कुछ इच्छाए पूरी हो गई कुछ अभी बाकि है

 
loading...

कहानी होती ही अतीत की है। समय का अनुमान पाठक स्वयं लगा सकते हैं। मैंने अपने बचपन का अधिकतर समय अपनी बुआ के गाँव में बिताया, लेकिन पिछले तीन वर्श से नहीं गया। उनका गाँव बहुत छोटा सा है, लेकिन हमारे फूफाजी वहाँ के सम्मानीय व्यक्ति हैं।

हमारी बुआ के यहां ससुर के समय की बनाई गई लखौरी ईटों की पुरानी दो मंजिल की बड़ी सी हवेली है। गाँव के आधे से अधिक खेत और बाग उन्हीं के हैं। लेकिन अब सन्नाटा रहता है। बुआ के तीन बेटे और चार बेटियाँ हैं, अब वहाँ कोई भी नहीं रहता है। बेटे सभी कबके जाकर शहरों में बस गये।

तीनों लड़किया का भी विवाह के बाद यही हाल हुआ। सब अपने-अपने कार व्यापार में इतने में इतने व्यस्त हो गये कि दबंग व्यक्तित्व की मालकिन हमारी बुआ अकेले घुल-घुल कर समय से पहले ही बूढ़ी हो गयीं। फूफा का तो खैर इधर-उधर में समय कट जाता, लेकिन हमारे चाचाओं और ताउओं में जो भी जाता अपनी बहन के अकेलेपन से घबरा जाता। लोग समझाते भी कि जीजी बेटों के पास चली जाओ, लेकिन वह भला कहाँ जाने वाली थीं! बड़ी मुष्किलों से मझिले भय्या के यहाँ जाकर मोतियाबिन्द का आपरेशन करवाया और चली आयीं।

मेरी सरदियों की छुट्टियाँ हुई तो अम्मा ने जबरस्ती भेज दिया। जाकर एक महीने बुआ की सेवा कर आ।हालाकि मन तो नहीं हो रहा था लेकिन इस वादे पर कि अगर मन लगा तो रुकूँगा नही तो दो-चार दिन में आ जाऊँगा। पहुचाँ तो पता चला कि कल ही बुआ के नन्द की बेटी अमिता दीदी आयी हैं।

उन्हें मैंने बहुत पहले देखा था। जव वह किशोर थीं, लेकिन वह पूरी तरह बदली गंभीर स्वभाव की एक समझदार लड़की थीं। आँखों पर चश्मा लग गया था। रंग गोरा था। लम्बाई दरम्यानी थी। शरीर भरा-भरा था। संभवताः मुझे देखकर प्रसन्न हुईं। थोड़ा चुप-चुप रहने वाली लगीं। काम के लिए सोलह सत्तरह साल की लड़की कमली थी।

वह फिरिंगी की तरह दौड़ती भागती मुझे देखकर बेमतलब ही मुस्कुराती रहती। बुआ ने कहा कि यह पुराने आदमी राम लखन की बेटी है। शादी तो हो गयी है, लेकिन अभी गौना नहीं हुआ है। दिन पाँच साल का बना है नहीं तो लखना इसे बिदा कर देता, यह कहते हुए उन्होंने ऊपर वाले को धन्यवाद भी किया कि है तो मुँहजोर लेकिन कोई बेटी क्या सेवा करेगी!

मैंने यह भी ध्यान दिया कि वह जितना मुस्कुरा रही थी उतना बोल भी रही थी। मैं कुछ संकोच भी कर रहा था, वह थी कि शाम तक लल्लू भैय्या की ऐसी रट लगाने लगी कि जैसे मुझे कितने दिनों से जानती हो। कमली का रंग तो साँवला था, लेकिन लम्बाई निकलती हुई थी। उसका अंग-अंग मानों बोलता हो। साधरण से सवाल समीच पर उसकी चुन्नी रुकती ही नहीं थी। मैंने महसूस किया कि उसे घर में मर्द के न रहने से ओढ़ने के आदत थी नहीं, इसलिए चुन्नी संभल नहीं रही थी।

अपनी चुन्नी में उलझते हुए एक बार मेरा मन हुआ कि लाओ उतार कर फेंक दुँ! जैसे यह बात ध्यान में आयी तो एकाएक मेरा ध्यान उसके सीने पर चला गया। हे राम! मैंने गौर किया तो शरीर में सनसनाहट सी हो गयी। सीने की जगह लग रहा था जैसे दो कटोरे उलट कर रख दिये गये हों! उसकी छातियों के दाने तो इतने खड़े थे, कि कपड़े के ऊपर साफ दिख रहे थे।

