बस अब हो गया जीजू
दोस्तों ये कहानी मेरी साली की चूत मारने के बारे में है। तो उसका नाम था लक्ष्मीना और वो मेरे छोटे भाई की गर्लफ्रेंड थी। उसका मेरे भाई पिंटू से अच्छा चलता था इसलिए मैने कभी उसको खुल के लाईन न मारा। एक दिन फोन किया तो उसने कहा जीजा जी मेरे शहर तो आप आते ही नहीं मैने कहा कैसा गिला शिकवा आप तो ध्यान ही नहीं देती हो हमारे उपर! तो कैसे आएं। वो हंस के बोली “ कैसा ध्यान” तो मैने कहा कि “ एक चुम्मा देने का प्रोमिस करो तो मैं आउंगा भी”। उसने फोन पर एक चुम्मा दिया – “उम्माह्ह्ह!” और कहा बाकी आईये तो देती हूं।
जैसे ही मैं ससुराल पहुंचा तो सीधा उसके कमरे में गया – “ वो छत पर बने कमरे में टीवी देखते हुए आराम कर रही थी। अकेले। मैने देखते ही कहा – “ रानी जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा – आज तो तुम्हें चूत मराना पड़ेगा” फोन पर बात कह देना आसान होता है और जिससे ट्यूनिंग नहीं है, तो सीधी साधी लड़कियां हड़बड़ा ही जाती हैं। उसने मुझे देख कर भागने की कोशिश की और मैने दरवाजे को दोनों हाथों से कवर कर रखा था, उसने जैसे ही किनारे से निकलने की कोशिश की मैने उसे अपने प्यार भरे बाहों में समेट लिया। वो किसी फूल की कली की तरह से मेरे हाथों में आ गयी।मैने उसे दबोचते हुए उसकी कमर पकड़ के दबा दी। जीजा साली का रिश्ता ही ऐसा होता है कि कुछ भी कर लो सालियां बुरा नहीं मानतीं। वो हंस रही थी। पता है लड़कियां ना कुछ भी पहले नहीं कर सकतीं। वो चाहतीं हैं कि लड़के खेल स्टार्ट करें जिससे कि उसका अन्जाम उनके उपर थोपा जा सके। इसलिए मैं उसके इस रिस्पांस से आश्चर्यचकित न था। मैने उसके गुलाबी होटों को चुम लिया। वो शरमा के आंखें बंद करते हुए बोली – “ बस अब हो गया जीजू, अब जाने दो ना” मैने कहा मेरी रानी अभी तो शुरुआत है खेल की। बस देखती जाओ आगे होता है क्या और मैने उसके सेव जैसे फूले फूले गाल काट लिये। बस काटा क्या, एक दम निचोड़ लिया उसके गालों को अपने दांतों के बीच दबा के। वो सिस्काई “उई मां आह्ह! काट के खा जाएंगे क्या?” मैने कहा ईरादा तो कुछ ऐसा ही है और उसकी ब्लाउज के पिछले गले पर जो कि थोड़ा खुला तो होता ही है, मैने हाथ लगाके सहलाते हुए उसके होटों को अपने होटों से कस के दबोच लिया। निचले होट को पीते हुए मैने उसके पीठ को सहलाना जारी रखा। वो मेरे चारों तरफ हांथ फेंक के बिल्कुल खो गयी थी। मैने उसके मुह में अपनी जीभ घुसेड़ते हुए उसकी जीभ को अपने जीभ से उलझा दिया। अब हम दोनों की जीभ की नोक एक दूसरे से टकरा रही थी। वो मादक आवाजें और अदाएं देकर मेरा उत्साहव्वर्धन कर रही थी। मैने अपने हाथों से उसके पेटीकोट को खोला और साड़ी खींच दी। वो नीचे पूरी ही नंगी हो गयी। गोरी गोरी जंघाओं में उसकी काली पैंटी उसके चूत के चांद को छुपा के खड़ी थी। मैने आव देखा ना ताव, उसकी पैंटी खीचते हुए बाहर निकाल दी। वो अब नीचे पूरी नंगी थी। उसकी नन्हीं प्यारी सी भूरे बालों वाली फुद्दी देखकर मेरा मन हरा हो गया। आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने लक्ष्मीना को गोद में उठा लिया। और बेड पर पटक दिया। उसके ब्लाउज के बटन खोल उसके सुन्दर और बड़े बड़े इंडियन चूंचों को आजाद किया। अब वो पूरी ही नंगी थी। छ्त पर गर्मियों के दिन में किसी के आने का अंदेशा न था। ईसलिए