आंटी की कार में चुदाई

 
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`हैल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम हरी पटेल है और मेरी उम्र 28 साल और में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ. दोस्तों जब में छोटा बच्चा था, तब से ही मुझे सेक्स में बहुत रूचि रही है और इसलिए मुझे चुदाई करना बहुत अच्छा लगता है और अब में सेक्सी कहानियाँ पढ़कर कई बार मुठ मारकर अपने लंड को शांत कर लेता हूँ और मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि मुझमें सेक्स की चाहत फूट फूटकर भरी हुई है और मुझे सेक्सी आंटियां बहुत पसंद है, उसमें भी जो आंटी एकदम टाईट ब्लाउज के साथ साड़ी पहनती है, वो मुझे बहुत अच्छी लगती है और मेरा मन उन्हें पकड़कर चुदाई करने का होता है.

मैंने कई बार बहुत सी प्यासी चूत की आंटी, भाभी को चोदकर संतुष्ट किया है और आज में आप सभी को अपनी एक ऐसी ही हॉट, सेक्सी आंटी के साथ चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें मैंने उसकी प्यासी चूत को चोदकर संतुष्ट किया और वो मेरी उस चुदाई से बहुत खुश हुई और अब में वो घटना थोड़ा विस्तार से आप लोगों को बताता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि जिसको पढ़कर आप सभी को बहुत मज़ा आएगा.

अब में सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ. दोस्तों हमारे घर के पास एक बहुत बड़ा सब्जी मार्केट लगता है और में ज़्यादातर वहां पर जाता नहीं था, क्योंकि बाजार में कभी कुछ हमारे लायक काम होता ही नहीं था. एक दिन मुझे ऐसे ही भूख लगी और में नाश्ता करने फ़ूड स्टॉल पर निकल पड़ा, वो फूड स्टॉल सब्जी मार्केट में ही है, में वहां पर स्नेक्स ले ही रहा था कि उतने में वहां पर एक बहुत सुंदर, हॉट, सेक्सी आंटी भी नाश्ता करने पहुंची.

उसने काले कलर का ब्लाउज काली कलर की साड़ी पहनी हुई थी और वो दिखने में बहुत आकर्षक लग रही थी और उस समय में भी अकेला था और वो भी अकेली थी, वो एकदम मेरे सामने खड़ी हुई थी और अपना ऑर्डर लिखवा रही थी. दोस्तों वहां पर हम दोनों के अलावा और कोई नहीं था, क्योंकि वो दोपहर का समय था और मुझे वो आंटी बहुत पसंद आई, इसलिए में उसे घूर घूरकर देखने लगा और वैसे मेरी नज़र लड़कियों को देखने में बहुत खराब है तो शायद पांच मिनट के बाद उसने मेरी नजर पर गौर किया कि में उसे घूर रहा हूँ.

फिर उसने भी मेरी तरफ थोड़ा सा स्माईल किया और मैंने भी वैसा ही किया, शायद दस मिनट तक हमने स्माईल किया और एक दूसरे को देखते रहे. में बस उससे अब बात करने ही वाला था और उतने में उसके पड़ोस में रहने वाला एक लड़का आ गया और वो उससे बातचीत करने लगा और बातों ही बातों में वो दोनों चल निकले.

फिर मैंने अपने घर पर जाकर उसको सोचकर बहुत बार मुठ मारी, क्योंकि वो आंटी थी ही इतनी जबरदस्त. दोस्तों में कभी मार्केट नहीं जाने वाला था, लेकिन अब में हर रोज उसी समय वहां पर पहुंचने लगा कि शायद वो मुझे दोबारा मिल जाए. फिर दस दिन के बाद में आईसक्रीम पार्लर पर आईसक्रीम लेने चला गया.