ऐसे मैं क्या कोई भी उसे देखकर बेकाबू हो जाय! यद्यपि मैं सीधा और ठीक-ठाक चरित्र का लड़का था, तबभी मेरा मन अजीब सा हो गया। मैं पिछले तीन साल से हास्टल में रह रहा था। वहाँ मैंने दो-तीन बार नंगी पिक्चरें भी देखी थीं और कुछ दिनों सें अधनंगी पिक्चरों की शहर के सिनेमा हालों में तो बाढ़ सी आ गयी थी। मैं जिन बातों से गाँव में अनभिज्ञ था वह सब मुझे पता चल गयी थीं।

जब भी मैं छुट्टियों के बाद गाँव से लौटता तो सहपाठी खुले शब्दों में अपनी चुदाई की कहानियां बताते और मेरी भी पूछते, चूँकि मेरी कोई कहानी होती नहीं, फिर मुझे अपने आप पर क्रोध आता हर बार कुछ करने का इरादा लेकर जाता, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगती। हस्त मैथुन जैसी स्वाभाविक गतिविधि ही मेरी काम भावना को शांत करने का एकमात्र साधन थी. लेकिन कमली को देखते ही मैंने मन बना लिया कि चाहे मुझे यहाँ पूरी छुट्टियाँ ही यहाँ क्यों
न बितानी पड़ जाये, इसे लिए बिना नहीं जाऊँगा।

मैंने इसी भावना से संचालित आते-जाते दो-तीन बार उसके शरीर से अपने शरीर को स्पर्श किया तो उसने बजाय
बचने के अपनी तरफ से एक धक्का देकर जवाब दिया। शाम में चूँकि सर्दी थी इस लिए दिल ढलते बुआ ने आँगन से लगे बरामदे में अलाव की सिगड़ी जलवा दी तो मुहल्ले-पड़ोस की दो तीन औरतें आकर बैठ गयीं। कमली भी थी। अमिता दीदी भी थीं।

बरामदे को एक किनारे दीवार बनाकर ढक दिया गया था। बुआ सरदी और बरसात वहीं सोतीं। बताने लगीं कि इधर काफी दिनों से कमली की माँ आजाती थी, लेकिन अमिता के आने के बाद कमली सोने लगी। उनक बिस्तर वहीं लगा था। कुछ देर बाद लाइट चली गयी। अमिता दी उठकर बिस्तर पर बैठ गयीं। वह चुप थीं। यद्यपि उन्होंने मुझसे दिन में वह पढ़ाई-लिखाई की की थीं।

इधर आग के पास औरतों की गप चल रही थी मै उठकर सोने के लिए बाहर बैठक में जाने लगा तो बुआ ने ही रोक लिया। जाना कहकर। वास्तव में उन्होंने अभी तक अपने पीहर की तो बात ही नहीं की थी। उनके कहने पर मैं भी वहीं जाकर चारपाई पर दूसरी तरफ रजाई ओढ़कर बैठ गया। अमिता दी पीठ को दीवार से टिकाये बैठी हुई औरतों के प्रस्नों का उत्तर हाँ-न में दे रही थीं।

मैंने पैर फैलाये तो मेरे पैरों का पंजा उनकी जांघों से छू गया। मैंने उन्हें खींचकर थोड़ा हटाकर फिर फैलाया तो जाकर उनकी योनि से मेरा अँगूठा लग गया। असल में उन्होंने अपने दोनों पैरों को इधर उधर करके लम्बा कर रक्खा था। उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। न जाने किस भावना से संचालित होकर मैंने पैरों का दबाव थोड़ा बढ़ा दिया। इस बार उन्होंने मेरे पैर के अँगूठे को पकड़कर धीरे से हटाया तो वह उनकी एक तरफ की जाघ से लग गया।

एक क्षण बाद मैंने फिर पैरों को उसी जगह जान-बूझकर रख दिया। रजाई के अन्दर ही अमिता दी ने फिर मेरे पैर का
अँगूठा पकड़ लिया, लेकिन मैंने जब अपने पैर को वहाँ से हटाना चाहा तो उन्होंने मेरी आशा के विपरीत उसी जगह पर मेरे पैरों को दबाये तेज चिकोटी काटने लगीं।

