टूशन में टाइट जींस पहन कर आयी मेने उसे अकेले में बुलाया फिर पटाके जमकर चोदा

 
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हाय दोस्तों, आशुतोष पाण्डेय आप सभी का कामुक स्टोरी डॉट कॉम में स्वागत करता है। मैं कई सालों से नॉन वेज स्टोरी की सेक्सी स्टोरीज पढ़ रहा हूँ, इससे जादा मस्त रसीली कहानियाँ और कहीं नही मिलती है। आज मैं भी आपको अपनी रसीली कहानी सुनाना चाहता हूँ। मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ।

ये उस समय की बात है जब मैं बेरोजगार था और पॉकेट मनी के लिए मैं ट्यूशन पढ़ाने लग गया था। मैं इससे ३ से ४ हजार रूपए कमा लेता था। मुझे मेरे घर के पास में एक नया ट्यूशन मिला था, मैंने वहां गया। एक बड़ी ही काली कलूटी औरत ने दरवाजा खोला। मैंने बताया की मैं ट्यूशन के लिए आया हूँ। उसने मुझे कमरे में बिठाया। वो गुप्ता थी, घर ठीक ठाक था, ना बहुत अच्छा ना बहुत बुरा।

“मास्टर…..कितने पैसे लोगे??” वो काली औरत बोली

“2000” मैंने जवाब दीया

“ये तो बहुत जादा है??” वो बोली इतने में उसकी लड़की आ गयी। बाप रे, कितनी गोरी चिकनी और क्या पटाखा चोदने लायक माल थी वो। उसको देखकर मैंने तुरंत ५०० रूपए कम कर दिए

“ठीक है मैं १५०० फ़ीस लूँगा, मैं जल्दी पैसा कम नही करता हूँ। क्यूंकि अब २००० की रेट चल रहा है!!” मैंने कहा

वो काली औरत मान गयी। मैं उसकी मस्त गोरी चिकनी लड़की को पढ़ाने लगा, उसकी लड़की का नाम शालू था, उसका बाप बहुत गोरा था पर माँ काली थी। शालू अपने बाप पर गयी थी, इसीलिए वो काफी मस्त माल थी। मैं उसे शाम को ६ से ७ पढ़ाने लगा। शालू को पहले दिन जब मैंने देखा था तभी उसको चोदने की इक्षा होने लगी थी, माल ही इतनी हॉट थी। मुझे नई मालूम था की शालू अभी तक चुदी है की नही। मैं उसे मेहनत से पढ़ाने लगा। धीरे धीरे मेरी शालू से दोस्ती हो गयी। वो कभी सलवार सूट पहनती, कभी जींस, टॉप, पर सारे कपड़ों में उसके ३२ साइज के नये नये दूध का उभार तो मैं साफ़ देख लेता था। शालू का चेहरा गोल था और वो बहुत गोरी थी। चेहरे की छप और गठन भी काफी सुंदर था, धीरे धीरे मेरा उसे चोदने का दिल करने लगा। जब वो मुझे कॉपी चेक करने के लिए देती तो मेरा हाथ उसके हाथ से लग जाता। “ओह्ह्ह्ह गॉड….बस किसी तरह ये शालू पट जाए और मैं इसे कमरे में इसके घर में ही चोद लूँ जी भर के!!” मैंने दुआ करता।

कई बार शालू बड़े ही सेक्सी कपड़े पहनती। वो टॉप और शॉर्ट्स पहनती जिसमे खरगोश ही खरगोश बने होते। उसके शॉर्ट्स में उसके घुटने ही ढँक पाते और चिकनी चिकनी कमनीय टांगे मैं साफ़ साफ़ देख सकता था। मादरचोद!! शालू की चूत कितनी हसीन और चिकनी होगी, मैं यही बात बार बार सोचता। कई बार जब उसे जादा सवाल बताने होते तो २ २ घंटे मैं उसे पढ़ा देता, बीच में वो अंगडाई और जम्हाई लेती। दोनों हाथ उपर को खड़े कर देती तो उसके दोनों आम मुझे साफ़ साफ़ दिख जाते। “बेटा आशुतोष, जो भी इस लौंडिया को चोदेगा सीधा जन्नत में जाएगा!!” मैं सोचता। धीरे धीरे शालू के प्रति मेरी दीवानगी और चाहत बढती चली गयी। जब मेरे सामने पड़े तख्त पर वो झुककर अपनी कापी में कुछ लिखती तो उसके टॉप से मैं उसके २ बेहद खूबसूरत और नर्म आमों को साफ़ साफ़ देख सकता था।

