पड़ोस की रेशमा भाभी की मस्त फ़ुद्दी
नाईटडिअर व मस्तराम के सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम। मेरा नाम अंकित है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैंने इसी साल इन्जीनियरिंग पूरी की है। मेरा कद 5’7″.. उम्र 23 साल है। मैं अच्छे-खासे शरीर का मालिक हूँ
यह घटना अभी 3 हफ़्ते पहले की ही है.. जब मैं कालेज से अपनी पढ़ाई पूर्ण करके घर आया था। यह मेरी पहली कहानी है। मुझे शादीशुदा औरतें चोदना बहुत पसन्द है।
मेरे पड़ोस में एक 24 साल की भाभी रहती थी… उसका नाम रेशमा है। उनके 2 छोटे-छोटे बच्चे भी थे.. लेकिन फ़िर भी क्या मस्त चिकनी माल थी यार.. कसम से.. एकदम गोरी.. दूध जैसी थी।
वो थी तो दुबली-पतली.. लेकिन उसकी चूचियाँ.. एकदम गोल-गोल.. सख्त और उठी हुई थीं। उसके चूतड़ भी काफी उभरे हुए थे कि किसी भी नामर्द के लौड़े को भी मर्दाना बना कर उसे एकदम से पागल कर दे।
रेशमा भाभी का चेहरा भी एकदम सुन्दर और उस पर उसके मदभरे रसीले होंठ.. हाय.. और उस पर उनकी दिल पर छुरियाँ चला देनी वाली कटीली मुस्कराहट देखते ही मेरा तो लौड़ा खड़ा हो जाता था।
मैं रोज उनको देखता था और उनके मस्त जिस्म को अपने लौड़े के नीचे सोच-सोच कर रोज मुठ्ठ मार लिया करता था।
वो घर पर साड़ी.. सलवार सूट और गाउन पहनती थी। मैं हमेशा इसी ताक में रहता था कि वो झुके और मैं उसके मस्त गोरे-गोरे मम्मे देख सकूँ।
अकसर जब भी मैं उनके घर जाता था.. तो उनकी खनकती हुई आवाज.. गोरे-गोरे सुडौल हाथ-पैर.. साड़ी से दिखती और बलखाती उनकी नंगी गोरी कमर देख कर मेरा लौड़ा पागल हो जाता था।
मेरा मन करता था कि साली को वहीं पटक कर चोद दूँ.. पर हिम्मत नहीं पड़ती थी।
रेशमा भाभी काफ़ी हँसी-मजाक करती थीं और अच्छे स्वाभाव की थीं।
बस उनको निहारते हुए मन में उनको चोदने की अभिलाषा लिए इसी तरह दिन निकल रहे थे और रेशमा भाभी के होंठ चूसने और चूत चाटने की मेरी तड़फ बढ़ती ही जा रही थी।
मैं रेशमा भाभी के नाम की एक दिन में 2-3 बार मुठ मारने लगा था और कभी-कभी तो उनके बाथरुम में बहाने से जाकर उनकी इस्तेमाल की हुई ब्रा और पैन्टी लेकर भी मुठ्ठ मारता था।
एक दिन भैया को कहीं बाहर जाना पड़ा और वो मुझे भाभी और बच्चों का ध्यान रखने को बोल गए।
मैंने सोचा ये मौका नहीं छोड़ना चाहिए। अब मैंने रेशमा भाभी को चोदने का प्लान बनाया।
दिन में करीब 12:30 बजे मैं उनके घर गया, गरमी के दिन थे, मैं कोल्ड-ड्रिंक लेकर पहुँचा और रेशमा भाभी से कहा- भाभी जी.. लीजिए आपके लिए कोल्ड-ड्रिंक लाया हूँ।
उस दिन रेशमा भाभी और भी माल लग रही थीं।
रेशमा भाभी ने फ़्लोरल प्रिन्ट वाली लाल साड़ी पहनी हुई थी और लाल रंग का ही मैचिंग का ब्लाउज था।
उनकी ये साड़ी हल्की सी पारदर्शी थी और उनके पल्लू से उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी चूचियों का हल्का सा नजारा दिख रहा था।
जब मैंने उनकी उठी हुई चूचियों को देखा तो हाय.. मेरा तो उसी वक्त लौड़े से एक बूंद रस टपक गया।
