजा यह हुआ कि वह अपने को रोक न पाई और स्खलित हो गई।
उसने अपना पानी गिरा दिया.. उसको थोड़ी संतुष्टि हुई.. लेकिन मेरा काम अभी भी जारी था।
अब पानी गिर जाने से उसकी चूत और मुलायम हो गई थी.. जिसके कारण अब उसकी चूत को और खोला जा सकता था।
सो धीरे से उसकी चूत में एक ऊँगली डाल कर उसकी चूत के ऊपर हिस्से की मालिश करने लगा..
जो उसके लिए पानी में आग लगाने के बराबर हुई।
वह बिन पानी की मछली की तरह तड़प गई।
कुछ देर करने के पश्चात उसके निचले हिस्से में मालिश दी.. जिसने रही-सही कसर भी पूरी कर दी।
अब बिना देर किए उसने कहा- अब अपने मुँह और जीभ से चूत की मालिश दो।
इधर मेरा भी बुरा हाल था, लौड़ा साला खड़ा हो कर फुंफकार रहा था।
उसको काफी देर से छेद न मिल पाने की वजह से थोड़ा भारीपन के साथ में दर्द भी था।
मैं उसको सहज करने के लिए पेशाब करने गया और पेशाब करते समय ऐसा लगा जैसे तेजाब निकला हो।
बरहराल मेरे को जो काम मिला था मुझे उसमें ही रहना था।
उसने अपनी चूत खुद खींच कर चौड़ी कर ली और बोली- बस अन्दर मुँह घुसा दो और चाटो।
मैं अपने घुटनों पर था ही और नीचे सीधा लेट गया और अपना मुँह उसकी चूत पर रख कर घुसा दिया।
जुबान अन्दर जा लगी.. साथ में मैंने अपनी ऊँगली से उसकी चूत के अन्दर रगड़ना चालू रखा।
अर्चना ने अपनी चूत खुद ऊँगलियों से खींच कर खोले हुए थी.. जिससे उसकी चूत के अन्दर तक मेरी जीभ जा रही थी और ऊँगली ने उसके भग्नासे को रगड़ने दिया और बस यही रगड़न उसके लिए आग बन गया था.. उसका भगनासा अकड़ गया और मेरी जीभ तक छूने लगा..
वह और खींच कर सिसया रही थी.. मेरा पूरा मुँह उसके छोड़े पानी से तर हो गया था।
वह जब अकड़ी तो बिल्कुल ऐंठते हुए अपना पानी छोड़ दिया और निढाल हो गई.. मैं जान गया कि अब ज्यादा नहीं करूँ.. अब जब खुद कहेगी तब करूँगा।
मैं उससे पूछ कर रुक गया.. वह आराम करने लगी.. मैं उठा गया और वहाँ बैठ कर टीवी देखने लगा।
आधे घंटे बाद वह फिर बोली- आलोक.. एक बार अब फिर से चूत को जुबान से रगड़ दो।
मैं उसके पास गया और उसकी चूत पर मुँह लगा कर लेट गया और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के अन्दर.. और साथ में जुबान से उसको रगड़ने लगा।
उसकी चूत के अन्दर की गर्मी जल्दी ही बनने लगी और वह फिर उत्तेजित होकर अपने चूची मसलने लगी।
मेरी जुबान फिर से उसकी चूत के अन्दर तक जाने लगी और दो मिनट में उसने अपना पहला पानी छोड़ दिया।
उसकी सांस फूलने लगी, वह बोली- जल्दी से ऊँगली अन्दर तक डाल दो..
जैसे ही मैंने 2 मिनट तक ऊँगली की, तो उसका पानी भलभला कर निकला और इधर जुबान अन्दर लगातार चल रही थी कि तभी पानी गिरने लगा था.. मुझे तुरन्त ही मालूम हो गया क्योंकि पानी का स्वाद बदल गया था।
अब वह थक कर एक तरफ हो गई.. मुझसे बोली- जाओ आप फ्रेश हो लो।
मैं बाथरूम में गया और वहाँ फिर बिल्कुल पीले रंग की पेशाब निकली, मुझे ऐसा लगा.. जैसे अर्चना ने मुझे बिल्कुल निचोड़ दिया हो। मैं खुद को संभाले रख पाया मेरे लिए यही बहुत था।
मैं उसके पास आया.. बातचीत के दौरान उसने बताया- तुम्हारे बारे में मेरी सहेली ने बताया था।
फिर वो मुझे अपने साथ अट्टा बाजार ले गई.. काफी देर तक हम देर तक बाजार में घूमते रहे.. वहीं मॉल में हम लोगों ने खाना खाया.. फिर वापस घर आए.. अब तक शाम हो गई थी।
लगभग 5 बजे उसने कहा- अब क्या..प्रोग्राम है?
मैं समझ गया और मैंने कहा- बस अब कुछ नहीं.. अगर हो सके तो स्टेशन तक पहुँचा दें..
उसने कहा- अरे ड्राप करूँगी न..
उसने फिर एक पैकेट निकाल कर मुझे दिया और मेरी फीस भी मुझे दी।
मैं नियत समय पर वहाँ से वापस हो लिया।
यह कहानी आपको कैसी लगी.. अपने विचार जरूर दें.. जिससे कि आपकी फंतासियों.. अगर सम्भव हुआ तो मैं अगली ग्राहक के साथ आजमा सकूँ।