पढ़ाने के बाद मैं घर आता तो बस शालू के मम्मे ही याद आते। सोच सोचकर मैं मुठ मार देता। “हे भगवान, इस लौंडिया की बस किसी तरह चूत दिलागे। १०१ रूपए का प्रसाद चढ़ाऊंगा!!” मैंने बार बार दुआ करता।

एक दिन जब वो मुझे कॉपी दे रही थी तो मेरा हाथ उसके दूध से टकरा गया। मैं तो झेप गया की लड़की सोचेगी कि गुरु जी कितने ठरकी और चुदासे टाइप के आदमी है। पर उसके दूध में हाथ लगने के बाद शालू मुझे बार बार देख रही थी। मैं नजरे चुराने लगा और एक किताब लेकर पढने का बहाना बनाने लगा। पर दोस्तों, शायद उपर वाले ने मेरा काम कर दिया था और दुआ काबूल कर ली थी। अगले ४ दिन तक शालू मुझे घूर घूर के देखती रही। फिर मैं भी उसे देखता रहा। वो मुझे पसंद करने लगी थी। मैंने उसे मैथ्स के कुछ फोर्मुले याद करने को दिए, पर वो तो जैसे कुछ अलग ही सोच रही थी, बार बार मुझे ही ताक रही थी।

“शालू , क्या देख रही हो??” मैंने पूछा

“नही कुछ नही!” वो शर्माने लगी

“…..कुछ तो जरुर है!” मैंने कहा तो वो अचानक से मेरे करीब आ गयी

“सर!! आप मुझे बहुत अच्छे लगते है!!” शालू बोली

ये सुनकर तो मेरा दिमाग की खराब हो गया। हो गया इतनी चूत का इंतजाम मैंने खुद से कहा। हे भगवान, तू कितना महान है, मैंने कहा। उसके बाद मैंने किताब इताब हटा दी और सिर्फ उसे ही ताड़ने लगा। हम दोनों एक दूसरे को ताड़ने लगे। लड़की खुद ही पट गयी थी।

“शालू तुम भी मुझे बहुत अच्छी लगती हो!!” मैंने कहा

अगले दिन फिर वही हुआ, धीरे धीरे शालू और मैं एक दूसरे को ताड़ने लगे। एक दिन उसकी मम्मी कही बाहर अपनी सहेली से मिलने गयी थी, शालू घर पर बिलकुल अकेली थी, उसको चोदने का मेरा बड़ा दिल था, उसे चोदने का परफेक्ट टाइम था, घर में कोई नही और हम दोनों अकेले। शालू इस समय शायद १७ साल की थी, उसकी चूत मारने को और उसके बेहद नए नए और नर्म मम्मे पीने को मेरे ओंठ मचल रहे थे। उस दिन भी वही हुआ, जैसे ही हम दोनों पढने के लिए वो मुझे ताड़ने लगी। मैं खुद ही उसके पास चला गया और उसके हाथ में लेकर मैंने अपने ओंठों पर लगा लिया और किस कर लिया। वो मचल गयी। फिर मैंने ही उसे बाहों में भर लिया और किस करने लगा। जितना जादा मेरी उसे चोदने की इक्षा थी, उससे जादा गर्म थी शालू। वो मुझसे कसकर चुदवाना चाहती थी।

हम एक दुसरे के ओंठ पिने लगा। मैं २७ साल का था, कई लड़कियाँ और औरतें मैं चोद चूका था, आज ये १७ साल की मस्त नई नई पढने वाली लौंडिया मेरे मोटे लौड़े का शिकार बन्ने वाली थी। सबसे कमाल की बात थी की वो खुद ही चुदवाने के मूड में थी। आज शालू से एक गुलाबी टॉप और गुलाबी रंग के शॉर्ट्स पहन रखे थे, जिसमे कई सफ़ेद रंग के खरगोश बने हुए थे। मेरी कुर्सी के ठीक सामने एक तख्त पड़ा था, जिसपर शालू बैठी थी। इसी तख्त पर मैं अब इस लौंडिया को चोदने वाला था। मैं अपनी कुर्सी छोड़कर उसके पास चला गया था। मैंने अपनी चेली शालू को बाँहों में भर लिया था और उसके गोरे और चिकने गाल चूम रहा था। वो मुझसे १० साल छोटी थी, पर वो प्यार व्यार सब जान गयी थी, पर आज चुदाई का महा सेक्सी पाठ मैं उसे पढ़ाने वाला था। शालू और कुवारी, नई और मस्त लौंडिया थी, मैंने मजे से उसके बेहद सेक्सी और जूसी होठ को पी रहा था। मैं उसको कसके रगडकर चोदूंगा, मैं मन ही मन में ये बात सोच ली। आज शालू के नये नये होठ पीकर तो जैसे स्वर्ग ही हाथ लग गया था।

