अपने जिगरी दोस्त की खूबसूरत बहन को पटाकर उसकी चूत का शिकार किया

 
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हाय दोस्तों, अरमान आप सभी दोस्तों का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में स्वागत करता है. मेरी कई फ्रेंड्स अपनी अपनी चुदाई भरी सेक्सी कहानियां इस वेब साईट पर सुनाई है. तो मैं ही क्यूँ पीछे रहू. मैं अभी आप सभी को अपनी चुदाई कहानी सुनाना चाहता हूँ. आदर्श मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त था, मेरे घर के पास ही रहता था. हम दोनों साथ में ही बड़े हुए थे. जब भी मैं उसके घर जाता था, तो उसकी मम्मी मुझे बहुत प्यार करती थी. तुरंत चाय लेकर आती थी. छुट्टी वाले दिन जब भी मैं आदर्श के घर जाता था, उसकी मम्मी मेरे लिए प्याज, गोभी की पकोडीयाँ बनाती थी. आदर्श की एक बहन भी थी जिसका नाम रेखा था.

 शुरू शुरू में वो मेरे सामने नही आती थी. सायद शर्माती हो. हमेशा दरवाजे के पीछे छिप पर नमस्ते करती थी करती थी. दिन बितते गए और कई साल बीत गए. एक दिन मैंने रेखा तो देखा तो देखता ही रह गया. जो लड़की कल तक एक बच्ची लगती थी, आज वो एक मस्त मॉल बन गयी थी. उसकी छातियाँ भी उभर आई थी. रेखा अब नारीत्व को प्राप्त हो गयी थी. अब वो काफी लम्बी हो गयी थी. जहाँ कल तक मैं उसको एक बच्ची की नजर से देखता था, वहीँ अब मेरा नजरिया बदल गया था. अब मैं उसको एक माल की नजर से देखने लगा था. कई बार रेखा मेरे लिए चाय लेके आती थी.

और अरमान भैया आप कैसे है? आपकी पढाई कैसी चल रही है? रेखा मुझसे पूछती थी.

धत तेरे की! मेरा तो करम करम फुट गया, मैंने खुदे से कहा. मैंने रेखा को कुछ नही कहा. जी तो हुआ की कह दू ऐ रेखा मुझको भैया वैया मत कहा कर. तू इतनी गजब की माल है. मुझको भैया कहेगी तो कितना बुरा लगेगा मुझको. पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा.

ठीक हूँ रेखा! मेरी पढाई भी ठीक चल रही है! मैंने जवाब दिया.

तुम सुनाओ! तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है?? मैंने पूछा.

अरमान भैया! मैं मैथ्स में बहुत कमजोर हूँ. अगर आप मुझे पढा दे तो बहुत अच्छा हो! रेखा बोली. इतने में मेरा दोस्त आदर्श और उसकी माँ जी भी आ गयी.

रेखा ठीक ही तो कह रही है! अरमान इसको पढा दो यार ! आदर्श बोला. मैं तुरंत मान गया क्यूंकि अब मुझको रेखा जैसे मस्त माल से रोज मिलने का मौका जो मिल जाएगा. १ हफ्ते बाद मैंने अपने दोस्त आदर्श की बहिन रेखा का ट्यूशन शुरू कर दिया. वाकई वो मैथ्स में बहुत कमजोर थी. पर उसके रूप रंग और यौवन को देख के तबियत खुश हो जाती थी दोस्तों. जिस तरह से किसी अंधे काने को देख के मूड खराब हो जाता है, उसी तरह रेखा जैसी मस्त माल को देख के तबियत हरी हो जाती थी. मैंने ट्यूसन शुरू कर दिया. जब रात में घर जाता था तो रेखा हो रेखा मेरे दिलो जान में छाई समाई रहती थी. उसके खुले काले लम्बे बाल, गोरे गोरे अमरुद जैसे गालों को देखके यही दिल कहता था की उनको जबरन खींच लू और गालों को दाँतों से काट लूँ. उसकी टाँगे फैलाकर खोल दू और जीभरके चोद लू साली को. जो होगा बाद में देखा जाएगा.

