गर्लफ्रेंड की छोटी बहन को चोदा

 
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मेरा नाम ऋषि है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 25 साल है. दोस्तों में आज अपनी कहानी आप सभी को सुनाने से पहले थोड़ा और अपने बारे में बता देता हूँ कि में दिल्ली में एक प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करता हूँ और एक फ्लेट में किराए से रहता हूँ.

दोस्तों यह उन दिनों की बात है जब मेरी गर्लफ्रेंड (चारू) इंटरव्यू के बहाने से कोलकाता से दिल्ली 7 दिन के लिए मेरे फ्लेट पर रहने आई थी और उसकी छोटी बहन जो करीब 22 साल की थी वो भी उसके साथ आई हुई थी, जिसका नाम संचीता था. दोस्तों संचीता और मेरी बात हमेशा फोन पर होती रहती थी और थोड़ा बहुत मस्ती मज़ाक भी चलता था, लेकिन वो सब कुछ बहुत कम था. अब मेरे पास आने से पहले संचीता ने मुझसे पूछा था कि में आपके लिए कोलकाता से क्या गिफ्ट लेकर आऊँ? तो मैंने उससे कहा था कि तुम अपने होने वाले जीजा को एक प्यारा सा स्मूच दे देना बस वही मेरा गिफ्ट होगा.

फिर वो दिन आ ही गया जब मेरी गर्लफ्रेंड और उसकी बहन संचीता मेरे घर पर आई. चारू से मिलकर तो मुझे बहुत खुशी हुई और उससे ज्यादा में संचीता को देखकर चकित हुआ. जिससे में तीन साल बाद मिल रहा था. संचीता थोड़ी सावली लड़की थी, लेकिन उसके चेहरे पर बहुत चमक थी.

उसकी हाईट करीब 5.2 होगी और वो बहुत पतली दुबली सी थी, लेकिन इस बार उसके चेहरे से पहले मेरी नज़र उसके बड़े बड़े बूब्स पर गई जो उसके छुपाए नहीं चुप रहे थे, मेरे ख्याल से उसके बूब्स का साईज़ 32 इंच होगा. जिसके थोड़े से दर्शन मुझे संचीता के गहरे गले वाले उस सूट ने करा दिए थे और जब वो मुझसे गले मिलने आई तो उसके आकार में बड़े बूब्स मेरी छाती पर ऐसे लगे जैसे कोई बम फट गया हो और गले मिलते हुए जब मेरे हाथ उसकी कमर पर गये तो मुझे एहसास हो गया कि इसकी गांड भी बहुत भरी हुई है क्योंकि मेरे हाथ का आधा हिस्सा उसकी गांड के उभार पर छू रहा था.

दोस्तों हमारा पहला दिन एकदम ठीकठाक रहा और फिर रात को मेरा एक रूम का फ्लॅट होने के कारण हम लोगों को एक ही बेड पर सोना पड़ा था. मेरे और संचीता के बीच में मेरी गर्लफ्रेंड सोई हुई थी जिसे मैंने हर रात चोदा.

संचीता के सो जाने के बाद उस पहली रात को अपनी गर्लफ्रेंड से सेक्स करने के बाद जब में बाथरूम गया और मैंने आते वक़्त लाईट को जलाया तो देखा कि संचीता की वो छोटी सी पेंट जो की बहुत ढीली सी थी बिल्कुल ऊपर आ गई है और उसने अपना पैर इस तरह से रखा हुआ था कि मुझे उसकी जाँघ के अंदर का हिस्सा साफ साफ नज़र आ रहा है जो कि सबसे ज्यादा आकर्षक होता है और उसकी टी-शर्ट में से उसका बूब्स नज़र आ रहे थे और मैंने यह भी गौर किया कि उसके बूब्स के निप्पल कपड़ो के ऊपर से उभरे हुए थे और फिर में समझ गया कि उसने सोने से पहले अपनी ब्रा को उतार दिया है. में भी लाईट बंद करके लेट गया, लेकिन मेरा दिल और दिमाग़ संचीता के बूब्स और गांड को छूने के बारे में दौड़ रहा था और ना जाने कब में उसके बारे में सोचता सोचता सो गया.

