कुँवारी भाभी और ननद की कामुकता
हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम मेघा hहै। दोस्तों यह मेरी पहली स्टोरी है और में उम्मीद करती हूँ कि यह आप सभी को बहुत पसंद आएगी। दोस्तों इसमें अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो प्लीज मुझे माफ़ करना। यह कहानी एकदम सच्ची है.. बस नाम और जगह बदल दी गयी है। तो अब तैयार हो जाईए एकदम नई स्टोरी के लिए। मेरा नाम मेघा है और मेरी भाभी का नाम सोनाली है। हमारे घर में हम चार लोग हैं.. में, भैया, भाभी और मेरे पापा। लेकिन कुछ समय पहले अचानक मेरे भैया की मृत्यु हो गयी.. वो आर्मी में थे। अब घर पर हम तीन लोग ही हैं। दोस्तों में सबसे पहले अपने बारे में बताती हूँ.. मेरी उम्र 18 साल है और में बारहवीं में पढ़ती हूँ। मेरा फिगर ऐसा है कि मोहल्ले और कॉलेज के सभी लड़के मुझे भूखे कुत्ते की तरह देखते है.. कि कब मौका मिले और कब मेरी जवानी लूट लें और मेरी भाभी तो मुझसे भी चार गुना ज़्यादा सेक्सी हैं.. गोरा रंग, स्लिम फिगर और उस पर 22 साल की उम्र और मानो उन्हें बनाने वाले ने उनमे सेक्स ठूंस ठूंस कर भर दिया हो। मेरे पापा एक बहुत अच्छी नौकरी से रिटायर हुए थे और मेरे बड़े भाई भी आर्मी में थे और मेरे नाना जी और मामा जी भी दबंग आदमी हैं.. इसलिए किसी की भी हिम्मत नहीं होती कि कोई हमे आंख उठाकर भी देख ले।
मेरा और भाभी का रिश्ता एक भाभी, ननद से बढ़कर एक दोस्त की तरह है.. लेकिन फिर भी कुछ बातें ऐसी है जो भाभी मुझसे शेयर नहीं कर पा रही थी.. शायद किसी अंजान डर की वजह से। हमारे बीच हर तरह की बातें होती थी.. लेकिन भाभी ने यह कभी नहीं जताया कि उन्हें भैया की कमी खलती है। भैया और भाभी की शादी एक साल पहले ही हुई थी.. फिर मुझे बाद में पता चला कि उनकी छुट्टी शादी के तीन दिन बाद खत्म हो गई थी और हमारे यहाँ पर रिवाज़ है कि दूल्हा, दुल्हन शादी के 3 दिन बाद ही मिल सकते हैं और क्योंकि भाई को पोस्टिंग कि जगह पर फेमिली क्वॉर्टर नहीं मिला था.. इसलिए वो ड्यूटी पर अकेले ही चले गये थे। एक हफ्ते बाद खबर आई कि टेररिस्ट अटेक में उनकी मृत्यु हो गयी। फिर भाभी की तो जैसे दुनिया ही खत्म हो गयी। लेकिन कहते हैं वक़्त हर जख्म को भर देता है और फिर धीरे धीरे सब ठीक हो गया।
हमारा घर बहुत बड़ा है.. लेकिन फिर भी में भाभी के साथ ही सोती थी.. ताकि उन्हें अकेलापन ना महसूस हो। फिर एक रात जब में उठी तो मैंने देखा कि भाभी पलंग पर नहीं थी और जब मैंने उन्हें आवाज़ दी तो वो भागकर मेरे पास आ गई और उन्हे देखकर मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैंने उनकी कोई चोरी पकड़ ली हो। उनकी मेक्सी भी आधी खुली हुई थी और मुझे उन पर कुछ शक हुआ। तो मैंने पूछा कि क्यों भाभी सब ठीक तो है ना? फिर वो हड़बड़ाकर बोली कि हाँ सब ठीक है। में तो टॉयलेट करने गयी थी और तेरी आवाज़ से डर गयी.. क्योंकि इतनी रात जो हो गयी है। तो मैंने कहा कि ठीक है और जैसे ही में सोने लगी मेरी नज़र टेबल पर रखे मेरे लेपटॉप पर गयी वो पूरी तरह से बंद नहीं था और उसमे से लाईट भी निकल रही थी.. तो मैंने कहा कि यह लेपटॉप कैसे चालू पड़ा है।
