अपनी दोस्त के चूत चुदाई का रिश्ता
आज मैं आपको अपनी एक दोस्त की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसके साथ मेरा दोस्ती के अलावा कोई और रिश्ता तो नहीं था पर हाँ मैं उसकी चूत की आग में जलने को कुछ भी कर सकता था | हम कॉलेज के दिन से एक साथ ही रहा करते थे और हम दोनों एक दूसरे को दूसरों से ज्यादा ही समझ थे | मैं जब भी तनहा होता तो वो ही मेरे खालीपन को भर दिया करती थी | मैं भी जवानी की सीढियां चढ रहा था और अब तो मेरे अंदर भी जवानी की सिटी बजाने लगी थी | मैं अब अपने लंड के बात बात पर तन जाने से परेशान हो चूका था | अब तो जैसे मैं हर लड़की को छोड़ने की राह ढूंढे लगा था |
मैं अब जब भी अपनी दोस्त के साथ रहता तो उसके बार मुझे छूने पर मेरे अंदर जैसे गिटार बजने लग जाते थे | अब मैं भी कभी अपने होश गंवाते हुए उसके हाथों पर अपनी हथेली को लहराने लग जाया करता था | वो बस उस काम्दीन एहसास में डूबती हुई मुझे रोक नहीं पाती थी | अब इस तरह एक दूसरे को छूना हमारे बीच बढता जा रहा था और मैं भी जब बेसब्र होने लगा तो एक दिन उसे शाम को बुलाया और अपनी गाडी में कहीं घूमने के बहाने ले गया | मैं पहले उसके हाथ पर आने हाथ को लहर रहा था जिसपर उसने तो बस चुप्पी साधी हुई थी तभी मैंने एक खाली जगह पर गाड़ीको रोक दिया और बिना कुछ सोचे समझे बस उसे चूम लिया |
मेरे उसके बदन को सहलाने से वो पहले से ही इतनी गरमा चुकी थी मुझसे चुम्मा – चाटी करते हुए खो ही गयी | मेरे अंदर अब बेसब्री बढती गयी तो मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर चुम्मों से गरम करता हुआ वहीँ सीट पर पर लिटा दिया और उसकी टांगों से लकर जाघों को सहलाते हुए उसके टॉप को उतारने लगा | उसके नंगे चुचों को देख मैं उससे लिपटकर उसके चुचों के पीने लगा और उसकी नीचे की पैंट और पैंटी को भी उतार दिया | मैं उसकी नंगी चूत को देख अपनी उँगलियों को रोक न सक और मैंने मैंने उसकी चूत की फांकों में अपनी उँगलियों को देना शुरू कर दी | अब उसकी चूत गीली होने लगी थी |
अब उसकी गीली तैयार चूत पर मैंने अब अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत पर रगड़ते हुए जोर के धक्के से घुसा दिया जिससे उसे पहले दर्द भरी सिसकियाँ निकल रही थी पर मैंने उससे लिपटे हुए चुम्मों से सहयोग दे रहा था जिससे उसने कुछ देर उस दर्द को ध और और जब उसकी चूत में फिर चुदाई की गुदगुदी पनपने लगी तो मैंने फट से उसकी चूत धम्म से लंड की गहराई में ध्न्साता हुआ छोड़ने लगा | हमारी चुदाई से पूरी गाडी इधर – उधर हिल रही थी | मैं उस दिन अपनी ही दोस्त के साथ सेक्स का रिश्ता बना लिया था और अब तो हम एक दूसरे के और भी करीब को गए मन से भी और तन से भी . . !!
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