पति के कहने पर देवर जी ने मुझे मुता मुता कर चोदा और मेरे साथ सुहागरात मनाई
हाय दोस्तों, पंखुड़ी का आपको desi.turmaster.ru पर बहुत बहुत नमस्कार नमस्कार. मैं पिछले कई महीने से यहाँ की कामुक और सेक्सी कहानियाँ पढ़ रही हूँ. मेरी एक सहेली ने मुझे नॉनवेज स्टोरी के बारे में बताया था. उसका बॉयफ्रेंड इसकी कहानियाँ पढकर ही रोज उसकी चूत लेता था. तो मैं भी यहाँ की मधुर कहानियाँ पढ़ने लगी. और आज मैं भी आपको अपनी कहानी सुनाते हुए बड़ी खुशी अनुभव कर रही हूँ. तो दोस्तों, आपको अपनी कहानी सुनाती हूँ.
मैं मथुरा की रहने वाली हूँ. अभी मेरी शादी को ३ साल हुए है. कुछ दिन से मेरी पति मुझसे एक अजीब की डिमांड कर रहें थे. वो बार बार बस एक ही बात कर रहें थे ‘एक बार अनिल को अपनी चूत दे दो’ अनिल मेरा देवर है. उम्र में मेरे पति और मुझसे छोटा है. शुरू शुरू में तो मुझे बड़ा बुरा लगा की कैसा पति है जो अपनी धर्मपत्नी को किसी दूसरे मर्द से चुदवाने की इक्षा रखता है. पर बाद में मुझे पूरी बात पता चली. दरअसल अनिल को कैंसर हो गया था. डॉक्टर ने मेरे पति से कहा की अनिल कुछ दिन का मेहमान है. इसलिए वो जो जो चाहता है उसे दे दो. जब मेरे पति ने उससे पूछा तो उसने मुझे चोदने की इक्षा जताई.
क्यूंकि ३ साल से वो मेरे रूप रंग को देखता आ रहा था. इसलिए वो मुझे एक बार भोगना चाहता था. जब मैंने ये बात सुनी तो मुझे बहुत बुरा लगा की मेरा देवर अब कुछ दिन का मेहमान है. अनिल को ब्लड कैंसर हो गया था. उसके बचने की कोई सम्भावना नही थी. इसलिए मैंने भी तयार हो गयी. मरने से पहले मैं अपने देवर की ख्वाहिश जरुर पूरी करुँगी मैंने सोचा. अगले दिन सुनील[ मेरे पति] बजार से ढेर सारे गुलाब के फूल ले आये. उन्होंने अनिल के कमरे को सुहागरात जैसा सजा दिया. बेड पर साफ और नई चादर बिछा दी. मेरा देवर अनिल मरने से पहले अपनी भाभी यानि मेरे साथ एक बार सुहागरात मनाना मनाता चाहता था. तो उस रात मैं भी खूब सज धज गयी. मैंने अपनी बनारसी साड़ी पहनी थी. ढेर सारा मेकप किया था. पति मुझको लेकर अनिल के कमरे तक ले आई.
लो अनिल! तुम्हारी भाभी आज रात के लिए तुम्हारी है?? मेरे पति ने कहा और मेरा हाथ अनिल के हाथ में दे दिया. हम दोनों ने अनिल को ये नही बताया था की उसको ब्लड कैंसर हो गया है. वरना वो पैनिक हो जाता और समय से पहले ही उसकी मौत हो जाती. डॉक्टर ने कहा था की उसे ये न बताया जाए.
भैया आप भी साथ में सुहागरात मनाओ! अनिल ने कह दिया. मेरी पति थोडा शर्मा गए. ठीक है! मैंने उनकी तरह से हाँ कर दी. अपने देवर को लेकर मैंने कई बार अपनी चूत में ऊँगली की थी और मुठ मारी थी. पर आज देवर का लंड खाने को मुझे मिल जाएगा. एक नया लंड का स्वाद मुझको मिल जाएगा. हम तीनों को सुहागरात शुरू हो गयी. मेरे देवर अनिल ने मुझे अपने बिस्तर पर बिठा लिया. मेरे पति ने पुरे बिस्तर पर गुलाब के पंख तोड़ तोड़ कर बिखेर दिए थे. अनिल और मेरे पति सुनील दोनों ने नए कपडे पहने थे. मेरे देवर मेरे बदन से खेलने लगे, तो मेरे पति भी मेरे पैरों को चूमने लगे. कुछ देर बाद देवर जी ने मुझे नंगा कर दिया. वो मेरे बड़े बड़े मम्मो को वो दबाने लगे.