भाभी जल्दी से हड़बड़ाकर उसके पास गयी और उसकी बेटरी निकालकर उसे बंद कर दिया और बोली कि तूने ही खुला छोड़ दिया होगा आज कल तुझे कुछ याद नहीं रहता। फिर मैंने सोते सोते सोचा कि कुछ तो बात है.. जो भाभी मुझसे छुपा रही है। मैंने अपने आप से कहा कि कल रात को पता लगाऊँगी और हम दोनों सो गये। फिर अगले दिन में स्कूल से एक बजे घर आई और मैंने सबसे पहले लेपटॉप की रीसेंट फाइल्स चेक़ की.. लेकिन उसमे कुछ खास नहीं मिला.. लेकिन जब मैंने इंटरनेट हिस्ट्री चेक़ की तो में देखकर दंग रह गयी.. क्योंकि उसमे रात के 12 से लेकर 2 बजे तक पोर्न साईट खोली गई थी और अब मुझे समझते हुए ज्यादा देर नहीं लगी कि भाभी रोज़ रात को क्या करती हैं? फिर मैंने सोचा कि कोई बात नहीं वो बैचारी भी क्या कर सकती हैं.. लेकिन मुझे अब उनको कुछ करते हुए देखने का मन कर रहा था। रात का खाना खाने के बाद हम लोग सोने चले गये और में भाभी की तरफ मुहं करके सोने का नाटक करने लगी।
मुझे भाभी की आँखो में एक हवस और एक प्यास दिख रही थी और वो बार बार अपना थूक निगल रही थी मानो कितनी प्यासी हो। धीरे धीरे रात के दो बज गये.. लेकिन भाभी अपनी जगह से नहीं उठी और मुझे भी नींद आने लगी थी। तभी अचानक भाभी धीरे से उठी और मेरे हाथ को उठाकर वापस उसी जगह रख दिया.. शायद यह देखने के लिए कि में गहरी नींद में हूँ या नहीं.. लेकिन में भी वैसी की वैसी ही लेटी रही। फिर भाभी उठी और उन्होंने सीधे लेपटॉप खोलकर अपना काम शुरू कर दिया और में लेटे लेटे सब देख रही थी। भाभी ने धीरे धीरे अपनी मेक्सी की चैन खोलकर अपने बूब्स को बाहर निकाला और दबाने लगी और थोड़ी ही देर में भाभी की सांसे तेज होने लगी और वो बहुत हल्की आवाज़ में ऊह्ह्ह आअह्ह्ह करने लगी और फिर उन्हे देखकर मेरी भी चूत का पारा चड़ने लगा और में अपनी स्कर्ट और पेंटी में से अपना एक हाथ अपनी चूत में डालकर उसे मसलने लगी। थोड़ी ही देर में मुझ पर भी सेक्स हावी होने लगा.. लेकिन इतने में ही भाभी टॉयलेट में गई और मैंने सोचा कि क्यों ना में भी जाकर देखूं कि भाभी क्या कर रही है?
टॉयलेट का दरवाजा भाभी ने अंदर से बंद नहीं किया था। और जैसे ही में अंदर गयी में दंग रह गयी.. भाभी पूरी नंगी बाथ टब में लेटी हुई थी और उनकी आंखे बंद थी और वो एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से अपने बूब्स को ऐसे मसल रही थी जैसे उसे तोड़कर फेंक देना चाहती हों। तो में बड़ी हिम्मत करके बोली कि भाभी यह क्या कर रही हो? तभी यह सुनकर भाभी का तो जैसे रंग ही उड़ गया हो। फिर थोड़ी देर वो मुझे घूरती रही.. उनका गाल जो पहले एक सेब जैसा लाल था वो अब बर्फ की तरह सफेद पड़ गया था और भाभी कुछ नहीं बोली और अपने मुहं को अपने घुटने में दबाकर बैठ गयी। तभी में उनकी तरफ बड़ी और उनके सर पर हाथ रखकर प्यार से बोली कि भाभी क्या हुआ? तभी उन्होंने मेरी तरफ देखा तो उनकी आँखों में आँसू थे और वो बोली कि कुछ नहीं.. मुझे तुम्हारे भैया की याद आ रही थी और मेरी भी कभी कोई इच्छा होती है.. लेकिन मुझे पता है कि यह इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। यह सुनकर मुझे भाभी पर तरस भी आ रहा था और में खुद भी इतना गरम हो गयी थी कि में लेस्बियन सेक्स करने को मचल रही थी।