अगले दिन सुबह जब मैंने उठकर देखा तो उस समय चारू घर पर नहीं थी. फिर मैंने सही मौका देखकर संचीता से अपने किस वाले गिफ्ट के बारे में पूछा तो वो मेरी बात को हंसकर टाल गई और फिर मैंने उससे नाराज़ होने का नाटक सा किया तो उसने झट से मेरे गाल पर एक किस दे दिया. तभी मैंने भी उसे फट से पकड़कर स्मूच कर लिया और फिर मैंने उससे कहा कि मुझे अपना गिफ्ट लेना अच्छी तरह से आता है और जब भी मेरा दिल करेगा तब में ले लूँगा.

दोस्तों संचीता पहले तो अचानक से बहुत घबरा गई, लेकिन फिर शरमाकर टीवी देखने लगी और अब मैंने उसको थोड़ा रुक रुककर तीन चार बार मज़ाक करते करते स्मूच किया, लेकिन उसने मुझसे हमेशा मुस्कुराकर दूर हटने का नाटक किया, जिसकी वजह से मेरी हिम्मत अब बढ़ती जा रही थी और संचीता भी इस हरकत को मेरी बदमाशी समझती रही क्योंकि में हमारी हर बात में जीजा साली की बात करता था.

दोपहर को संचीता लेटकर एक किताब पड़ रही थी और में टीवी देख रहा था कि तभी अचानक मेरा ध्यान उसकी गांड पर से उसके सूट पर गया. मुझे उसकी गोरी जांघो के साथ साथ गांड का पूरा आकार नज़र आ रहा था, जिसको देखकर मेरा दिल तो ऐसा कर रहा था कि में अपना लंड उसकी गांड में उसके कपड़ो के ऊपर से ही डाल दूँ और उसे इतना जमकर चोदूँ कि उसकी गांड फट जाए.

अब में उसके पास सरककर लेट गया और उसे स्मूच करने के लिए अपनी तरफ खींचने लगा, लेकिन संचीता मुझे हर बार धक्का मार रही थी और इसी खींचा-तानी में मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया और मैंने भी एक अच्छा मौका देखकर उसे ज़ोर से दबा दिया. संचीता के मुहं से आईईई उफफ्फ़ की आवाज़ निकली और उसने दर्द की वजह से अपनी दोनों आँखे बंद कर ली और अब में भी घबराने लगा कि यह कहीं अपनी दीदी को यह सब ना बता दे? में अब बहुत भोला बनकर उसके पास में बैठकर उससे बोला कि प्लीज मुझे माफ़ कर दो, अगर तुम्हे मेरी किसी बात का बुरा लगा हो तो? दोस्तों मैंने पहले से ही सोच लिया था कि अगर संचीता ने मुझे तमाचा मारा तो में चुपचाप माफी माँग लूँगा और उससे अपनी दीदी को ना बताने के लिए आग्रह करूंगा.

अब संचीता ने मुझे बहुत गुस्से से देखा और वो अपने दोनों हाथों से अपने गोल गोल बूब्स को सहलाते हुए बोली कि आईई माँ बहुत दर्द हो रहा है, वैसे यह कोई बुरा मानने वाली बात नहीं है, लेकिन क्या कोई इतनी ज़ोर से दबाता है? इसके दर्द ने मेरे पूरे बदन में एक अजीब सा दर्द पैदा कर दिया है. अब में क्या करूं उह्ह्हह्ह माँ मर गई. दोस्तों में उसके मुहं से यह बात सुनकर समझ गया कि में बच गया और मैंने झट से मज़ाक में हंसते हुए उसके दूसरे बूब्स को धीरे से सहलाकर पूछा कि में सब दर्द ठीक कर दूंगा और अब हम दोनों बेड पर ही एक दूसरे से मज़ाक में लड़ने झगड़ने लगे. दोस्तों सच पूछो तो में आज ऐसा कोई भी मौका छोड़ना नहीं चाहता था.