रेशमा भाभी ने लाल रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी.. हाथों में सोने की और लाल कांच की चूड़ियाँ थीं.. पैरों में घुंघरू वाली चांदी की पायलें और पैरों में लाल रंग का आल्ता लगा रखा था.. जो औरतें पूजा में लगाती हैं।
मैंने सोचा आज तो भाभी को चोदे बगैर रह ही नहीं पाऊँगा…
मैंने रसोई में जाकर भाभी के लिए गिलास में कोल्ड-ड्रिंक निकाली और उनके गिलास में 2 स्पेशल वाली गोलियाँ भी पीस कर डाल दीं। इनसे किसी भी औरत को गरम करने में तो मदद मिलती ही थी बल्कि वो गहरी मदहोशी में रहती थी.. उसको किसी भी किस्म का दर्द भी महसूस नहीं होता था।
अब भाभी और मैं बात करते रहे और कोल्ड-ड्रिंक पीते रहे।
थोड़ी देर बाद नशीली सी आवाज में मुस्कुराते हुए भाभी मुझसे बोलीं- मुझे नींद आ रही है भैया.. आप यहाँ टीवी देखिए और मैं सोने जा रही हूँ।
मैंने कहा- ठीक है भाभी..
भाभी ने मेरी तरफ प्यासी सी निगाहों से देखा और अपनी चूत को खुजाते हुए अन्दर कमरे में चली गईं। उन्हें चोदने की सोच कर मेरा लन्ड और भी उछाल मारने लगा कि आज मेरे सपनों की रानी की चूत.. होंठ.. गान्ड सब कुछ आज नंगा करके देखूँगा और जो मन चाहेगा वो सब भाभी के साथ करूंगा।
करीब आधा घन्टा इन्तजार करने के बाद मैं रेशमा भाभी के बगल वाले कमरे में पहुँचा। वहाँ का नजारा देख कर तो मैं और भी पागल हो गया।
रेशमा भाभी करवट लेकर साइड में सो रही थी और उनका पल्लू चूचियों पर से हटा हुआ था और उनकी दूधिया चूचियाँ काफ़ी गहराई तक ब्लाउज के ऊपर से ही दिख रही थीं। उनकी साड़ी भी घुटनों तक उठी हुई थी। उनका हाथ उनकी पैन्टी में घुसा हुआ था और उनकी एक टांग सीधी और एक मुड़ी हुई थी.. जिससे उनकी गान्ड पीछे की तरफ़ उभरी हुई थी।
मैंने पक्का करने के लिए पुकारा- रेशमा भाभी..
जब कोई जवाब नहीं मिला तो फ़िर पास जाकर उनको हाथ पर एक बार चिकोटी काटी.. फ़िर भी कोई हलचल नहीं हुई तो मैं बहुत खुश हो गया।
मैंने कमरे की लाइट जला दी क्योंकि मैं रेशमा भाभी का गोरा नंगा जिस्म अच्छी तरह से देखना चाहता था।
उसके बाद मैंने अपनी पैन्ट और अन्डरवियर उतार दिया।
मेरा लौड़ा एकदम टाइट हो चुका था और फ़नफ़ना रहा था।
मैं भाभी के बगल में बिस्तर पर बैठ गया और एक हाथ में लन्ड को लेकर मुठिया रहा था और दूसरे हाथ से मैं उनकी गान्ड और नंगी कमर को सहलाने लगा।
फ़िर मैंने भाभी को सीधा कर दिया और उनकी चूचियों को देख कर पागल हो गया। भाभी के होंठ चूसने के लिए मैं कब से तरस रहा था और आज वो मेरे सामने पड़ी थी।
मैंने झुक कर हौले से रेशमा भाभी के होंठों को चुम्बन किया…
कसम से उस समय ऐसा लगा कि मुझे नशा सा हो गया है.. भाभी के रसीले होंठों को छूकर एकदम से मेरा सर घूम गया।
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं भाभी के चेहरे को अपने हाथों में लेकर उनके होंठ चूसने लगा।
मैं कभी ऊपर वाला होंठ मुँह में लेता.. कभी नीचे वाला होंठ चूसता। भाभी के खुले हुए बाल उनके चेहरे पर आ रहे थे.. जिससे वो और मस्त लग रही थीं और मैं उनके चेहरे को देखते हुए उनके लाल लिपस्टिक लगे होंठों को चूस रहा था।