फिर मैंने भाभी के आँसू साफ किए और उनको समझाया कि कोई बात नहीं आप जो कर रही हैं कीजिये में आपसे कुछ नहीं कहूंगी.. लेकिन शायद उनका मूड ऑफ हो गया था और वो वापस मेक्सी पहनकर सोने चली गयी। तभी मेरे दिमाग़ में एक आईडिया आया और मैंने अपना लेपटॉप उठाया और भाभी के पास जाकर बैठ गयी। फिर भाभी से मैंने सॉरी कहा तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं फिर मैंने उनसे पूछा कि आप कौन सी साईट देख रही थी? लेकिन वो कुछ नहीं बोली। तो मैंने कहा कि प्लीज बताईए ना.. यह आपकी ननद नहीं आपकी एक फ्रेंड पूछ रही है।
वो बैठ गयी और उन्होंने साईट एंटर की.. उस पर ऑनलाईन वीडियो चल रहा था.. जिसमे एक लड़का एक लड़की को बड़े प्यार से चोद रहा था। फिर मैंने भाभी से कहा कि भाभी जो आप करती हैं वो ग़लत नहीं है और आपको यह अकेले करने की कोई जरूरत नहीं है। तभी वो बोली कि क्या मतलब? फिर मैंने कहा कि जब आप यह सब कर रही थी तो में भी लेटे लेटे अपनी चूत में उंगली कर रही थी और इतना सुनते ही हम दोनों की हंसी छूट पड़ी। फिर उन्होंने कहा कि ओह तो अब तुम बड़ी हो गयी हो। मैंने कहा कि भाभी एक बात बोलूं.. अगर आप बुरा नहीं मनो तो। फिर उन्होंने कहा कि बोलो। मैंने कहा कि भाभी में आपको दोबारा बिना कपड़ो के अपनी चूत में उंगली करते हुए देखना चाहती हूँ।
तभी वो बोली कि चल बदमाश.. फिर मैंने कहा कि नहीं भाभी मेरा भी मन करता है प्लीज़। तो भाभी बोली कि ठीक है.. लेकिन एक बात बताओ क्या तुम्हें लेस्बियन पसंद है? तो में बोली बाद में बताऊँगी और भाभी धीरे से मुस्कुराते हुई अपनी मेक्सी उतारने लगी.. उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहन रखा था और शायद चूत भी आज ही शेव की होगी। फिर वो धीरे धीरे से अपने बूब्स दबाने लगी और अपने होटों को अपने ही दांतो से चबाने लगी। धीरे धीरे मुझे भी नशा सा छाने लगा और मेरी भी साँसे तेज़ होने लगी। भाभी अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत रगड़ने लगी और फिर से आआअहह ओओओह उफ़फऊहह की आवाज़ें निकालने लगी। मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के बूब्स पर रखा तो भाभी कहने लगी कि प्लीज़ मेघा ये सही नहीं होगा.. मैंने कहा भाभी आज तुम्हे भी इसकी जरुरत है और मुझे भी। मैं तुम्हे एक लड़के जैसा सुख तो नहीं दे पाऊँगी पर एक अहसास ज़रूर दे सकती हूँ.. प्लीज़ रोकना मत।
भाभी बोली ऊफ़फ्फ़ मेघा तुम कितनी अच्छी हो और अपनी आँखे खोलकर मेरे होटों पर एक जोरदार किस करने लगी। उनकी इस अदा से मेरे तो पूरे शरीर मैं बिजली सी दौड़ गई। मैंने कहा ओह भाभी और में अपने दोनों हाथों से उनके बूब्स पकड़कर उनको दोबारा किस करने लग गई। तभी भाभी बोली कि ज़रा देखूं तो मेरी प्यारी दोस्त का बदन कैसा है और सबसे पहले वो मेरे ऊपर की लूज़ टी-शर्ट उतारती है और कहती हैं वाह मेघा तुम्हारे बूब्स देखकर तो मुझे अपने 18 साल वाले बूब्स की याद आ गयी। छोटे छोटे संतरे की तरह और मेरे बूब्स को अपने दाँतों से दबाने लगी। भाभी कहने लगी कि तुम्हारे ये छोटे बूब्स किसी छोटी स्ट्रॉबेरी की तरह है.. क्या इनमे दूध है? मैंने कहा भाभी खुद ही पी कर देख लो.. वो जैसे ही