भाभी रोज तुम्हारे मम्मे ब्लौस के उपर से देखता था, आज मैंने अंडर से देखे है. भाभी तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हरे जैसी हसीना मैं आज तक नही देखी! देवर जी बोले. मैं उनके इस कोम्प्लिमेंट पर बड़ी खुश हुई. क्यूंकि मेरे पति मुझे चोदते तो रोज थे, पर कभी मेरे योवन, मेरे रूप की कभी तारीफ नही करते थे. हर जवान औरत चाहती है की कोई ना कोई मर्द उसकी हर रोज तारीफ़ करे. अनिल [मेरा देवर] मेरे मम्मे पीने लगा. जबकि मेरे पति मेरे चूत पीने लगे. ‘पंखुड़ी बेबी!! मुझे माफ कर देना. तुम सच में बहुत सुंदर हो. मैं कभी तुम्हारी तारीफ ही नही करता हूँ. क्यूंकि मेरा काम मुझको बड़ी टेंशन और तनाव दे देता है. सॉरी बेबी!! पतिदेव बोले.
कोई नही जी !! मैं बोली
देवर जी और मेरे पति दोनों अब नंगे हो गए. देवर जी की ही ये सुहागरात थी. इसलिए उन्होंने मुझे सीधा बेड पर लिटा दिया और मेरे उपर सिर से पाँव तक गुलाब के फूल डाल दिए. मुझे बहुत अच्छा लगा. बड़ी खुशी मिली मुझे. देवर मेरे दोनों स्तन को अपने सख्त हाथ से दबाने लगा. मुझे हल्का हल्का दर्द ही हो रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था. आज किसी दूसरे मर्द के हाथों ने मुझे मेरे गुप्त अंगों पर हाथ लगाया था. मुझे अच्छा लगा. अनिल का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और कुछ देर बाद तो मेरे पति से भी जादा लम्बा हो गया. मन हुआ की देवर से कहूँ की अपनी भाभी को अपना लंड चुस्वाओ, पर फिर सोचा की ऐसा करना सही नही होगा. इसलिए मैंने अपनी इक्षा को दबाए रखा.
अनिल मेरे दोनों मम्मे अपने हाथ से गोल गोल आकार में दबाता रहा और पीता रहा. मेरी पति दूसरी तरह मेरी चिकनी संगमरमरी जांघ को सहला और चूम रहें थे. आज मैं २ २ मर्दों से चुदने वाली थी. अनिल के इस कमरे में मैं आज उसके साथ सुहागरात मनाने आई थी. पुरा कमरा फूलों से महक रहा था. कभी सोचा नही था की अनिल को इस भरी जवानी में कैंसर का रोग हो जाएगा. कभी सोचा नही था की वो कभी मेरी चूत मारेगा. पर दोस्तों, इन्सान जो नही सोचता है, वही उसके साथ होता है. अनिल मेरे होंठ, मेरे लब का बार बार रसपान कर रहा था. आखिर मैं उसकी भाभी थी. मरने से पहले उसकी ये आखरी ख्वाइश तो पूरी कर ही सकती थी. मेरे मेरे माथे को बार बार मुझे अपनी बीबी समझ के चूम रहा था. मेरे दोनों उजले कन्धों को वो चूम लेता था और काट लेता था. मेरे पति अपने छोटे भाई का मेरे लिए उमड़ता प्यार देख कर मुस्कुरा देते थे. कबसे अनिल मुझे और मेरी चूत को भोगना चाहता था. आज उसकी तमन्ना पूरी होने वाली थी. अमिल की आँखों में जहाँ मेरे लिए बेसुमार प्यार था वहीँ मेरी चूत मारने की वासना भी मैं उसकी आँखों में देख रही थी. पतिदेव बार बार मुस्कुराते थे की आज पंखुड़ी तो एक नए मर्द से आज चुद जाएगी. अनिल मुझसे उम्र में छोटा था, इसलिए मुझे उससे किसी तरह की शर्म नही आ रही थी.