भाभी की सांस धीरे-धीरे चल रही थी और उनके जिस्म की महक और गर्माहट मुझे और पागल कर रही थी।
मैं रेशमा भाभी के पैरों के बीच में उनके ऊपर लेटा हुया था और उनके होंठों को चूस रहा था और उनकी चूचियाँ दबा रहा था।
अब मेरा मन उनकी नंगी चूचियों को देखने के लिए बैचेन हो गया।
मैंने धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के हुक एक-एक करके खोल डाले।
हाय.. उफ्फ.. आह्ह.. क्या मस्त लग रही थी साली.. गोरी-गोरी.. सख्त गोल-गोल चूचियाँ.. एकदम दूधिया..काली ब्रा में हाय.. मेरी तो जैसे जान ही निकल रही थी।
उनकी ब्रा के ऊपर से सिर्फ़ 60% चूचियाँ निकल रही थीं। मैं ब्रा को खोले बिना ही.. जितनी चूचियाँ ऊपर निकली थी.. उसको ही चूमने लगा।
आअह्ह्ह्ह्ह्.. नीचे मेरा लौड़ा खड़ा होकर साड़ी के ऊपर से भाभी की चूत पर रगड़ रहा था…
फ़िर मैंने उनकी ब्रा को बिना खोले.. ऊपर खिसका दी और क्या मस्त नजारा था गोरी-गोरी चूचियों पर खड़े हुए गहरे भूरे बड़े-बड़े निप्पल.. एकदम सख्त… उफ्फ..
मैं उनके निप्पलों को चूसने लगा और दूसरी चूची को हाथ से कसकर दबा रहा था।
अब मेरा हाल एकदम बुरा हो गया था। मेरी हवस का नशा चढ़ चुका था। मैं उठ कर रेशमा भाभी की चूचियों के पास बैठ गया और दोनों हाथ में उनकी चूचियाँ लेकर अपना लौड़ा उनकी चूचियों के बीच में रगड़ने लगा।
बीच-बीच में लौड़ा रगड़ते हुए उनके रसीले होंठों से छू जाता था और मुझे मेरे पूरे शरीर में एकदम करन्ट सा लग जाता था।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लौड़ा उनके होंठों पर ही रख दिया और उनके सिर के नीचे एक तकिया रख दिया ताकि उनका सिर ऊपर की ओर उठ जाए। अब मैंने अपने लौड़े का टोपा उनके होंठों के बीच जबरदस्ती घुसा दिया।
रेशमा भाभी का मुँह बन्द था.. बस सुपारे की नोक उनके होंठों के बीच में थी।
मैंने उनके गाल पकड़ कर मुँह खोला और भाभी के रसीले होंठों के बीच अपना आधे से ज्यादा लौड़ा घुसा दिया।
हाय.. उनके मुँह में क्या मस्त गरमाहट और गीलापन था.. मुझे तो ऐसे लग रहा था जैसे लौड़ा मुँह में नहीं.. उनकी चूत में जा रहा है।
अब मैं धीरे-धीरे उस सुन्दर चेहरे को देखते हुए अपना लौड़ा रेशमा भाभी के मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। बड़ा मजा आ रहा था.. क्योंकि रेशमा भाभी का मुँह पूरा सख्ती से बन्द था और होंठों के बीच में लौड़ा उनके मुँह का मजा ले रहा था।
करीब 15 मिनट तक में ऐसा करता रहा.. जब मुझे लगा कि मैं उनके मुँह में ही झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया।
फ़िर मैंने भाभी की साड़ी ऊपर खिसकाई और उनकी गोरी-गोरी जाँघों को चूमता हुआ उनकी चूत तक पहुँच गया।
मैंने धीरे से उनकी पैन्टी को नीचे घुटनों तक खिसका दिया।
उम्म… आह्ह.. उनकी सफाचट चिकनी चूत को देख कर लगा कि मैं बेहोश ही हो जाऊँगा…
भाभी की चूत मेरे सपनों से भी ज्यादा खूबसूरत थी, एकदम गोरी.. फूली हुई चूत के होंठ और उस पर एक भी बाल नहीं था.. एकदम चिकनी चमेली..