मेरे बूब्स को चूसने लगती है.. मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। भाभी मैं मर जाऊँगी ज़रा धीरे आआआःह उफफफ्फ़ तभी पता नहीं मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे बूब्स के अंदर से कोई धागा बाहर खींचा जा रहा हो। मुझे दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था। मेरे मुहं से एक सिसकी निकल पड़ी.. तभी भाभी मेरे दूसरे बूब्स को भी चूसने लगी.. उस पल को मैं बयां नहीं कर सकती। लगभग 20 मिनट मेरा दूध पीने के बाद मेरे चूचे लटक गए थे।
मेरी समझ मैं नहीं आ रहा था कि क्या करूं। मैं तो बस भाभी का मुहं अपने चूचों मैं दबाए जा रही थी। तभी मैंने भाभी का सर अपने चूचों से अलग किया और उनके होटों को चूसने लगी। भाभी भी अपना पूरा रेस्पॉन्स दे रही थी। करीब 5 मिनट किस करने के बाद मैंने उनके बूब्स को हाथ मैं लिया और धीरे धीरे उन्हे मसलने लगी.. उनके बूब्स मुझसे काफ़ी बड़े थे। मेरे बूब्स का साइज़ 28 था.. मगर उनका तो 34 था और वो इतने लाल और कठोरे जैसे हो गये थे कि मैं बता नहीं सकती। मैंने एक हाथ से उनके बूब्स को दबाना शुरू किया और दूसरे को चूसने लगी। भाभी तो जैसे बिना जल की मछली की तरह तड़पने लगी और मेरे सर को अपने बूब्स मैं दबाने लगी। करीब दस मिनिट बाद उन्होंने मेरी स्कर्ट को निकाल दिया। मैंने देखा की मेरे पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और भाभी की चूत से भी पानी टपकने लगा था।
मैंने अपना हाथ भाभी की चूत के नीचे लगाया और उनका पानी चाटने लगी। भाभी तो मानो मर ही जायेगी.. फिर उन्होंने मुझसे अपनी पेंटी उतारने को कहा। मेरी चूत देखकर वो बोली कि वाह्ह अभी तक वर्जिन हो। मैंने कहा हाँ और आप? तो उन्होंने कहा हाँ तुम्हारे भैया तो चले गये थे। मैंने भाभी का सर धीरे से पकड़कर अपनी चूत पर लाकर सटा दिया। वो उसे ऐसे चाटने लगी कि जैसे कोई बरसो से प्यासे को पानी की 1 बूँद मिल गयी हो और मेरी साँसे फिर से तेज़ होने लगी थी और दिल इतनी जोरो से धड़क रहा था कि मानो अभी बाहर आ जाएगा। कुछ देर बाद हम दोनों 69 की पोज़िशन मैं आ गये। भाभी की आवाज़ काफ़ी तेज़ हो गयी थी। इतने मैं भाभी ने अपने पैरों से मेरा सर जकड़ लिया और एक तेज धार उनकी चूत से निकलकर मेरे पूरे मुँह पर फैल गयी और उनके मुँह से संतुष्टी की एक आवाज़ सी निकल गयी।
अब बारी मेरी थी। भाभी मेरी चूत मैं अपनी जीभ डाल कर अंदर बाहर कर रही थी और अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। भाभी प्लीज़ कुछ करो और चोदो भाभी और भाभी और अंदर भाभी और प्लीज़ और अंदर डालो आआहह और मैं भी झड़ गयी। भाभी का पूरा मुँह मेरे पानी से नहा गया। कुछ देर हम एक दूसरे से लिपटे हुए ऐसे ही पड़े रहे। मैंने भाभी को कहा भाभी अगर लड़की से इतना मज़ा आता है तो लड़के कितना मज़ा देते होंगे। भाभी बोली तू चिंता मत कर मेघा 2 साल बाद तुझे ये मज़ा ज़रूर मिलेगा.. तो में बोली कि भाभी मैं चाहती हूँ आप भी इसका मज़ा ले सको।
यह सब करते करते सुबह के 4.30 बज गये थे। हम दोनों की हालत बहुत खराब थी और उस दिन के बाद हमारे बीच रोज़ रात को यही सब चलता रहा।
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