तभी अनिल ने मेरा सीधा मम्मा अपने मुंह में भर लिया. आँखे बंद करके मेरे उपर ही लेट गया और पीने लगा. लगा जैसे कोई बच्चा मेरा दूध पि रहा हो. पति मेरी बुर पी रहें थे. करीब एक घंटे तक मेरे दूध पीटा रहा. क्यूंकि वो मेरे साथ अपनी यादगार सुहागरात मना रहा था. मैं उसको किसी भी बात के लिए मना नहीं कर सकती थी. मुझे हर हाल में उसकी इक्छा पूरी करनी थी. अनिल, मेरा देवर मेरे नंगी सपाट, चिकनी पीठ को अपने हाथ से सहलाता था और लेटकर मेरे मम्मे पी रहा था. मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था. इसके पीछे वजह थी की मेरे पति सुनील तो बस मुझे जल्दी जल्दी हर रात चोद लेटे थे, और सो जाते थे. बड़े मतलबी सैंया थे वो. पर आज मेरा देवर अनिल मुझे प्रमिकाओं जैसा प्यार कर रहा था. मुझे बड़ा आनंद मिल रहा था. कुछ देर बाद अनिल मेरे दोनों मम्मे अच्छे से पी चुका.
भाभी! तुम्हारी चूत में ऊँगली करूँगा! वो बोला.
ठीक है देवर जी, कर लो ! मैंने कहा.
मेरी पति अब मेरी चूत ने हट गए. वो मेरे सिरहाने आ गए. उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया. मैं चूसने लगी. मेरा देवर अनिल मेरी चूत पर आ गया. मैंने आज सुबह ही अपनी झांटे बना ली थी. क्यूंकि मैं अपने देवर को खुश करना चाहती थी. अनिल ने अपने दोनों अंगूठे से मेरी चूत रबर की तरह फैला दी. उसको मेरी बड़ी सी फटी फटी चूत के दीदार हो गए. मेरा भोसड़ा अच्छी तरह से फट चुका था. क्यूंकि मेरे पति मुझे हर रात चोदते थे. इसलिए मेरा भोसड़ा अच्छे से फट चुका था.
मेरे देवर अनिल के मुंह में मेरा भोसड़ा देख के पानी आ गया.
भाभी!! तुमने तो भैया का खूब लंड खाया है! अनिल हँसते हुए बोला
हाँ देवर जी, तुम सही कहते हो! मैंने कहा.
अनिल ने अपने अन्गुठे से जब मेरा भोसड़ा फैलाया तो मेरे मूतने का छेद और उनके नीचे मेरी चूत के दर्शन उसको हो गए. मेरी चूत अंडर ने सफ़ेद सफ़ेद चमड़ी वाली थी, जैसा जादा हिन्दुस्तानी औरतों की चूत की चमड़ी अंडर से सफ़ेद सफ़ेद होती है. अनिल मेरी चूत पीने लगा. मुझे बड़ी खुशी हुई. क्यूंकि मेरे पति शादी के दिनों में मेरी चूत पिया करते थे. फिर धीरे धीरे उन्होंने मेरी चूत पीना बिल्कुल बंद कर दी. मेरा देवर अनिल आज मेरी चूत पी रहा था. फिर उसने अपना मुंह हटा लिया और अपनी दो लम्बी उँगलियाँ मेरे भोसड़े में डाल दी. मुझे तो स्वर्ग ही मिल गया था. अनिल अपनी २ लम्बी उँगलियाँ जल्दी जल्दी मेरी चूत में चलाने लगा. मैं तो मजे में डूब गयी.
