भाभी की गुलाबी चूत मैंने पहली बार देखी
दोस्तों आज मै अपनी पडोसी भाभी की चुदाई की कहानी पेश कर रहा हूँ | बात उस समय की है जब मैं 18 साल का था और अपने मम्मी पापा के साथ सुल्तानगंज में रहता था। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था जिसमें पति-पत्नी और उनका एक दो साल का बच्चा था। मैं उनको भैया-भाभी कहता था। भाभी की उम्र करीब ३० थी पर वो गजब की खूबसूरत थी। ३८-२८-३८ रंग गोरा और कद भी अच्छा था। मैं उनके घर अक्सर जाता था। दोपहर में भाभी घर में अकेली होती थी। मेरा मन उनका नंगा बदन देखने का होता था उनके बारे में सोचकर मैं अक्सर मूठ मारता था। मैं एक दिन दोपहर में उनके घर बर्फ लेने गया, वो सो रही थी, मैंने घण्टी बजाई तो थोड़ी देर बाद उन्होंने दरवाज़ा खोला। वो नाइट ड्रेस में थी और उनके आधे मम्मे दिख रहे थे। मेरी नज़र उनके मम्मों पर टिक गई। अचानक उन्होंने मेरे गाल पर धीरे से चपत लगाई और बोली – क्या हुआ? क्या देख रहे हो? मैं हड़बड़ा गया, कुछ नहीं बोल पाया और नज़रें नीची कर ली। उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और बैठने को कहा। मैं चुपचाप बेड पर बैठ गया। वो मेरे सामने आकर खड़ी हो गई और बोली- मुझे पता है तुम क्या देखते रहते हो ! मैंने ऊपर उनकी ओर देखकर कहा- आप बहुत सुंदर हो भाभी ! वो मुस्कुराई और बोली- अच्छा? सच कह रहे हो, वो तो मैं हूँ ! तुम बताओ कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड भी मेरी जैसी सुन्दर है? मैंने कहा- नहीं, मेरी तो कोई है ही नहीं | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | फ़िर मैंने हिम्मत करके उन्हें सीधा कहा- मैं आपकी सुन्दरता बिना कपड़ों के देखना चाहता हूँ। वो हंस पड़ी और बोली- सिर्फ़ देखना चाहते हो? मैंने कहा- हाँ ! वो मुझसे कुछ दूर हुई और अपनी नाइट ड्रेस उतार दी। अब वो ब्रा और पैंटी में थी। उनके मम्मे आधे से ज्यादा दिख रहे थे और उनकी गोरी गोरी जांघें देखकर मैं पागल हो रहा था, मेरा लंड खड़ा हो गया था। उन्होंने अपने मम्मों पर हाथ फेरते हुए कहा- और क्या देखना है? मैंने कहा- आपके मम्मे बहुत जबरदस्त हैं ! प्लीज़ अपनी ब्रा खोलिए ना ! उन्होंने अपनी ब्रा का हुक खोला और धीरे धीरे उतारने लगी।
मैं पागल हुआ जा रहा था।
अंत में उन्होंने अपनी ब्रा पूरी उतार दी और मेरे सामने दो बड़े गोल गोरे मम्मे थे, जी कर रहा था कि पकड़ कर चूस लूँ ! वो अपने मम्मों पर हाथ फिरा रही थी और मेरे लंड की ओर देख रही थी जो एकदम सख़्त हो गया था।
उन्होंने कहा- और कुछ देखना है? मैंने उनकी चूत की ओर देखते हुए कहा- आप अपने हुस्न से आखिरी पर्दा भी हटा दो। उन्होंने अपनी पैंटी भी उतार दी। उनकी चूत एकदम साफ और गोरी थी, कोई बाल नहीं, एकदम गुलाबी चूत मैंने पहली बार देखी थी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं खड़ा हो गया और उनके पास जाने लगा तो उन्होंने हाथ के इशारे से मुझे रोका, बोली- नहीं, तुमने कहा था कि तुम मुझे नंगी देखना चाहते हो ! अब तुम मुझे हाथ नहीं लगा सकते। मैं पागल हो रहा था, मैंने कहा- प्लीज़ भाभी, मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा, प्लीज़ मुझे हाथ लगाने दो ना? उन्होंने हंसते हुए कहा- पहले अपना लंड मुझे दिखाओ। मैंने जल्दी से अपनी पैंट उतार दी और अंडरवीयर भी निकाल दिया। मेरा 7 इंच का लंड उनके सामने था। उसे देखते हुए उनकी आँखों में चमक आ गई, वो बोली- इतना बड़ा और मोटा लंड है, बहुत मज़ा आएगा। वो मेरे पास आई और मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए। मैं पागलों की तरह उनके होटों को चूस रहा था। उनका एक हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया था। मेरा एक हाथ उनके मम्मों पर था और दूसरा उनकी चूत पर फिरा रहा था।