मैंने उनके चेहरे को देखा तो वह मुस्कुराये जा रही थीं। वह आगे आकर मेरे पंजे को अपनी योनि को और सटाकर मुस्कुराते हुए मेरे पंजे को ऐंठ भी रही थीं। यद्यपि वह जितना जोर लगा रही थीं मुझे उतनी पीड़ा की अनुभूति नहीं हो रही थी। बल्कि मैं उनकी योनि के भूगोल को परखने में लग गया। संभवता वह शलवार के नीचे चड्डी नहीं पहने थीं।

क्योंकि उनके वहाँ के बालों का मुझे पूरा एहसास हो रहा था। निश्चित रूप से उनकी झाँटो के बाल बड़े और घने होंगे। इस अनुभूति से मेरे अन्दर अजीब सी अकड़न होने लगी। वहीं बैठी किसी औरत ने कहा, सो जाओ बबुआ।हाँ रे
ललुआ! बेचारा थका आया है।

इसके फूफा की तो अभी बैठक में पंचायत चल रही होगी। कल से इसका बिछौना अन्दर ही लगवाऊँगी। बुआ ने कहा, गुड्डी जरा किनारे हो जा लल्लू कमर सीधी कर ले। बुआ अमिता को गुड्डी कहती थीं।न जाने कमली मुझे देखकर
मुस्कुराये जा रही थी। बिजली चली गयी थी। गाँव में रहती ही कितनी है! लालटेन के मद्धिम प्रकाश में मैंने अमिता दी के चेहरे को देखने की कोशिश की, लेकिन उनके भावों को समझ नहीं पाया।

वह बिस्तर से उठने लगीं तो बुआ बोलीं, तू क्यों उठ रही है गुड्डी, अभी यह तो चला ही जायेगा। और बाहर की तरफ के कमरे की ओर संकेत करके कहा, आज से मैंने कमली को भी रोक लिया है।वह थोड़ा सा एक तरफ खिसक कर बैठी रहीं। मैं जाकर उनकी बगल में लेट गया। और दो ही मिनट बाद अन्दर ही हाथ को उनकी जँघों पर रख दिया वह थोड़ा कुनमुनाईं और मेरे हाथों को पकड़ लिया पता नहीं क्यों वहाँ से हटाने के लिए या किसी इशारे के लिए लेकिन मैने उनके हाथों को अपने हाथों में दबोचकर सहलाने लगा।

फिर मैंने हाथों को अन्दर से ही उनके सीने की तरफ लेजाकर उनके स्वेटर के ऊपर से छू दिया। सीने का ऊपरी हिस्सा
रजाई के बाहर था इसलिए जितना अन्दर था उसके स्पर्श का आनन्द मैं लेने लगा। उनकी चूचियाँ ब्रेसरी मे कसी थीं। वह खाली हिल-डुल ही रही थीं। एकाधबार उन्होंने मेंरा हाथ अपने हाथ से झिटकना चाहा तो मैंने उनके प्रतिरोध को
अनदेखा कर दिया। मुझे लगा कि यह उनका दिखावा है।

फिर मैंने नीचे से हाथ को कपड़े के अन्दर से डालकर सीधे हाथों को ब्रेसरी में बंधी छातियों के निचले हिस्से से लगा दिया और जोरभर के सहलाने लगा। मन तो हो रहा था कि हाथों को ऊपर लेजाकर पूरी छातियों को सहलाऊँ, लेकिन भय था कि कहीं कोई देख न ले।

मुझे लग रहा था कि कमली संभवतः अनुमान लगा रही है। मैंने महसूस किया कि उनकी चूचियां कड़ी हो रही हैं। तभी उन्होंने रजाई को खींचकर गले तक ओढ़ लिया। फिर तो मुझे मानों मनचाही वस्तु मिल गयी। मैंने हाथ निकालकर उनके स्वेटर के बटन खोल दिएऔर उनकी जम्पर को ऊपर सरकार रजाई के नीचे उनकी चूचियों को खोल दिया उनके ऊपर सिर्फ ब्रेसरी ही रह गयी। और मैं उनकी बदल-बदलकर दोनों छातियों को मलने-दबाने लगा। वह कड़ी ही होती जा रही थीं। तभी वहाँ बैठी एक औरत बात करते हुए उनकी मम्मी और भाई बहनों का हाल पूछने लगी।