जब में उसके जिस्म के किसी भी हिस्से को इतने आराम से छू सकूं और अब झगड़ते समय भी मैंने कई बार उसकी पीठ पर, उसकी जाँघ पर, उसके बड़े बड़े बूब्स पर और थोड़ा बहुत उसकी गांड के कुछ हिस्सो को अपने हाथों से सहलाया, मसला और धीरे से दबाया और अब मेरी हिम्मत इतनी बड़ गई थी कि चारू के रूम में होने के बावजूद भी मैंने किचन में एक बार संचीता को ज़मीन पर लेटा दिया और उसके बूब्स को मसलते हुए उसको स्मूच किया, लेकिन संचीता ने भी इन सारी बातों को एक जीजा साली की मज़ाक मस्ती में समझकर लिया और उसने चारू को कुछ नहीं कहा.

फिर दूसरी रात को चारू के साथ सेक्स करने के बाद जब में उठकर बाथरूम से वापस आया और मैंने संचीता को फिर से वैसे ही सोया हुआ देखा तो मेरा झड़ा हुआ लंड धीरे धीरे जोश में आने लगा.

में चुपचाप जाकर चारू के पास में लेट गया और अब में इंतज़ार करने लगा कि जब चारू गहरी नींद में सो जाए तब में कुछ करूं और फिर रात के करीब दो बजे में चुपके से संचीता के पास जाकर लेट गया और मैंने अपनी दो उँगलियों से उसके शरीर को छुआ जिससे मुझे पता चल जाए कि वो जाग रही है या सो रही है और जब मुझे पक्का विश्वास हो गया कि वो भी अब गहरी नींद में है तो मैंने धीरे से अपना पूरा हाथ उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स पर रख दिया और बिल्कुल हल्के हल्के दबाने लगा. दोस्तों में कसम से बता रहा हूँ कि उसके वो बीना ब्रा के 5-5 किलो के बूब्स ऐसे तनकर खड़े थे कि में आप सभी को शब्दों में नहीं बता सकता?

अब में धीरे धीरे अपने एक हाथ से उसकी निक्कर को ऊपर खींचने लगा जिससे उसके पूरे पैर नज़र आ जाए और अब मैंने धीरे से अपना पूरा हाथ उसकी जाँघ के अंदर वाली साईड पर रखा. मेरा दिल तो कर रहा था कि में उसकी जाँघ को दांतो से काट लूँ और अब मैंने धीरे धीरे अपनी दो उँगलियों को उसके निक्कर के नीचे से उसकी पेंटी में डाल दिया, लेकिन अब संचीता नींद में थोड़ी हिलने लगी तो में झट से अपना हाथ बाहर निकालकर सोने का नाटक करने लगा.

संचीता अब भी गहरी नींद में थी और थोड़ी देर बाद मैंने अपनी आधी पेंट को पूरा ऊपर खींच लिया और अपने पैर धीरे से उसके पैर के ऊपर रख दिए. जिससे मेरी चमड़ी उसकी चमड़ी से चिपके और जिसे वो भी नींद में महसूस करे. फिर मैंने देखा कि उसकी तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही है और संचीता अभी भी नींद में है तो मैंने अपने लंड को उसके कूल्हों से चिपका दिया और अब तो मुझे अपने आपको रोकना बहुत मुश्किल हो रहा था और में घबराहट से थोड़ा थोड़ा कांपने भी लगा था. फिर में धीरे धीरे उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाने लगा और मेरी दस मिनट की मेहनत के बाद मैंने उसकी टी-शर्ट को उसके निप्पल से ऊपर कर दिया था.

दोस्तों पहले तो में धीरे से अपने चेहरे को उसके बूब्स से छूने लगा और अब में उसके निप्पल का वो उभार और उसके बूब्स की गर्माहट अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था और कुछ सेकेंड्स के बाद मैंने धीरे से अपने एक हाथ से उसके निप्पल को दबाया और ज्यादा से ज्यादा तीन चार बार सक के बाद ही मुझे लगा कि संचीता की नींद अब टूट रही है और में झट से चारू के ऊपर से कूदकर दूसरी साइड में जाकर सो गया. फिर तीसरी सुबह चारू जल्दी उठकर अपने इंटरव्यू के लिए जा चुकी थी और अब घर पर में और संचीता दोनों सो रहे थे. सुबह दस बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि संचीता अभी भी सो रही है. मैंने उसे नींद से तो जगा दिया था, लेकिन उसने अपनी आँखे अभी भी नहीं खोली थी. मैंने उस मौके का फायदा उठाने के लिए मन में ठान ली थी क्योंकि वो अभी भी बिना ब्रा के ही लेटी हुई थी और अब में उसके पास में लेटकर उसे छेड़ने लगा और उसके गाल पर किस करने लगा.