थोड़ी देर चुमाचाटी करने के बाद मैंने उनके मम्मों को पकड़ लिया और चूसना शुरू कर दिया। वो बोली- चूसो इनको, खूब चूसो.. आह ! मैं अब उनके दोनों मम्मों को भरपूर चूस रहा था और वो मेरे लंड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थी। थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझसे बेड पर लेटने को कहा। मैं बेड पे लेट गया और वो मेरे पास उल्टी लेट गई, उनकी चूत मेरे मुँह के पास थी और उनका मुँह मेरे लंड के पास। मैं समझ गया कि क्या करना है। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया और वो मेरे लंड को चूसने लगी। मैं मानो स्वर्ग में था ! उनकी चूत पूरी गीली थी। वो मेरे लंड को बहुत तेज़ी से अपने मुँह के अंदर बाहर कर रही थी और मैं भी उनकी चूत में अपनी जीभ अंदर-बाहर कर रहा था। करीब 10-15 मिनट बाद हम दोनों अलग हो गये और फिर से चुम्बन करने लगे। मैंने उनके मम्मे दबाए और चूसने लगा। वो पागल हो चुकी थी, वो बिस्तर पर लेट गई और बोली- मेरे मम्मो को चोदो। मैं उनके ऊपर बैठ गया। उन्होंने अपने मम्मों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और पास ले आई और मुझे अपना लंड उनके बीच में डालने को कहा। मैंने अपना लंड दोनों मम्मों के बीच डाला और फिर आगे पीछे करने लगा। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | जब मेरा लंड आगे जाता, वो अपना मुँह करीब लाकर उसको मुँह में लेती और चूसती।बहुत मज़ा आ रहा था मुझे मम्मे चोदने में ! थोड़ी देर बाद वो बोली- अब रहा नहीं जाता, मेरी चूत में लंड डालो। मैं नीचे हुआ और उनकी दोनों टाँगों को पकड़कर फैला दिया। फिर अपना लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे धीरे अंदर डालने लगा। वो बोली- जल्दी पूरा अंदर घुसा दे ना ! इतना बड़ा लंड है बहुत मज़ा आएगा ! मैंने एक तेज़ झटके में पूरा लंड अंदर घुसा दिया और उनके मुँह से आह निकली। अब मैं उनको तेज़ी से चोद रहा था और वो भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी। 5 मिनट तक चोदने के बाद वो घोड़ी बन गई, मैंने उनके कूल्हों को पकड़ा, उन पर अपना लंड फिराया, गाण्ड के छेद पर भी अपना लण्ड रगड़ा और फिर चूत में अपना लंड डालकर चोदना चालू कर दिया। कमरा उनकी सिसकारियों से गूँज रहा था और मैं उनको बिना रुके चोदे जा रहा था। वो बोली- चोदो और चोदो ! इतनी मस्त चुदाई कभी नहीं हुई है मेरी। बहुत मज़ा आ रहा है। मैं जोश आ गया और मैं तेज़ी से चोदने लगा। करीब 10 मिनट चोदने के बाद मैं झड़ गया और वो भी शांत हो गई। मैंने अपना लंड निकाला और बैठ गया। वो 5 मिनट बाद उठी और मेरे लंड को पकड़कर चूसने लगी। 2 मिनट चूसने के बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। वो पागलों की तरह उसे चूस रही थी। थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने उनसे कहा- मेरा रस छूटने वाला है ! तो उन्होंने बोला- कोई बात नहीं। 2-4 बार चूसने के बाद मेरे लंड से तेज़ी से रस निकलने लगा जिसको उन्होंने पूरा अपने मुँह में ले लिया। इसके बाद अक्सर वो मुझे अपने घर बुला कर चुदवाने लगी थी। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | अब तो भाभी मेरे दोस्तों से भी चुदने लगी है एक साथ २ लंड आराम से ले लेती है उनकी चूत की अन्तर्वासना बढाती जा रही है मेरा हाल बुरा होते जा रहा है चोदता ही इतना जो हूँ एक बार में भाभी की अन्तर्वासना ख़त्म नही होती उनको लगतार १ घंटे चुदाई चाहिए तब जा के कही शांत हो पाती है |
दोस्तों आगे की कहानी फिर कभी तब तक के लिए मस्ताराम को धन्यवाद कहते हुए विदा चाहता हूँ फिर मिलुगा आगे की चुदाई की कहानी के साथ तब तक बने रहिये मस्ताराम.नेट के साथ मस्त रहिये खुश रहिये एन्जॉय करिए |