दोस्तों वहां पर सिर्फ एक सफेद कलर की कार आकर खड़ी हुई और उसमें से एक सुन्दर औरत बैठी थी और जिसका में बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था. फिर वह औरत निकली और उसका पूरा ध्यान मुझ पर ही था, क्योंकि में थोड़ा दूर था और उसको देखकर में तो बहुत खुश हो गया, में उसके पास गया और अब में उसके पास में जाकर खड़ा हो गया और मैंने अपना पर्स जानबूझ कर नीचे गिरा दिया और में वो पर्स लेने जैसे ही नीचे झुका तो मेरा सर उसकी जांघ को थोड़ा छू गया और फिर जब में अपना पर्स लेकर खड़ा हुआ तो मैंने आंटी को सॉरी बोला.

तभी वो आंटी मुझे पहचान गई. उसने मुझसे कहा कि कोई बात नहीं ऐसा कभी कभी होता है, वो मुझे अच्छी तरह से पहचान गई थी और फिर हम दोनों धीरे धीरे बातें करते हुए वहां से बाहर निकले. मैंने आंटी का नाम पूछा, दोस्तों आंटी का नाम सुप्रिया था. फिर मैंने उनसे उनका मोबाईल नंबर माँगा तो वो मुझसे पूछने लगी कि तुम्हें मेरा मोबाईल नंबर क्यों चाहिए? अब में थोड़ा सा घबरा गया, लेकिन तब तक हम बाहर आ चुके थे और उन्होंने मुझे उसकी गाड़ी में बैठने को कहा और में तुरंत उनकी कार में जाकर बैठ गया.

फिर कुछ देर बाद वो अपनी गाड़ी को वहां से थोड़ी दूर पर एक सुनसान जगह पर ले आई. मैंने देखा कि वहां पर एक बहुत बड़ा मैदान था और उसने अपनी कार को रोककर गाड़ी की लाईट को बंद कर दिया. उस समय करीब रात के 10:30 बजे होंगे और वहां पर सुप्रिया मुझसे पूछने लगी.

सुप्रिया : क्यों तुम्हें मेरा फोन नंबर किस लिए चाहिए?

फिर में कुछ नहीं बोल पाया और में अपना मुहं इधर उधर घुमाने लगा. मेरे मुहं से कोई भी आवाज नहीं निकल रही थी और उतने में ही उसने अपना एक हाथ उठाकर मेरे लंड पर रख दिया. दोस्तों में उसकी इस हरकत से थोड़ी देर के लिए बिल्कुल दंग रह गया कि यह क्या कर रही है? तो थोड़ी देर हाथ फेरकर वो मुझसे कहने लगी कि क्यों तू मुझ पर बहुत लाईन मारता है और क्या में तुझे बहुत अच्छी लगी?

में : हाँ आंटी, जब से मैंने आपको उस दिन फूड स्टॉल पर देखा था, तब से मुझे हर तरफ बस आप ही आप दिखती हो और आपको सोचकर तो में बहुत बार मुठ मार चुका हूँ.

सुप्रिया : अच्छा, क्या में तुझे इतनी पसंद हूँ? तो चल फिर आज सच में ही तू मुझे चोद दे.

दोस्तों यह बात बोलकर उसने ज़ोर से मुझे पकड़कर लिप किस दे दिया. करीब दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठो को चूसते रहे और एक दूसरे के मुहं में अपनी अपनी जीभ को डालते रहे, वाह दोस्तों क्या गरम सेक्सी आंटी थी? फिर उससे बात करके मुझे पता चला कि वो एक बहुत पैसे वाली है और उनका पति एक रंडीबाज है, वो हर रोज दारू सिगार पीता है और उस पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है और उनकी ज़्यादा बनती भी नहीं है, इसलिए वो भी बाहर कोई शिकार ढूंढ रही है. फिर हम दोनों ने कार की सीट को पूरा पीछे किया और फिर आंटी ने धीरे से मेरी पेंट को उतारकर मेरे अंडरवियर को खोलकर वो मेरे लंड से खेलने लगी. दोस्तों शायद वो मेरा लंड पकड़कर बहुत ख़ुशी महसूस कर रही थी, वो मेरा लंड पकड़कर ज़ोर से हिला रही थी.