वह गड़बड़ाने लगीं। मुझे मजा आने लगा। मैं और जोर लगाकर उनकी चूचियां मसलने लगा। अनुमान किया तो लगा कि वह देसी पपीते के आकार की हैं। फिर मैंने दूसरे हाथ को पीछे से लेजाकर उनकी ब्रेसरी के हुक को खोल दिया। दुसरे हाथ से आगे से खींचा। ब्रेसरी ढीली होने के कारण उनकी दोनों चूचियां अब आजाद हो गयी थीं। और मेरी हथेलियों में खेलने लगीं।

तभी मैंने महसूस किया कि उन्होंने मेरी तरफ वाला अपना हाथधीरे से मेरे सीने पर रख दिया। मैंने उनके फैले पैरों को अपने हाथ से खींचकर अपनी टांगों से चिपका लिया। मैंने लुंगी ही पहन रक्खा था। उसके नीचे चड्डी थी। मेरा खड़ा होकर तन गया लिंग उनकी फिल्लियों से रगड़ने लगा। वह अपने हाथों को मेरे सीने पर फेरने लगीं। यूँ ही लगभग आधे घंटे बीत गये।

मैंने हाथों को उनकी छातियों से हटाकर जब दोंनों टांगों के बीच लेजाकर उनकी झाँटों से आच्छादित योनि पर कपड़े के ऊपर से लगया तो देखा कि वहाँ का कपड़ा गीला है। तभी वहाँ रह गयी अन्तिम दोनों औरतें यह कहते हुए उठ गयीं कि अब ठकुराइन हम सोने जा रहे हैं। अमिता दी जल्दी से कपड़े सही किये। ब्रेसरी तो खुली ही रह गयी। उठ गयीं। मुझे भी मन मार कर उठना पड़ा।

मेरा लंड अभी भी उसी तरह तना था। किसी तरह संभालकर उठा।बाहर बैठक में ही मेरा बिस्तर बिछा था। वहां अभी भी तीन चार लोग बैठे थे। गप्प चल रही थी। बिस्तर पर रजाई नहीं थी तो मैं अन्दर लेने आया। बिस्तर को बक्सा ऊपर छत की कोठरी में था। बुआ ने बड़बड़ाते हुए कमली से कहा, जाकर निकाल दे। और मुझसे बोलीं, कि तू भी चला जा लालटेन दिखा दे।आगे-आगे मैं और पीछे कमली, ऊपर पहुँचकर कोठरी का द्वार खोलकर बड़े वाले बक्से का ढक्कन खोलने के लिए वह जैसे ही झुकी मैंने लालटेन जमीन पर रखकर उसे पीछे अपनी बाहों में समेट लिया।

अमिता दीदी के साथ इतनी हरकत के बाद तो मेरी धड़क खुल ही गयी थी। वह चैकी तब तक हाथ को आगे से उसकी लेकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसकी चूचियों को हथेलियों की अँजुरी बनाकर उसे कस लिया और उसके कानों को होंठों मे दबाकर चूसने लगा।

उसने पकड़ से आजाद होने का प्रयत्न किया, लेकिन मैंने इतनी जोर से कसा कि वह हिल भी नहीं सकती थी वह घबराकर बोली, लल्लू भय्या छोड़िये अभी कोई आ जायेगा।उसकी यह बात सुनकर मेरा मन गदगद हो गया। मैंने उसकी चूची के चने को दो अँगुलियों से छेड़ते हुए कहा, यहाँ कौन आने वाला है मैं तुम्हारी ले तो रहा नहीं हूँ। बस मीज ही रहा हूँ।

अब तक वह संभवतः अपने ऊपर नियन्त्रण कर चुकी थी। बोली, हाय राम तुम तो बड़े हरामी हो! जो भी कहो। मैंने उसे झटके अपनी तरफ घुमाकर चप्प से उसके मुँह को अपने मुँह में लेकर होठों को चूसने लगा और उसकी समीच में हाथ डालकर चूचियों को सीधे स्पर्श करने लगा। धीरे-धीरे वह पस्त सी पड़ने लगी। वह मस्ताने लगी। उसकी स्तन के चने खड़े होन लगे।

