मेरा नाम विक्की है, अपने मेरी कहानी “मुंहबोली बहन का प्यार” में पढ़ा है कैसे मैंने शिल्पी को कॉलेज के दिनों में चोदा था. कॉलेज के बाद मैं मुंबई शिफ्ट हो गया जॉब के सिलसिले में. करीब चार सालो के बाद मैं दिल्ली आया था एक मीटिंग के लिए. वह फ्री टाइम में एक मॉल में घूम रहा था. वहा मुझे शिल्पी दिखी, वो मुझे देखते ही गले लग गयी.
शिल्पी: हेलो भैया, आप यहाँ कैसे
मैं: हाय शिल्पी, एक मीटिंग अटेंड करने आया हूँ
शिल्पी: ओह्ह्ह भैया.. आई ऍम सो हैप्पी.. आपको देखकर.. आप तो बिलकुल भी नहीं बदले
मैं: पर तुम तो काफी चेंज हो गयी हो
मेरा मतलब था, शिल्पी की शादी हो चुकी थी. अब वो ३० साल की गदरायी औरत बन चुकी. चूचियां और बड़ी हो गयी थी, और गांड बाहर निकल चुकी थी. अब उसका फिगर ३९-३२-४० होगा. उसने टीशर्ट और कैप्री पहना था. जिसमे उसकी फुटबॉल जैसी चूचियां मस्त लग रही थी.
शिल्पी: क्या भैया, क्या मैं मोती हो गयी जो आप ऐसा बोल रहे हो
मैं: नहीं शिल्पी, अब तुम्हारा बदन और भर गया है. यह चूचियां कितनी बड़ी हो गयी है.
शिल्पी: क्या भैया आते ही बहन की जवानी पर नजर है
मैं: साली रंडी, बहुत शरीफ बन रही है. भूल गयी वो दिन जब डेली मेरे लण्ड से चुदती थी.
शिल्पी: अह्हह्ह्ह्ह भैया .. क्या याद दिला दिया.. मस्त चुदाई करते थे आप मेरी
मैं: देख साली मेरा लण्ड खड़ा हो गया है
शिल्पी: भैया आप होटल जाओ.. मैं आपसे मिलने थोड़ी देर में वहा आती हूँ
शिल्पी रात को ११ बजे मेरे होटल के कमरे में आयी. शिल्पी ने एक ग्रीन कलर की साड़ी पहनी हुई थी, उसका ब्लाउज का गला काफी बड़ा था, मुझे उसकी चूचियां पूरी नंगी दिख रही थी.. शिल्पी ने बताया की उसके हस्बैंड नाईट शिफ्ट में है.
शिल्पी: लो भैया आपकी बहन आपकी सेवा करने आ गयी.
मैं: रांड साली, बोल ना चुदने आयी है
शिल्पी: हाँ भैया, आपको देखते ही पुरानी चुदाई याद आ गयी.
मैं: चोदूंगा तो जरूर साली, पर थोड़ा excited कर मुझे पहले
शिल्पी: ठीक है भैया
शिल्पी ने म्यूजिक ऑन किया और सेक्सी डांस करने लगी. अपनी भारी गांड को मेरे लण्ड से रगड़ने लगी. फिर उसने अपना पल्लू गिरा दिया, जबरदस्त सेक्सी लग रही थी, तरबूज के जैसी चूचियां उसकी ब्लाउज से बाहर आने को मचल रहे थे. पूरा क्लीवेज मुझे दिख रहा था. वो झुक कर मेरे पास आयी, पूरा माल मुझे दिखने लगा. मेरा कण्ट्रोल टूट गया मैंने उसको पकड़ा और उसका ब्लाउज फाड़ दिया. अब उसकी चूचियां पूरी नंगी मेरी आंखों के सामने थी. मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा
शिल्पी: आआह्ह्ह्हह्ह भैया.. मजा आ रहा.. जोर से दबाओ भैया
मैं: उफ्फ्फ्फ़ क्या आम है साली तेरी
मैंने शिल्पी की साड़ी उतर दी, अब वो पूरी नंगी मेरे बिस्तर पर लेती हुई थी.
मैं: उफ्फ्फ्फ़ शिल्पी.. शादी के बाद तो और गदरा गयी हो
शिल्पी: आअह्ह्ह्ह .. भैया कुछ करो जल्दी.. जल्दी से अपना मोटा लण्ड पेलो मेरी बूर में
मैंने शिल्पी की बूर में लण्ड रखा और एक झटके में पूरा लण्ड घुसा दिया. शिल्पी की चुत अभी भी टाइट थी.
शिल्पी: उईईईईई माँ.. मर गयी भाई…..
मैं: शिल्पी तेरी बूर तो अभी भी टाइट है
शिल्पी: हाँ भैया, मेरे पति का लण्ड बहुत छोटा है..
मैं: तू फिर खा मेरा बड़ा लण्ड
शिल्पी: अह्ह्ह्हह्हह …. ओह्ह्ह्हह्ह… भैया कबसे आपके बड़े लण्ड से चुदना चाहती थी मैं .. चोद भाई और चोद
मेरा लण्ड शिल्पी की बूर में फचा फच अंदर बाहर हो रहा था. मैं उसकी चूचियों को दबा दबा कर चोद रहा था..
शिल्पी: आअह्ह्ह्हह .. भैया.. अपने मेरी प्यास बुझा दी.. और तेज भैया
मैं: ये ले मेरी रंडी.. आअह्ह्ह क्या बड़े बड़े आम है तेरे
मैं और शिल्पी एक साथ झड गए. उस रात मैंने शिल्पी को ३ बार और चोदा.