फिर कुछ देर बाद उसने मुझसे परेशान होकर दूसरी साइड की करवट ली और अब वो अपनी पीठ मेरी तरफ करके लेट गई. मैंने झट से अपना लंड उसकी मोटी गांड पर चिपकाकर उसके ऊपर अपना एक पैर रख लिया और उसे परेशान करने लगा. दोस्तों मुझे अब पूरा विश्वास था कि उसको मेरे खड़े लंड का अहसास उसकी गांड पर हो रहा होगा, लेकिन उसने अब तक मुझसे कुछ नहीं कहा और में मन ही मन बहुत खुश था. फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसकी छाती पर रख दिया और अब हल्के से दबाने लगा, जिसकी वजह से संचीता को तो मानो जैसे करंट सा लग गया और वो झटके से उठ गई और फिर हंसते हुए मुझसे कहने लगी कि आप सुधरोगे नहीं क्या? जिसकी वजह से मेरी हिम्मत के साथ उसे चोदने की उम्मीद भी अब बड़ती जा रही थी. फिर वॉशरूम से फ्रेश होकर और अपनी ब्रा को पहनकर संचीता वापस आ कमरे में गई.

फिर हम साथ में नाश्ता करके टीवी देखने लगे और इस बीच मैंने संचीता को दो तीन बार किस कर लिया था और अब में उससे मज़ाक कर रहा था और मज़ाक ही मज़ाक में मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे निप्पल हमेशा खड़े क्यों रहते है? और मेरे मुहं से यह बात सुनकर वो बहुत शरमा रही थी और अब नहाने जाने से पहले उसने मुझे उसके बालों में तेल लगाने को कहा. टीवी देखते देखते में उसके बालों में तेल लगा रहा था, लेकिन मेरा पूरा ध्यान तो ऊपर से नज़र आ रहे उसके बूब्स के बीच की उस लाईन पर टिकी हुई थी. मैंने अब बड़े प्यार से आश्चर्य से पूछा कि संचीता तुम्हारी त्वचा कितनी सूख गई है और मैंने थोड़ा सा तेल उसके गर्दन के आसपास वाली त्वचा पर लगा दिया और अब में थोड़ा गुस्से से बोला कि तुम अपना ख्याल नहीं रखती और उसी गुस्से से मैंने उसके हाथों पर तेल लगाना शुरू कर दिया. संचीता ने भी मुझसे कुछ नहीं बोला.

अब में उसके दोनों हाथों की मालिश करते हुए मैंने उसकी टी-शर्ट को एक तरफ से पूरी ऊपर उठा दी और अब मुझे संचीता की सफेद ब्रा की डोरी भी साफ साफ नज़र आ रही थी. मैंने बड़े प्यारे अंदाज़ में उसकी ब्रा की डोरी को थोड़ा नीचे करके वहां पर भी तेल लगाया और फिर उसे ठीक कर दिया और में तेल लगाते लगाते बोला कि हे भगवान पूरा हाथ और पीठ की त्वचा सुखी हो गई है और अब मैंने संचीता को नीचे लेटने के लिए बोला और उससे कहा कि तुम अपनी टी-शर्ट को थोड़ा ऊपर कर लो ताकि में तेल लगा दूँ. दोस्तों पहले तो वो थोड़ा इनकार करने लगी, लेकिन मेरे थोड़ा ज़ोर डालने पर वो मान गई और अब वो उल्टा लेटकर टीवी देख रही थी. फिर मैंने धीरे धीरे उसकी पीठ पर मालिश करना शुरू कर दिया था और कुछ देर बाद मालिश करते करते मैंने उसकी पूरी टी-शर्ट को ऊपर उठा दिया था उसकी वो सफेद कलर की ब्रा अब मुझे बिल्कुल साफ साफ नज़र आ रही थी और अब मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई थी कि मैंने बहान बनाकर उसकी बहुत अच्छी तरह मालिश शुरू कर दी. में अब उसकी गांड के ऊपर चड़ गया और मैंने अपने एक हाथ से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया.