जब उसके मुँह को चूसने के बाद अपने मुँह को हटाया तो मादक स्वर में बोली कि, अब छोड़िये मुझे डर लग रहा है। देर भी हो रही है।एक वादा करो।क्या देने का!उसने चंचल स्वर में फिर सवाल किया, क्याबुर और क्याउसने अँगूठे के संकेत से कहा, ठेंगा।मैंने हाथ को झटके से नीचे लेजाकर उसकी बुर को दबोचते हुए कहा, ठेंगा नहीं यह! तुम्हारी
रानी को माँग रहा हं।

मेरे नीचे से हाथ हटाते ही उसने बक्सा खोलकर रजाई निकालकर कहा, उसका क्या करना हैचोदना है! वह रजाई को कंधे पर रख लपक कर मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से नोचते हुए बोली, अभी तो!नहीं कल! और वह नीचे चली गयी।
मैं भी जाकर बाहर बैठक मैं सोया। फूफा तो खर्राटे भरने लगे, लेकिन मुझे नीद ही नहीं आ रही थी। अन्दर से प्रसन्नता की लहर सी उठ रही थी।

एक साथ दो-दो शिकार! हे राम! फिर दोनों को लेकर तरह-तरह की कल्पनाएं करते हुए न जाने कब नीद आयी। जब आँख खुली तो पता चला कि सुबह के नौ बज गये हैं। चड्डी गीली लगी छूकर देखा तो पता चला कि मैं सपने में झड़ गया था। तभी अमिता दीदी आ गयीं। उन्होंने मेरे उठने के बाद लुगी को थोड़ा सा गीला देखा तो मुस्कुराने लगीं। और
धीरे से कहा, यह क्या हो गया।

मैंने भी उन्ही के स्वर में उत्तर दिया, रात में आपको सपने में चोद रहा था। नाइटफाल हो गया।वह हाथों से मारने का संकेत करते हुए निगाहें तरेरते अन्दर चली गयीं। सर्दी तो थी लेकिन धूप निकल आई थी। पता चला कि कमली कामों को निपटाकर अपने बाप के साथ अपने खेतों पर चली गयी। मैं नित्तक्रिया से निपटकर चाय पीने के बाद नाश्ता कर रहा था तो पास में ही आकर अमिता दीदी बैठ गयीं।

दूसरी तरफ रसोई में चूल्हे पर बैठी बुआ पूरी उतार रही थीं। वहीं से बोलीं, अमिता तूं नहा धोकर तैयार हो जा। चलना बालेष्वर मन्दिर आज स्नान है। महीने का दूसरा सोमवार है।वह जवाब देतीं उससे पहले ही मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा, प्लीज अमिता दीदी न जाइए। कोई बहाना बना दीजिए। क्यों धीरे से मुस्कुराकर कहा।मेरा मन बहुत हो रहा है।क्यामैंने झुँझलाकर कहा, तुम्हें लेने का!मैं दे दूँगी!हाँ!आप को जाना नहीं है।

तब वह बोलीं, मामी मेरी तबियत ठीक नहीं। अकेले कैसे रहेगी।लल्लू तो है न!वह रुकने वाला है घर में! हाँ बुआ मैं तो चला घूमने। मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा।मामी! फिर वह धीरे से बोलीं, तो मै जाऊँ!प्लीज.प्लीज नहीं।चुपकर रे ललुआ! क्हाँ गाँव भागा जा रहा है! मैं बारह बजे तक तो आ ही जाऊँगी तेरे फूफा तो निकल गये शहर। कमली का बाबू का आज गन्ना कट रहा है नहीं तो मैं उसे ही रोक देती।

मैं रात से ही देख रही हूँ इसकी तबियत ठीक नहीं देर तक सोई नहीं। बुआ ने कहा। और अन्तिम पूरी कड़ाही से निकालकर आँच को चूल्हे के अन्दर से खीच कर उठगयीं।बुआ के जाते ही मैंने मुख्य द्वार की सांकल को बन्द किया और और अमिता दीदी का हाथ पकड़कर कमरे मे लेगया। बिजली थी। बल्ब जलाकर उन्हें लिपटा लिया। उन्होंने अपना चश्मा उतार कर एक तरफ रख दिया। वह भी सहयोग करने लगीं।