मेरा देवर अनिल तो बड़ा शरारती निकला. जहाँ एक तरह वो मेरे बड़े से फटे हुए भोसड़े में अपनी लम्बी २ उँगलियाँ जल्दी जल्दी चला रहा था, वहीँ वो अपने उन्गुठे ने मेरी मूत करने के छेद को सहला रहा था. बाप रे!! उत्तेजना और सनसनी मेरी चूत में बहुत जादा होने लगी. मन हुआ की जहाँ से मैं मूतती हूँ, काश उसमे भी अनिल अपना लंड डाल दे और मुझे पेले. बजाए. उधर मेरे पति मेरे सिरहाने पर आकर खड़े हो गए थे, और मुझे अपना लंड चुसवा रहे थे. दोस्तों, मैं बता नही सकती हूँ की मुझे कितनी मौज आ रही थी. लग रहा था की २ २ लंड मुझको चोद रहें है. अनिल की शरारतों ने तो मेरी जान ही निकाल दी. मेरी चूत से मक्खन निकलने लगा. मारे उत्तेजना के मैं मूतने लगी तो अनिल ने अपना मुंह लगा दिया और मेरा सारा मूत वो पी गया. मुझे बड़ी खुशी हुई. कई मिनटों से वो अपनी २ मोटी मोटी ऊँगली मेरी चूत में कर रहा था, इससे मेरा भोसड़ा और खुल गया और छेद और चौड़ा हो गया.
देवर जी! अब अपनी भाभी को और मत सताओ! मुझे अब तुम चोदो और सुहागरात मनाओ! आखिर मैंने कह ही दिया. यह सुनते ही जैसे अनिल को नया उत्साह आ गया. फटाफट उसने अपना मोटा लंड मेरे भोसड़े में खोंस दिया और मुझे चोदने लगे. उधर मेरे पति सुनील मेरा दूसरी तरह मुंह चोद रहें थे. एक साथ २ २ लौडे का स्वाद मुझको मिल रहा था. देवर जी कबसे मेरी चूत का भोग लगाना चाहते थे. आज जाकर उनका सपना पूरा हुआ था. वो मुझे फट फट करके भांज रहें थे. पति मेरे मुंह में चोद रहें थे. देवर जी मेरे मम्मो को सहला रहे थे. वो मेरी चूत पर अब बड़ी मेहनत कर रहें थे. आ ममा माँ माँ ऊई उई आह आह्हह्ह !! मैं गरम चुदासी होकर गरमा गरम सिसकियाँ ले रही थी. अनिल मुझे जादा से जादा, गहरा से गहरा चोदना चाहता था. मन हुआ की उसे बता दूँ की उसको कैंसर हो गया है. फिर सोचा की बेचारे का सारा मजा तुरंत खत्म हो जाएगा. इसलिए ये रात उसको ना पता चलने पाये. वो मुझे घप घप करके भांजता रहा, मैं बस उसकी सूरत ही निहारती रही. बताओ जवानी में क्या किसी की मरने की उमर होती है. मैं तो बस अपने देवर जी अनिल को ही देख रही थी.
अनेक जोरदार धक्के देकर वो मेरी चूत में ही झड गया. अब मेरे पति मेरी चूत पर आ गए. उनका लंड खड़ा था, रेडी था, इसलिए वो मुझे ठोकने लगे. अनिल, मेरा देवर मेरे बगल ही लेट गया. उसे पसीना आ गया था. मैं उसके सीने पर उसके काले काले सीने के बालों को सहलाने लगी. वो अभी बांका छोरा था. मेरी पति सुनील ने मुझको २० मिनट तक लिया फिर वो भी झड गए. अनिल एक बार फिर से तयार हो गया था.
भाभी! कुतिया बनो!! वो बोला.
मैंने कोई बहाने नही मारे. कुतिया बन गयी. अनिल ने एक बार फिर से मेरी चूत में लंड खोस दिया. और मुझे लेने लगा. जोश जोश में वो मेरे चूतडों पर जोर जोर से थप्पड़ लगा देता. उसकी मार ने मेरे चुतड लाल लाल हो जाते. ऐसा करते हुए अनिल ने मुझे काफी देर ठोका, फिर मेरे मस्त मस्त चूतडों पर ही उसने अपना सारा माल गिरा दिया. दोस्तों, अनिल के साथ मेरी सुहागरात बड़ी मस्त रही. रात भर उसने मुझे कई बार लिया. पर २ हफ्ते भी ना बिता की अनिल चल बसा. मैं उसकी याद करके बहुत रोई. मेरे पति ने उसका अंतिम संस्कार किया. आज भी मैं उसके साथ बितायी वो सुहागरात याद करके हर रात रोती हूँ. ये कहानी आप नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहें है.
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