दो बच्चों को जन्म देने के बाद भी रेशमा भाभी की चूत का छेद छोटा सा ही था और एकदम गुलाबी…
मैं उनकी चूत के होंठ अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दोनों हाथ ऊपर करके चूचियाँ दबाने लगा।
मदहोश रेशमा भाभी की चूत से रस निकलने लगा.. नमकीन रस..
बस यही सही मौका देख कर मैं रेशमा भाभी के ऊपर पूरा लेट गया और हाथ से अपना लौड़ा रेशमा भाभी की चूत पर टिका दिया और रेशमा भाभी को हाथों से कन्धे पर जोर से जकड़ कर एक जोर का झटका मारा और
‘आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..’
रेशमा भाभी की चूत को फ़ाड़ता हुआ गहराई में घुस गया।
मैं रेशमा भाभी के चेहरे को हाथ में लेकर उनके होंठ चूसने और चूमने लगा। मुझे आज मेरी किस्मत पर भरोसा ही नहीं हो रहा था कि मेरे सपनों की रानी रेशमा भाभी की चूत में आज मेरा लौड़ा घुसा हुआ है।
मैं अपने लौड़े को धीरे-धीरे उनकी चूत में कभी आगे.. कभी पीछे.. कर रहा था और इस चुदाई से उनके मम्मे हिल रहे थे…
हाय.. क्या मस्त नजारा था..
मैंने उनको करीब आधे घन्टे तक खूब जोर-जोर से चोदता रहा…
जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लन्ड उनकी चूत से बाहर निकाला और भाभी के मुँह को देखते हुए झड़ गया…
फिर मैं उनके ऊपर ही लेट गया… थोड़ी देर बाद मैं उठा और मैंने भाभी को ऊपर से नीचे तक गौर से देखा… और देखता ही रहा और जब फ़िर मैंने उनकी गान्ड देखी.. तो वाह.. क्या गान्ड थी यार..
मेरा लन्ड फ़िर से खड़ा हो गया। मैंने भाभी के मुँह में फ़िर से लौड़ा डाला और उनके मुँह को चोदने लगा…
लगभग 10 मिनट के बाद मैंने उनको उलटा किया.. जिससे उनकी गान्ड मेरे सामने हो गई।
मैंने उनकी गान्ड पर थोड़ा थूक लगाया और अपने लन्ड की टोपी उनकी गान्ड पर रख कर एक झटका दिया…
मेरी टोपी उनकी गान्ड में घुस गई.. भाभी थोड़ी हिलीं.. मैं उनसे जोर से लिपट गया।
लेकिन वो अब पूरा मज़ा लेती लग रही थीं.. इसलिए मैं निश्चिन्त था।
मैंने एक और जोर का झटका मारा तो मेरा पूरा का पूरा लन्ड उनकी गान्ड में घुस गया।
मुझे ऐसा लगा कि मैं जन्नत में हूँ। फ़िर मैंने 45 मिनट उनकी जमकर गान्ड मारी और उनकी गान्ड में ही झड़ गया…
मैं उठा और कपड़े से उनकी गान्ड साफ़ की..
अगले दिन जब मैन भाभी से मिला तो वो बहुत खुश थी, देखते ही मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर चूमने लगी और बोली- कल तुमने मुझे खूब मज़ा दिया।
तो कैसी लगी आप लोगों को मेरी कहानी? उम्मीद है आप लोगों को पसन्द आई होगी। मुझे ईमेल करके जरूर बताइए।