मैं खेल शुरु करने वाला था। रूबी ने धीरे धीरे मेरे शर्ट को खोल दिया और पैंट को खोलने लगी। उसे मजा लेने का मन कर रहा था। मैने पूछा – लक्ष्मीना यह पहली बार कर रही हो तो वो बोली हां जीजू। अब तक सिर्फ छुआ छुऔव्वल होता था, अब आज आपके साथ मन कर गया। आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने उसके दोनों स्तनों को अपने मुठठियों के हवाले करते हुए उसके होटों को चूमते हुए अपने होटों को उसके गर्दन, कान और गले के पिछले हिस्से पर फिसलाना शुरु किया। बीच बीच में जगह जगह हल्के दांत भी गड़ा देता। वो मचल मचल के तड़प रही थी और आहें भर रही थी। मैने उसके स्तनों को पीते हुए उसके पेट और नाभि तक के भाग पर पूरा चुंबन दिया। उसका पेट थरथरा रहा था मेरे चुम्बन के आभास से। वो एकदम मगन होकर चुदाने वाली थी कि मैने उसके दोनों गांड की गोलाईयों को पकड़कर मसलते हुए उसे पेट के बल लिटा दिया। अब बारी थी उसकी गांड के स्थल को चूमने की, मैने उसके नितंबों को हल्के हल्के दांतों से चबाते हुए अपनी जीभ को उसकी गोलाइयों पर फिसलाना शुरु किया। वो मस्ताते हुए चुदने लगी और मैने उसके इस हरकत पर फिदा होते हुए उसकी गांड को दबोचते हुए चोदने के लिए अपने लंड को हाथों से मुआयना किया। मेरा ठरकी लंड पहले से ही खड़ा था और उसकी चूत का सत्यानाश करने के लिए हुंकारें भर रहा था। मैने उसकी गांड के छेद पर अपनी जीभ को फिसलाते हुए उसकी जांघों के जोड़ पर निचले हिस्से मतलब की चूत की तरफ रुख किया। भग को चाटते हुए मैने पाया कि उसकी चूत रस से भर चुकी थी। अब मैने उसे सीधा लिटा के उसके उपर आते हुए अपने मोटे लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रख उसके होटों को होटों से दबोच चूंचियों पर अपने हाथों को काबिज किया और हल्के हल्के अंदर की तरफ रुख किया। वो मचलते हुए मुझसे दूर जाने की कोशिश करने लगी। उसकी चूत अभी कंवारी थी और मैं बिल्कुल एक्स्पर्ट चुदक्कड़ था। इसलिए मैने उसको चोदने के लिए, अपना लंड पहले से गीला कर रखा था। उसको दबोचते हुए मैने एक तेज धक्का दिया। आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | और वो – आह्ह!! मर गयी, उईइ मां बचाओ, आह्ह ऐसा लग रहा है किसी ने मेरी जांघों में लोहा घुसा दिया हो। और मैने दूसरा तेज झटका दिया और लंड उसकी सील को तोड़ता हुआ उसके चूत के गलियारों की सैर करता हुआ आठ इंच अंदर। जड़ तक अंदर घुसे हुए लंड को बाहर खींचते ही खून की पतली धार बहते हुए बेड पर गिरी। मैने उसकी चूत के नीचे अपना गमछा पहले से रख रखा था जिससे कि खून से लोगों को शक न हो। अब लक्ष्मीना कराह रही थी और जैसे ही मैने स्पीड पकड़ी, उसके नितंबों ने उपर नीचे होना शुरु कर दिया। वो मेरे साथ ताल से ताल् मिला रही थी। हर चोट का जवाब चोट से दे रही थी। वो मस्त होकर अपने चूत में लंड को ले रही थी और फिर देखते ही देखते हम दोनों जीजा साली उस कहावत को कि साली आधी घर वाली होती है, पीछे छोड़ चुके थे। मैने आध घंटे तक उसको देसी मिशनरी स्टाइल में चोदने के बाद अपना वीर्य बाहर निकाल कर उसके मुह में पिला दिया। वो इसको पेप्सी मिरांडा की तरह पीकर अपने फटी हुई चूत को निहारने लगी। मैने उसे किस करते हुए दो चार एंटीब्बायोटिक दवाएं दीं और कहा इन्हें खा लेना, सील ठीक हो जाएगी। पहली बार चूत मराने पर ऐसा ही होता है।