मेरे मुंह से मुंह लगाकर मेरी जीभ चूसने लगीं। मैं उनके चूतड़ों की फांक में अंगुली धंसा कर उन्हे दबाने लगा। मेंरा मुंह उनके थूक से भर गया। मेरा शरीर तनने लगा। वह चारपाई पर बैठ गयीं। मैंने उनकी समीच को उतरना चाहा तो बोलीं, नहीं ऊपर कर लो।मजा नहीं आयेगा। कहते हुए मैंने हाथों को ऊपर करके समीज उतार दी। ब्रेसरी में कसी उनकी छोटे
खरबूजे के आकार की चूचियां सामने आ गयीं।

फिर मैंने थोड़ी देर उन्हें ऊपर से सहलाने के बाद ब्रेजरी खोलना चाहा तो उन्होंने खुद ही पीछे से हुक खोल दिया। बल्ल से उनकी दोनों गोरी-गोरी चूचियां बाहर आ गयीं। चने गुलाबी थे। थोड़ी सी नीचे की तरफ ढलकी थीं। मैं झट से पीछे जाकर टांगे उनके कमर के दोनों तरफकरके बैठ गया। और आगे से हाथ ले जाकर उनकी चूचियां मलने लगा। चने खड़े हो गये। उन्हें दो अंगुलियों के बीच में लेकर छेड़ने बहुत मजा आ रहा था।

मेरा पूरी तरह खड़ा हो गया लिंग उनकी कमर में धंस रहा था। वह बोलीं, पीछे से क्या धंस रहा है अब इससे आगे नहीं!उनको अनसुना करके मैंने अपनी लुंगी खोल दी नीचे कुछ नहीं था। चारपाई से उतर कर उनके सामने आ गया। मेरे पेड़ू पर काली-काली झांटे थीं। पेल्हर नीचे लटक रहा था। चमड़े से ढका लाल सुपाड़ा बाहर निकल आया। उसे उनकी नाक के पास हिलाते हुए कहा, अमिता दीदी इसे पकड़ो।

उन्होंने लजाते हुए उसे पकड़ा और सहलाने लगीं। थोड़ी ही देर में लगा कि मैं झड़ जाऊंगगा। मैंने तुरन्त उनकी पीठपर हाथ रखकर उन्हें चित कर दिया और हाथ को द्यालवार के नारे पर रख दिया। वह बोलीं, नहीं।मैंने उनकी बात नहीं सुनी और और उसके छोर को ढूंढने लगा। वह बोलीं, आगे न बढ़ों मुझे डर लग रहा है। मैंने नारे का छोर ढूंढ लिया।वह फिर बोलीं, अगर कहीं बच्चा ठहर गया तो। आज नहीं कल निरोध लाना।बुर मे नहीं झड़ूंगा। कसम से । मैंने कहा।लल्लू मुझे डर लग रहा सच!

यह मैं पहली बार करवा रही हूं।मैं भी। इसी के साथ मैंने उनका नारा ढीला कर दिया और दूसरे हाथ से उनकी चूचियां मले जा रहा था। वह ढीली पड़ती जा रही थीं। कुछ नहीं होगा। कहकर मैंने सर्र से उनकी शलवार खींच दी। नीचे वह चड्डी नहीं पहने थीं। उनकी बुर मेरे सामने आ गयीं। उन्होंने लज्जा से आं बंद कर लीं। उनका पेड़ू भी काली झांटों से भरा था।

मैंने ध्यान से देखा तो उनकी बुर का चना यानी क्लीटोरिस रक्त से भरकर उभर गया दिखा। मैं सहलाने के लिए हाथ ले गया तो वह हल्का से प्रतिरोध करने लगीं, लेकिन वह ऊपरी था। मुझसे अब बरदास्त नहीं हो रहा था। मैंनें जांघे फैला दी और उनके बीच में आ गया। फिर अमिता दीदी के ऊपर चढ़कर हाथों से लन्ड पकड़कर उनकी बुर के छेद पर रक्खा और दबाव दिया तो सक से मेरा लन्ड अन्दर चला गया। निशाना ठीक था। उन्होंनं सिसकारी भरी। और धीरे से कहा, झिल्ली फट गयी।