फिर वो लंड को धीरे धीरे चूसने लगी और लंड के नीचे की गोलियों से भी खेलती रही और अब वो मेरे लंड को पूरा मुहं में लेकर थूक थूककर पूरा लंड मज़े से चूस रही थी और मेरे चेहरे के हावभाव को देखकर वो और भी गरम हो रही थी. दोस्तों करीब 15 मिनट तक उसने मेरे लंड को पकड़कर चूसा और हिलाती रही, लेकिन उतने में ही मेरा पानी निकल गया और सारा पानी पी गई, वो चूस चूसकर मेरा पूरा पानी निकालकर पी गई. फिर धीरे से मैंने उसकी साड़ी, ब्लाउज को उतारकर ब्रा को भी उतार दिया, वाह दोस्तों उसके क्या मस्त दूध के जैसे सफेद बूब्स थे और हल्के गुलाबी निप्पल थे.

फिर मैंने झट से उसके एक बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा, लेकिन दूसरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और अब आंटी बिल्कुल पागल हो रही थी, वो जोश में आकर मेरे हाथ पर अपने दोनों हाथ रखकर मुझसे अपने बूब्स को ज़ोर से दबवा रही थी और धीरे धीरे सिसकियाँ ले रही थी, जिनको सुनकर में पूरी तरह जोश में आ रहा था.

फिर आंटी ने मुझे खड़ा करके वो खुद मेरे पास की सीट पर आकर बैठ गयी और फिर मैंने धीरे से उसकी साड़ी को ऊँचा करके देखा तो उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. मैंने तुरंत उसकी पेंटी को उतार दिया, वाह दोस्तों क्या सेक्सी चूत थी उनकी, वो थोड़े थोड़े बाल के बीच में गुलाबी गुलाबी जैसे कोई फूल खिला था ऐसी दिख रही थी.

मैंने सुप्रिया की चूत में अपनी दो उंगलियों को डाल दिया और धीरे धीरे हिलाने लगा और अंदर बाहर करने लगा और उसको लगातार किस किए जा रहा था. दोस्तों मुझे चूत चाटने का बहुत शौक है और मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा भी आता है. फिर मैंने धीरे धीरे आंटी के पैर से लेकर पूरे बदन पर पागलों की तरह किस किए और फिर आंटी की चूत पर अपना मुहं रखकर जीभ से और होंठो से में उनकी चूत को चाटने लगा और चूत का सारा पानी पीने लगा.

दोस्तों उसको इतना मज़ा आ रहा था कि वो मुझे आह्ह्ह्ह आईईईइ करके गालियाँ भी दे रही थी, वो मुझसे बोली कि भोसड़ी के मादरचोद तू मुझे अब मत तड़पा डाल दे अपना लंड मेरी चूत में और शांत कर दे मेरी तड़प को, प्लीज थोड़ा जल्दी कर में अब ज्यादा नहीं सह सकती.

फिर आंटी ने उनके पर्स से एक कंडोम निकाला और लंड को किस करके पहना दिया. फिर सीट को पूरी लंबी कर दिया और लेट गई. फिर मैंने उसकी चूत में अपने लंड को डाल दिया और में उस पर लेट गया, आंटी इतनी जोश में थी कि वो उछल उछलकर मुझसे चुदवाने का मज़ा ले रही थी. दोस्तों करीब दस मिनट तक हमारा सेक्स चलता रहा और उसके बाद में एक बार फिर से झड़ गया तो आंटी ने कंडोम को लंड से उतार दिया और लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी और लंड को दूसरी बार चुदाई करने के लिए तैयार करने लगी.

फिर कुछ देर बाद लंड एक बार फिर से कड़क हो गया तो आंटी अब घोड़ी बन गई और डॉगी स्टाईल में उसने मुझसे कहा कि अब हम ऐसे चुदाई करते है. दोस्तों तब में उनकी गांड के छेद को देखकर बिल्कुल पागल हो गया, वाह दोस्तों क्या गांड थी उनकी?