संचीता एकदम से घबराकर बोलने लगी कि तुम यह क्या कर रहे हो, मुझे ऐसे शरम आ रही है? अब मैंने गुस्से में कहा कि एक तो तुम अपना बिल्कुल भी ख्याल रखती नहीं हो और में मालिश कर रहा हूँ तो शरमा रही हो और मैंने उठकर लाईट को बंद कर दिया और में वापस आकर उसकी गांड के बीच में अपने लंड को फंसाकर बैठ गया और ठीक तरह से बैठने के बहाने से मैंने दो तीन बार अपने लंड को उसकी गांड में रगड़ दिया. संचीता टीवी देखने में व्यस्त थी और में अपना लंड रगड़ रगड़कर उसकी पीठ की मालिश कर रहा था. दोस्तों मेरा तो दिल कर रहा था कि उसकी पीठ को चूम लूँ और उससे चिपक जाऊँ और अब में धीरे धीरे नीचे की तरफ जाकर उसके पैरों की मालिश करने लगा.

दोस्तों में शब्दों में बता नहीं सकता हूँ कि मुझे उस समय कैसा महसूस हो रहा था जब मेरे दोनों हाथ उसके पूरे पैरों पर तेल लगा रहे थे और उसकी वो छोटी सी पेंट बहुत ढीली होने के कारण मेरे हाथ उसकी जाँघो के बाद उसकी गांड को छू रहे थे, लेकिन अब मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि में उसकी वो छोटी सी पैंट (निक्कर) को कैसे उतरवाऊँ? फिर मैंने उससे थोड़ा एक साईड करवट लेकर लेटने को कहा और जैसे हो वो एक साईड में हुई तो उसकी खुली हुई ब्रा तो नीचे ही रह गई, लेकिन उसके बूब्स अब बंद लाईट में भी ऐसे चमक रहे थे जैसे कोई हीरा चमक रहा हो.

मेरा दिल तो बहुत कर रहा था कि में उसका वो पूरा का पूरा बूब्स अपने मुहं में दबाकर उसका सारा दूध निकाल लूँ और मेरा मन करने लगा कि में सारा तेल उसके बूब्स पर लगाकर उसके ऊपर बैठकर उसकी मालिश कर दूँ, लेकिन मैंने उसे बहुत सीधे तरीके से लिया जैसे कि मुझे उससे कुछ फ़र्क नहीं पड़ता और मैंने उसके पेट पर तेल लगाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद मैंने उसकी ब्रा को पूरा निकाल दिया और अपने आप पर बहुत ज्यादा कंट्रोल के साथ मैंने अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स की मालिश शुरू कर दी.

दोस्तों पहले तो संचीता यह सब देखकर थोड़ी टेंशन में थी कि वो यह क्या कर रही है? लेकिन मुझे लगता है कि मेरे अच्छे व्यहवार ने उसे ज्यादा कुछ सोचने नहीं दिया और कंट्रोल करते करते भी मैंने पांच, सात बार उसके बूब्स और निप्पल को थोड़ा ज़ोर से दबा ही दिया. फिर थोड़ी देर बाद मुझे लगने लगा कि अब संचीता को भी अच्छा लग रहा है और थोड़ी देर तक उसके बूब्स की मालिश करने के बाद मैंने उससे कहा कि तुम थोड़ा अपने निक्कर को नीचे कर लो जिससे में पूरी तरह तुम्हारी मालिश कर दूँ और फिर उसके ना ना कहते कहते मैंने अपने हाथ से उसकी उस छोटी सी पेंट को खींचकर नीचे कर दिया था.