मैं कमर उठाकर हचर-हचर चोदने लगा। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे चेहरे पर अपने मुंह को रगड़ने लगीं।उनका गोरा नरम शरीर मेरे सांवले थोड़ा भारी शरीर से दबा पिस रहा था। थोड़ी देर बाद उनकी बुर से पुच्च-पुच्च का स्वर निकलने लगा। मैं झड़ने को हुआ तो झट से लन्ड को निकाल दिया ओर भल्ल से वीर्य फेंक दिया। सारा वीर्य उनके शरीर पर गिर गया।थोड़ी देर बाद वह उठ गयीं ओर वैसे ही कपड़े पहनने लगीं।

मैंने कहा, एक बार और।नहीं!अब कब कभी नहीं।यह पाप है! पाप नहीं मेरा लन्ड है। मैंने इस तरह कहा कि, वह मुस्करा उठीं और कपड़े पहनने के बाद कहा, लल्लू सच बताओ इससे पहले किसी की लिए हो।कभी नहीं। बस चूची दबाई है। वह भी यहीं।किसकी। उन्होंने आंखें खोलकर पूछा। कमली की।कब। रात जब हम लोग ऊपर गये थे। तुम पहुँचे हो! वह बोलीं और बाहर निकल गयीं।

दोपहर तक बुआ क आने से पहले हम दोनों चूत बुर और लन्ड की बातें करते-करते इतने खुल गये कि मैंने तो सोचा भी नहीं था। उन्होंनं बताया कि उनके चाचा के लड़के ने कई बार जब वह सोलह की थीं तो चोदने की कोशिश की लेकिन अवसर नहीं दिया। लेकिन मैंने रात में उनकी भावनाओं को जगा दिया और अच्छा ही किया। क्यों की अभी तक वह इस स्वर्गीय आन्नद से वंचित थीं।

चुदाई के बाद हम लोगों ने मुख्य द्वार तुरन्त ही खोल दिया, तभी पड़ोस की एक औरत आ गयीं। वह थोड़ी देर बैठी रहीं। मैं धूप में नहाने बाहर नल पर चला गया। वह भी जब नहाकर आयीं तो बारह बनजे में आधे घंटे रह गये थे। इसका अर्थ था बुआ बस आने वाली होंगीं।

मैंनें एक बार ओर चोदने के लिए कहा तो वह नहीं मानी, लेकिन मेरे जिद करने पर ठीक से वह अपनी बुर दिखाने के लिए तैयार हो गयीं। बुर को खोल दिया। चुदाई के कारण अभी तक उनकी बुर हल्की सी उठी थी। मैंने झांट साफ करने
के लिए कहा तो हंसकर टाल गयीं। उन्होंने मेरा लन्ड भी खोलकर देखा। वह सिकुड़कर छुहारा हो रहा था। लेकिन उनके स्पर्श से थोड़ी सी जान आने लगी तो वह पीछे हट गयीं, और बोलीं कि, अब बाद में अभी यह फिर तैयार हो गया तो मेंरा मन भी तो नहीं मानेगा!

दोपहर में बुआ के साथ ही कमली भी आयी। वह हमे देखकर अकारण मुस्कुराये जा रही थी। मैं गाँव घूमकर तीन बजे आया तो बाहरी बैठक में लेट गया। वह धीरे से आकर बोली, आज तो अकेले थे, लल्लू भय्या अमिता दीदी को लिया
तो होगा।तूने दे दिया कि वह देंगीब! बता न कब देगी और कहाँ, कहकर मैंने इधर उधर देखकर उसे वहीं बिस्तर पर गिरा दिया चढ़बैठा और लगा उसकी चूचियां कपड़े के ऊपर से मीजने, वह भी मुझे नोच रही थी। तभी न जाने कैसे वहां अमिता दी आ गयीं।

चूंकि मकली नीचे थी इसलिए उसने उन्हें पहले देखा वह नीचे निकलकर भागने का प्रयत्न करने लगी। मैं ओरतेजी से उसकी चूचियों को मसलते हुए उसे दबाने लगा त वह घबराये स्वर में बोली, अमिता दीदी! मैंने मुडकर देख तो न जाने क्यों मुझे हंसी आ गयी। मनही में सोचा चली अच्छा हुआ। लेकिन मैंने घबराने का बहाना करके कहा, अमिता दी किसी से कहना नहीं। वह हक्की बक्की हो गयीं।

मैंने आंख मारी तो समझ गयीं। तब तक हम दोनो अलग हो गये थे। वह आंखे नीचे झुकाकर खड़ी हो गयी और बोली, लल्लू भय्या जबरदस्ती कर रहे थे।मैं एक शर्तपर किसी से नहीं कहूँगी। वह मुझसे भी उतावली के साथ बोली। हां!जो मैं कहूंगी करना होगा। तुम मेरे सामने लल्लू से करवाओगी।मुझे तो इसकी आषा भी नहीं थी। मैंने सिर झुकाकर हामी भर दी, वह भी हल्का सा मुस्कुराई।हम लोग अन्दर आ गये। कमली काम में लग गयी।

अमिता दी ने अवसर मिलते ही धीरे से कहा, इसको भी मिला लेंगे तो मजा भी आयेगा और डर भी नहीं रहेगा।



loading...