मैंने उनकी गांड को किस किया और उसकी गोरी मोटी जांघो को दबा दबाकर चाटने लगा और धीरे से उनकी गांड को भी चाटने लगा और फिर मैंने अचानक से अपनी एक उंगली को उनकी गांड में डाल दिया, जिसकी वजह से आंटी बहुत ज़ोर से चिल्लाई और वो मुझसे बोली कि नहीं वहां पर तुम कुछ भी मत करना, मुझे बहुत दर्द होता है. मैंने आज तक अपनी गांड किसी से भी नहीं मरवाई है और मेरी गांड अब तक एकदम कुंवारी है.

फिर मैंने उनसे बोला कि प्लीज आंटी मुझे आपकी गांड बहुत पसंद है एक बार करने दो ना, आपको भी इसमें बहुत मज़ा आयेगा और में बहुत धीरे धीरे करूंगा और जब आपको दर्द होगा तब आप मुझसे कहना, में तुरंत वहीं पर रुक जाऊंगा, लेकिन प्लीज एक बार मुझे आपकी गांड दे दो और फिर मेरे बहुत देर तक मनाने समझाने के बाद वो तैयार हो गई.

फिर मैंने धीरे से उनकी गांड के मुहं पर अपने फनफनाते हुए लंड का टोपा रख दिया और एक हाथ से उनकी कमर को कसकर पकड़ा और दूसरे हाथ से लंड को गांड के मुहं पर पकड़कर रखा और धीरे धीरे धक्का देकर लंड को गांड के अंदर डालता चला गया, जिसकी वजह से आंटी को बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन अब में उनको ऐसे ही छोड़ने वाला नहीं था.

मैंने अब लंड के थोड़ा अंदर जाते ही अपने दोनों हाथों से उनको उनकी कमर से बिल्कुल टाईट पकड़कर एक जोरदार झटका देकर लंड को अंदर डाल दिया, जिसकी वजह से अब वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई और वो आगे पीछे होकर लंड को बाहर करने की नाकाम कोशिश करने लगी, लेकिन मेरी मजबूत पकड़ और मेरे कुछ देर वैसे ही रुककर उनकी चूत और बूब्स को सहलाने के कुछ देर बाद वो धीरे धीरे शांत हो गई. फिर मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और अब उन्हें भी थोड़ा थोड़ा मज़ा आने लगा था, वो भी अपनी गांड को मेरे धक्कों के साथ साथ आगे पीछे करके मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी और अब में अपने धक्कों की स्पीड को धीरे धीरे बढ़ाने लगा.

दोस्तों उस समय मैंने कंडोम नहीं पहना हुआ था और कुछ देर के धक्कों के बाद में अब झड़ने वाला था. मैंने आंटी से पूछा कि आंटी क्या में अपनी गांड के अंदर ही अपना वीर्य डाल दूँ? तो वो तुरंत मुझसे बोली कि नहीं मुझे तुम्हारा जूस पीना है और मैंने उनके यह शब्द कहते ही अपने लंड को तुरंत खींचकर उनकी गांड से बाहर निकाल दिया और आंटी ने झट से सीधा होकर लंड को अपने मुहं में ले लिया और पागल की तरह लंड को हिलाने और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी और जैसे ही वीर्य बाहर निकला तो उसका पूरा मुहं गीला हो गया और वो अपनी उंगली से सब साफ करके उसे पी गई. उस समय करीब रात के 12 बजे गये थे.

अब आंटी ने अपने कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए थे और हमे एक दूसरे को छोड़ने की ज़रा भी इच्छा नहीं थी. फिर भी अपने घर तो हमे जाना ही था. फिर आंटी ने मुझे अपनी कार से मेरे घर के बाहर छोड़ दिया और मुझे अपना मोबाईल नंबर भी दे दिया और साथ साथ घर का पता भी दे दिया और उसके बाद हम करीब तीन चार बार सेक्स कर चुके है, कभी उसके घर पर, कभी होटल, जब हमें जैसा मौका मिलता हमने चुदाई के मज़े लिए और वो मेरी चुदाई से हमेशा बहुत खुश हुई और मैंने भी उनकी चुदाई पूरी मेहनत और लग्न से मैंने उन्हें हर एक नई स्टाईल से चोदा और बहुत मजे किये.



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