पर दोस्तों, सबसे बड़ी मुसीबत थी रेखा मेरे जिगरी दोस्त की बहन थी. अगर मैं उसके साथ जोर जबरदस्ती कर दू तो क्या इज्जत रह जाएगी मेरी मेरे जिगरी दोस्त आदर्श की नजर में. बस यही सोच सोच कर मैं खुद को रोक लेता था, वरना रेखा के उछलते मम्मो को मैंने कबका बस के होर्न की तरह दाब दिया होता. मैंने अपनी तरह से ऐसी वैसी कोई हरकत नही की. मैंने उसको मन लगाकर २ घंटे पढाता. वो मेरे सामने की बैठती. जब वो झुककर लिखती तो उसके गोल गोल बड़े बड़े मम्मो के दर्शन हो जाते. बस मैं उसको देख के ही तृप्त हो जाता. जब घर पहुचता तो अपने कमरे में जाकर मुठ मारता. यही सिलसिला ६ महीना चला दोस्तों. फिर अचानक से रेखा का व्यवहार मेरे पति बदल गया. वो एक एक बात खोद खोद के पूछने लगी. जैसे आप कहाँ थे?? मैंने कितने देर से आपका इतंजार कर रही थी?? वगेरह वगेरह. मैं सोच सोच कर पागल हो रहा था की आखिर इसको हो क्या गया है. फिर एक दिन रेखा से मेरी मैथ्स की बुक में मेरे नाम एक लव लेटर चोद दिया.

अरमान भैया!! मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ!! प्लीस आप इसको पढकर मत गुस्साना और मम्मी और आदर्श भैया से मत कहना! ये उसमे लिखा था. दोस्तों, मैं सक बता रहा हूँ, मुझको जरा भी गुस्सा नही आया. क्यूंकि मैं तो चाहता ही था की किसी तरह रेखा मुझसे पट जाए. अगले दिन मैंने उसके लव लेटर का जवाब चुपके से उसकी कॉपी में रख दिया.

मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ रेखा! देखो हम दोनों प्यार जरुर करेंगे पर ये बात सेक्रेट ही रहें तो अच्छा है. किसी को हमारे चक्कर के बारे में पता नही चलन चाहिए!!  मैंने जवाब लिखा. हम दोनों गुरु चेली की लव स्टोरी चल पड़ी. अब तो मैं रेखा को ३ ३ घंटे उसके कमरे में पढाता रहता. मेरा जिगरी दोस्त आदर्श और उसकी मम्मी भी बहुत खुश थी की मैं रेखा को कितनी महनत से पढाता हूँ. हमारे प्यार की शुरुवात नजरे मिलाने से हुई. फिर एक दूसरे का हाथ पकड़ने लगे, धीरे धीरे हम चुम्मा चाटी तक आ गए. जब मेरा नियम बिलकुल बदल गया था. अब जब मैंन रेखा के कमरे में आता था तो सबसे पहले हम दोनों जोर जोरी करते थे. वो तुरंत मेरे पास आ जाती थी और मुझसे चिपक जाती थी. मैंने उसको खूब गाल, गले, होंठों पर चूमता था. उसके चूचे भी दबा देता था. वो बड़ा खुस होती थी. उसको खूब मौज आती थी.

जब हम दोनों लप्पा झप्पी कर लेते थे, तब पढाई स्टार्ट होती थी. एक दो बार तो हम दोनों बच गए थे वरना उसको मम्मी और मेरी मुह्बोली आंटी हमदोनो तो रंगे हाथों पकड़ लेती. इसी बीच दोस्तों, एक दिन आदर्श के पिताजी को हार्ट अटैक पड़ गया. आदर्श और उसकी माँ हॉस्पिटल में थे. मैंने उनको देखने वहां गया.

अरमान बेटा! रेखा से कह देना की आज रात मैं और आदर्श यही हॉस्पिटल में रुकेंगे. उससे कह देना की ट्यूशन पढकर खाना बनाकर खा ले. हमारा इंतजार न करे. और बेटा कह देना की खिडकी दरवाजे अच्छे से बंद करके सो जाए आदर्श की मम्मी से मुझसे कहा. मैं जब रेखा की घर पंहुचा तो यही ख्याल आ रहा था लौंडिया को चोद लो गुरु! ऐसा सुनहरा मौका दोबारा नही मिलेगा! यही मेरा दिल कह रहा था. जैसे मैंने रेखा के घर की बेल बजाई वो लाल चुस्त टॉप और शोर्ट्स में निकली. लाल टॉप पर उसके चुस्त नारियल से नुकीले चूचों को देखकर मेरे मुह में पानी आ गया. रेखा मुझसे देखकर मुस्काई. मैं अंडर गया. हम दोनों टेबल कुर्सी पर बैठ गए. रेखा मुस्काने लगी. मैं जान गया की मौका सही है, पेल दो अपने दोस्त की जवान बहन को. चोद दो आज साली को. फाड़ दो चूत इस नई नई जवान लौंडिया की.

दोस्तों, मेरे दिमाग और लंड में बस एक चीज की गूंज रही थी. चोदो चोदो !! आज रेखा को चोदो! बस यही शब्द मेरे दिमांग में नाच रहें थे.