दोस्तों उसकी उस गुलाबी कलर की पेंटी में उसकी गांड क्या मस्त सेक्सी और भरी हुई लग रही थी, लेकिन अब मुझसे रह नहीं गया और मैंने सीधे ही उसकी गांड से थोड़ा नीचे तेल डाल कर मालिश शुरू कर दी और अपना हाथ पेंटी के अंदर डालकर पूरी गांड को जी भरकर दबाया और यह कहते हुए कि पेंटी में तेल ना लग जाए उसे भी नीचे सरका दिया और अब उसकी जाँघ पर बैठकर उसकी गांड की बहुत मालिश की, संचीता हंसते हंसते बोल रही थी आपने तो मुझे पूरा नंगा कर दिया, अब तो छोड़ दो मुझे.

मैंने दिल ही दिल में कहा कि में छोड़ तो दूँगा, लेकिन पहले चोदूंगा जब छोड़ दूँगा. मालिश के साथ साथ हम दोनों टीवी पर आ रही फिल्म की भी बातें कर रहे थे और बात करते करते मैंने एक साईड से कूल्हों की मालिश शुरू कर दी थी. में उसकी जाँघो पर बैठा हुआ था और मेरा लंड उसकी जाँघ पर ऐसे दब रहा था कि जैसे उसके मुहं में घुसा हुआ हो. फिर फिल्म की बात करते करते मैंने उसको पैर उठाने को कहा ताकि में उसकी जाँघ की भी मालिश ठीक से कर दूँ और अब में ऐसे बैठा हुआ था कि उसकी चूत के काले काले बाल और उसकी चूत मुझे बिल्कुल साफ नज़र आ रही थी और फिर मालिश और बातें करते करते मैंने अपनी दो उँगलियों को उसकी चूत में डाल दिया.

दोस्तों मैंने महसूस किया कि उसकी चूत एकदम जलते हुए तवे की तरह बिल्कुल गरम थी. मैंने तो मन बना रखा था कि में सबसे पहले उसको अपनी जीभ से चाटूंगा और फिर उसके बाद अपना लंड अंदर डाल दूँगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि जैसे ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली तो वो एकदम से घबराकर उठ गई और बाथरूम में नहाने के लिए भाग गई और अब आग मेरे अंदर भी इतनी ही भड़क चुकी थी. में अब या तो संचीता को चोदता या वो मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर चूसकर मेरे वीर्य को बाहर निकल दे.

में भी उसके पीछे गया तो मैंने देखा कि उसने बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया है और पांच मिनट तक मैंने बहुत ध्यान से सुना, लेकिन मुझे कुछ भी आवाज़ नहीं आ रही थी. मैंने अब अपने कपड़े उतार लिए थे कि में आज तो इसे चोदकर ही रहूँगा. फिर मैंने बाहर से उससे पूछा कि क्या हुआ? तो संचीता ने कुछ नहीं बोला और कुछ देर बाद कहा कि में अभी नहाकर आती हूँ.

मैंने कहा कि ठीक है, लेकिन पहले दो मिनट के लिए खोल दो मुझे हाथ धोना है. दोस्तों पहले तो उसने मुझसे ना कहा और फिर कुछ देर बाद कहा कि ठीक है आकर धो लो, लेकिन मेरी तरफ मत देखना. दोस्तों मैंने तो पहले से ही सोच रखा था कि मुझे दरवाजा खोलकर क्या क्या करना है? और जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो में उसके सामने जाकर खड़ा हो गया. वो मुझे पूरा नंगा देखकर कहने लगी कि यह सब क्या कर रहे हो आप?

दोस्तों अब हम दोनों बिना कपड़ो के थे और मैंने जैसे ही संचीता को पीछे से पकड़ा तो वो छटपटाने लगी, लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और उसके ना ना कहने के बाद भी में उसे उठाकर बाहर ले आया और अब मैंने उससे बड़ी ही उदास आवाज में पूछा कि तुम्हे क्या मेरा छूना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता? तो संचीता ने कहा कि नहीं वो बात नहीं है, लेकिन दीदी इस बारे में क्या सोचेगी? मैंने उसे समझाया कि यह सब बातें बताने वाली थोड़ी है जो तुम्हारी दीदी को पता चलेगा.

फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके बूब्स को मसलना शुरू किया और दूसरा हाथ जैसे ही उसकी चूत के ऊपर रखा तो उसको बिल्कुल भी होश नहीं था. उसके पैर अब धीरे धीरे खुलते गए और मेरे हाथ उसकी चूत के अंदर जाने लगे और थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपना लंड पकड़ा दिया, जिसका साईज़ करीब 8 इंच होगा. फिर उसने मेरे लंड को अपने मुहं मे डालने के बाद ऐसे चूसना शुरू किया जैसे कोई भूखी शेरनी को माँस का टुकड़ा मिल गया हो और आज लाईफ में पहली बार किसी लड़की ने मेरे लंड के साथ मेरे आंड को भी चूसा और चूसते चूसते जो सूप सूप सूप की आवाज़ उसके मुहं से आ रही थी वो मुझे और भूखा बना रही थी और अब बारी थी मेरे लंड से उसकी चूत की चुदाई की और फिर में समझ गया कि संचीता अब पूरी तरह मूड में है.

मैंने उससे कहा कि वो मेरे ऊपर आकर बैठ जाए और फिर उसने वैसा ही किया और उसने मेरे ऊपर बैठकर मेरे लंड को एक हाथ से पकड़कर अपनी चूत में डाल दिया और मेरे कंधो को पकड़कर ऊपर नीचे होने लगी. लंड के थोड़ा अंदर जाते ही वो एकदम ज़ोर से चीखने लगी और वो एक जगह पर बिना हिले रुक गई, शायद वो अपनी चूत में मेरे लंड से टूटी अपनी सील को महसूस कर रही थी और फिर कुछ देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी और में उसकी कमर पर अपने हाथ रखकर उसे सहारा देना लगा. फिर तीन चार मिनट के बाद मैंने उसको नीचे आने को कहा.

अब मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और अपना पूरा लंड उसकी चूत के अंदर एक ही ज़ोर के धक्के में डाल दिया, लेकिन जैसे जैसे में अपना लंड, चूत के अंदर बाहर करता तो वो भी अपनी कमर को ऊपर उठा देती, जिसकी वजह से लंड चूत के अंदर पूरा घुस जाए और में धीरे धीरे धक्के देने लगा, लेकिन कुछ देर बाद मैंने संचीता को डॉगी स्टाइल के लिए कहा, लेकिन पहले तो उसने साफ मना किया और फिर मान गई. फिर मैंने उसकी गांड की तरफ से अपना लंड डालना शुरू किया.

में उसकी मोटी मोटी गांड पर हाथ फेरते हुए उसमें अपना लंड डाल रहा था और जब उसकी गांड मेरे लंड के आख़िरी हिस्से से लगती तो बस मज़ा ही आ जाता था. इस तरह उसे चोदते हुए उसके लटके हुए बूब्स को पकड़ने का मज़ा भी बहुत अजीब था. दोस्तों मैंने संचीता को करीब 25 मिनट तक लगातार चोदा और फिर मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में ही डाल दिया. दोस्तों अब उसकी खुशी का तो ठिकाना नहीं था और मेरे भी दिल की तमन्ना उसे चोदने की अब पूरी हो गई थी. अब उसके बाद शाम होने तक मैंने उसे चार बार और चोदा और जब तक वो मेरे फ्लेट पर रही हर दिन में उसकी चुदाई करता रहा और संचीता को मेरा उसकी चूत के बालों को अपने हाथों से खींचना बहुत अच्छा लगता था. फिर उनके जाने वाले दिन मैंने उसे कहा कि संचीता तुम बहुत अच्छी हो और तुमको चोदने का यह एहसास ज़िंदगी भर मेरे साथ रहेगा. तुम्हारी जैसी चुदक्कड़ साली किसी किसी को हो मिलती है. मेरी चुदक्कड़ रांड साली संचीता मेरा लंड हमेशा तुम्हारे मुहं में घुसने को बेताब रहेगा और मेरा सिर्फ इतना कहना था कि संचीता ने सबसे नज़र बचाते हुए मेरे लंड पर ज़ोर से मारा और कहा कि जब तक में दोबारा नहीं आती तुम इसकी मालिश करते रहना.



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