और कहानिया

loading...



kuchh bhi karo par meri khujli mitado sex storyWww. दामाद जी ने सास को चोदा केवल हिंदी में.comxxx chudai story seal todi hindi medulhan ki yoni phara ki story hindi mसीकसी चादाइ।sexbetihindhiमारवाड़ी सेक्सी मारवाड़ी सेक्सी बस मै चुत बताती हुईmeri kuwari cut risto me cudiSexe sexe namaste bubs xxx videoxxx hot sexy storiyasexikahanimastaramबडे लँड कि मालिशpadosan ko kutte se chudte dekhaभाभी की गांड मारीलन्ड सोए हुए पिता की गाड़ मारीकामुकता डाट काम बहन भाई सैकस सटौरीxxx storixxx.ladkiyo.ki.cudai.aur.pani.kab.chorti.hen.video.full.sexbhai.bhan.aur.maa.ke.chudai.hind.sex.storin.comBhai se chudvua hindisexkahaniससुर को मजबुर किया चुत चाटने कोxxx kahaniya first timekamukta.comXXX SAX STORY HINDERap sex khaniSagar mama bhanji ko chodaHindi bolti Kahani hijde ko kaise chodajabardasti samuhik chudayi hindi writing sexy story by pron stories.comkamukta kahaniचूत चुदाई कहानी hindiantervasnasex storyमुंबई की रण्डी की चुदाईrajjstani सैक्स वीडियो onli rajstanihindi sexy khaniyaWww Sex Xxx Hindi Masi ko Rat me Cood Storeis Comantarvasna khaniyadadaji nati sex kahani hindida njr xxx hende video munesaantarvaasna jo chahe so chod le mujeसैकसी कहानी छिनार बेटी बापफुदी की जबरदसत चुदाई की कहानीdvar bhbabe ka sex xnxindian hindi sexy kahaniyaThakur ka chudakat pariwarww x** video HD Bhauji Ke Devar chudai Raat Ke fatafatमामा की बेटी का चुची पियाचावट कथा देवर भाभीchachi ki sath rahna rag hindi sex khaniyaaनग चुदाई लखनो वली मा व बाटे नग चुदाईसेक्स कॉम हिंदी garphawati महिला chpdae की तरहerotic sex kahaniya. chudayiki sex kahaniya com/hindi-fontअनजाने में ससुर जी को चूत दिख गईchutkahaniwww.xnxx.com इंडियन 20 साल की भाभी को थूक लगाकर चोदाBina Condom sasur na chut fardi sexy handi store bahi na say rat ko sat pa gand mary sexDono ladki ki sexy film video aapas mein Jugaad karoBadmer ghaghra bhabhi fuckmajdoor ki beti ki chudai kahaniyaनागी लडकीओ की फोटोnonveg khani hindiwidhba bhabhe sex audio chudaye.com antarvasna sex storysex kamukt xxx.com storzसिक्स चुत की कहनी हिंदीगयालङकीलेगटीफोटो9 sal ki umar. uncle sex kahanimy ny usky blatkar chut my don kyly dala kamukta free hot indynbapa a beti sexy porn hindee video hindeegar ma aii hua geast ka sat xxx vadeo downloadसकसि चोदु फूल साइज फोटोma ke bubs ka dud xxx hindi storyantarwasna dadiwww.x.video.gand.six.pahalebar.hinde.maaki majburi me chudaihindi sexstoryANTI PADOSAN BADHROOM ME X KAHANIkomal opla xxx.comdidi ko akela me sesetori hindiMorning Me Padosi aunty ki chudairandi bhahen ki xxxx photosafar me berahmi se gand fad diya kahani hindiमा चुदी शादी मेchacha sasur se chudwayaswarpan ke liye aanti ko codai kar story