ऐ रेखा!! आज खेलोगी ?? मैंने धीरे से कहा

वो समझ गयी की मैं उसको चोदने की बात कर रहा हूँ. रेखा अभी मुश्किल से १८ की हुई होगी. अभी bsc फर्स्ट इयर में थी. लड़की बिलकुल जहाँ थी. कुछ चड वो सोचती रही, फिर मेरे पास आ गयी. आज पहली बार मैं उससे खुल छिपका चिपकी कर रहा था. क्यूंकि आज न यहाँ आज आदर्श था न उसकी मम्मी थी. मैंने कसके रेखा को बाँहों में भर लिया. खूब खुल्कर चुम्मा चाटी करने लगा. आज कई महीनो बाद मैंने रेखा के स्तनों को खुल कर छूने का सहस कर रहा था. किसी लौंडिया के मम्मो को हाथ लगाना एक बड़ी बात होती है. रेखा दूसरे तरह मुह करके शर्मा रही थी. मैंने अपनी कुर्सी पर उसे अपनी गोड में बैठा लिया था. रेखा मेरी गोड में बैठी हुई थी. मेरे हाथ उसके सबसे संवेदनशील अंगों को छू रहें थे. नारियल जैसे आकार वाले उसके मस्त नुकीले मम्मो को आज मैंने अपने हाथों में भर लिया था. जैसे शराबी शराब का घूट धीरे धीरे पीते है, बिलकुल उसी तरह मैं उसके नुकीले रसीले दूधों को धीरे धीरे दबा सहला रहा था. मेरी जींस में मेरा लंड उफ्फान मार रहा था. चोद दो !! चोद दो !! इस रेखा को आज चोद दो !! मेरा लंड मुझसे बार बार कह रहा था.

रेखा बॉयकट बालों में रहती थी. उसने लज्जा से मुह दूसरी ओर कर लिया था. उसके बालों में उसका चेहरा छिप सा गया था. मैंने रेखा के बालों को कान से दूसरी ओर किया. ऐ रेखा!! रोज तो बड़ी उतावली रहती थी ! आज जब मौका मिला है तो शर्म कर रही हो?? मैंने रेखा से कहा. बड़ी मुश्किल से वो मेरी ओर देखने को राजी हुई. हाय मर जाऊ मैं सौ सौ बार उसके इस हुस्न और लज्जा पर. दोस्तों, शर्म करती हुई लौंडिया को चोदने में ही आलसी सुख मिलता है. इंडियन लड़कियों का गहना है ये शर्म हया. मैंने उसके गुलाबी होठों पर पर होंठ रख दिए. अब वो खुल गयी. मैंने उसको अपनी गोद में ही बिठाये रखा. रेखा से अपने हाथ मेरे दोनों कंधों पर रख दिए. मैंने उसके होंठों पर चुमबन लेने लगा. उसकी साँसों की महक मैंने महसूस की. तभी मैंने उसके बाए उरोज पर हाथ रख दिया. मम्मे के भीतर ही रेखा का दिल था जो धकर धकर कर रहा था. अब विलम्ब करना जरा भी उचित नही था. मैंने रेखा के टॉप को नीचे से पकड़ा, उसने हाथ ऊपर कर लिए, मैंने उसका लाल टॉप उतार दिया. जवान गदराए जिस्म की गंध मेरी नाक में समा गयी. रेखा से अपने दोनों स्तनों को छिपाने की कोसिस की. अपना मुह दूसरी ओर कर लिया. मैंने उसकी पीठ में हाथ डाल किया. उसकी सफ़ेद ब्रा के हूक्स खोल दिए. रेखा तो शर्म से पानी पानी हो गयी. मैंने उसकी नंगी मक्कन जैसी चिकनी पीठ में हाथ डाल उसे कस लिया और सपने समीप ले आया. रेखा के बॉयकट उसके चेहरे को छिपा रहें थे. मैंने एक बार फिर से उसके बालों को उसके कान के पीछे धकेल दिया. रेखा से आँखे बंद कर ली. शीघ्र ही चुदने वाली लड़की का कमसिन सौंदर्य मैं देखना चाहता था. मेरी बढ़ती हरकतों के साथ रेखा का कलेजा भी धकर धकर करने लगा.

डरों मत रेखा!! चुदाई कोई बहुत बड़ी बात नही होती होती है! कुछ मिनटों का खेल ही होता है ये. हाँ लेकिन कोई भी लड़का हो या लड़की जीवन भर अपनी पहली चुदाई जरुर याद रखता है, ये तो है !! मैंने रेखा से कहा. रेखा तो बिलकुल मोम का बुत बन गयी थी दोस्तों. मैंने अपने अधर उसके निष्पाप निर्दोष स्तनों पर अन्तः लगा ही दिए. उसके मम्मो का मैं रसपान करने लगा. आह !! सायद उस जैसा सुख मुझको जीवन में दोबारा प्राप्त न हो. उसके कुंवारे निष्पाप निर्दोष स्तनों व चूचकों को मैंने मुह में भर लिया जैसे लोग मिठाई को मुह में भर लेते है. मेरी आँखे इस्वर के इस चमत्कार के आगे नतमस्तक हो गयी. दोस्तों, मेरी आँखे स्वतः बंद हो गयी. मैंने रेखा के मस्त मम्मो को पीने लगा. रेखा मेरी गोद में बैठी रही. मेरे दोनों कन्धों को उसने हाथों से पकड़ लिया था. मैंने उसके चूचों का रसपान करने लगा.

धीरे धीरे मेरी वासना उसके सौंदर्य पर पिघलने लगी. रोजाना मैं रेखा को टेबल कुर्सी पर पढाता था. पर टेबल बहुत ऊंची थी. टेबल पर अपने जिगरी दोस्त की बहन की चूत का शिकार करन नामुमकिन था.

रेखा कहाँ करूं?? मैंने उससे पूछा

वहां सोफे पर !! वो बोली

मैंने रेखा को गोद में उठा लिया और पास पड़े सोफा पर ले जाकर लिटा दिया. एक तरफा चुदाई तो हो नही सकती थी. इसलिए मैंने अपने कपड़े भी निकल दिए. अब रेखा पूरी तरह सोफे पर लेती थी. मैं एक हाथ से जहाँ उसका एक मम्मा दबा रहा था वही मुह में भरके उसके निष्पाप, निर्दोष, कुंवारे मम्मो को पी रहा था. मुझको चरमसुख मिल रहा था. नंगी गोरी चुदासी रेखा का हुस्न तो देखते ही बन रहा था दोस्तों. मैंने उसके अमरुद जैसे गोरे गालों पर कसके काट लिया, जिससे वहां मेरे दांतों का निशाँन बन गया. मैंने उसकी शोर्ट्स की बटन खोल दी. फिर उसकी जीप खोल दी. एक बार फिर से रेखा के दोनों हाथ उसके गुप्त स्थल को छिपाने के लिए स्वतः दौड़ गए. मैंने बड़ी मुश्किल से उसके हाथ वहां से हटाए. रेखा की मस्त चिकनी टांगों और जाँघों के बीच से उसकी मादक बुर की गंध मेरे नाक में चली गयी. जैसे भेडिये अपने शिकार को सूंघ लेता है, वैसे मैंने उसकी बुर को सूँघ लिया था. आज शाम मुझसे अपने जिगरी दोस्त की बहन की चूत का शिकार करना ही था.

जब मैं उसकी सफ़ेद पैंटी उतरने लगा तो रेखा मना करने लगी. नही नही !! वो बोली. मैंने कुछ नही सुना. बस तुरंत ताकत लगा उसकी पैटी उतार दी. दोस्तों, उस मस्त गरमाई भट्टी सी जलती चूत की खुसबू मेरी नाक में चली गयी. वो रोकती रही पर मैं न मना. उसके हाथों को हटकर उसका बुरपान करने लगा. जैसे शराबी मदिरापान करते है वैसे मैंने रेखा की चूत का बुरपान करने लगा. रेखा की बुर और उसकी खाल बहुत चिकनी थी. थोड़ी सावली जरूर थी, पर मजा पूरा आ रहा था. मैंने जीभ फेर फेर कर रेखा की बुर पीने लगा. रेखा शर्म से मरी जा रही थी. अपने दोनों स्तनों को छिपाने की असफल कोसिस कर रही थी. मैंने भर पेट रेखा की चूत का बुरपान किया. अब मैंने अपनी जींस उतर दी. लौडे को एक दो बार मुठ मारकर सेट किया. मेरा लौड़ा अब टनना गया. मैंने उगली से रेखा की बुर खोल के देखा तो ज्ञात हुआ की अभी वो कुंवारी है. मैंने लौड़ा लगाया और धक्का दिया. रेखा की सील टूट गयी. मैं उसको मस्ती से चोदने लगा. वो दर्द से चीखने लगी, पर मैं उसको कसके पकड़ रखा और भागने नही दिया.

रेखा को मैं चोदता रहा. कुछ देर बाद स्वतः उसका दर्द कम हो गया. अब मैं जोर जोर से रेखा को चोदने लगा. अनगिनत झटके मारे मैंने और १ घंटा चोदा. फिर मैं घर लौट आया. उस दिन के बाद से हम दोनों के रोमांस ने बहुत जोर पकड़ा. पूरे ३ साल तक मैंने अपने जिगरी दोस्त आदर्श की बहन का चूत का शिकार किया और उसको चोद चोद के उसकी बुर फाड़ दी. मुझे यकींन है की जिस तरह नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम दूसरे फ्रेंड्स की कहानी पब्लिश करते है, वैसे वो मेरी भी कहानी पुब्लिश करेंगे. फ्रेंड्स आगर आपको मेरी कहानी पसंद आये तो आप जरुर कमेन्ट लिखे और अपने सुझाव दे.



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