इतनी मस्त नई नई अनचुदी और कुवारी कली क्या किसी को चोदने को मिलती है, मैं खुद की किस्मत पर नाज करने लगा। शालू ने अपने बालों को एक रबर बैंड से बाढ़ रखा था, वो और जादा चुदासी और कामुक लगे, इसलिए मैंने उसके बालों से काले रबर बैंड को निकाल दिए। उसके बाल खुल गये और वो अब जादा मस्त माल लगने लगे।

“सर, क्या आप आज मुझे चोदेंगे!!” शालू दबी जबान में धीरे से बोली

“चुदाई क्या होती है….क्या तुम जानती हो शालू??” मैंने पूछा

“….नही….पर मैंने अपनी दोस्तों से एक चुदाई शब्द बार बार सुना है!!” वो बोली

मैं फिर से उसके होठ पीने लगा। क्यूंकि मैं बातों में वक़्त बर्बाद नही करना चाहता था। हाँ, आज मैं अपनी खूबसूरत चेली को चोदना और खाना चाहता था और उसकी गुलाबी रसीली बुर का भोग लगाना चाहता था। हाँ, मैं एक ठरकी गुरूजी था। मैंने किताब कॉपी और पेन पेंसिल हटा दी और अपनी माल शालू को उसी तख्त पर लिटा दिया। तख्त पर एक मोटा आरामदायक गद्दा और एक साफ चादर बिची हुई थी, काफी मुलायम था ये गद्दा और मेरी चेली शालू को चोदने पेलने के लिए ये बिलकुल सही जगह थी। शालू का खरगोश वाला गुलाबी सूती पाजामा (शॉर्ट्स) मुझे मस्त मस्त और सेक्सी लग रहा था। मैंने उसके सर के नीचे एक मोटा आरामदायक तकिया लगा दिया और शालू के उपर लेट गया और फिर से उसके होठ पीने लगा। कुछ देर में एक जवान मर्द और औरत के बीच जो रिश्ता होता है वो जाग गया। बात साफ़ थी, मैं अपनी चेली को चोदना चाहता था और वो चुदवाना चाहती थी।

एक बार फिर से मैंने अपना चेहरा शालू के चेहरे पर रख दिया। मेरे बड़े से चेहरे से उसके पुरे मुंह में ढँक लिया, मेरा मुंह उसके मुंह पर जा चिपका। हम दोनों एक दूसरे के ओंठ एक बार फिर से पीते रहे और हम दोनों गर्म होने लगे। कुछ देर बाद तो मैं और शालू अपने अपने जबड़े चलाकर एक दूसरे के गुलाबी ओंठ पीने लगे। कम से कम २० मिनट तक हम दोनों का गर्मागर्म चुम्बन कार्यक्रम चला। मेरे हाथ अपने आप उसके दूध पर चले गये, मैंने नीचे देखा तो मेरे हाथ उसके गुलाबी टॉप पर पहुच गये थे। शालू के मस्त मस्त रसीले दूध को मैं उपर से ही महसूस कर सकता था। उफफ्फ्फ्फ़….क्या मस्त मस्त बड़ी बड़ी गेंद थी उसकी। आज इन गेंदों को सिर्फ मैं ही दबाऊंगा और मुंह में लेकर किसी बच्चे की की तरह पी पी कर मैं सारा रस चूस लूँगा, मैं सोचने लगा।

“हाँ, शालू आज मैं तुमको चोदूंगा…और आज तुमको इतजा मजा दूंगा की तुम फिर मुझसे रोज चुदवाया करोगी!!” मैंने शालू से कहा

फिर मैं जोर जोर से उसकी ३४” की गेंद जोर जोर से दबाने लग गया। शालू आआआआअह्हह्हह… अई…अई…. .ईईईईईईई..की मादक आवाजे निकालने लगी। मैं जोर जोर से उसके गुलाबी टॉप के उपर से उसकी बड़ी बड़ी गोल गोल गेंद दबा रहा था। शालू मस्त हो गयी, वो बहुत चुदासी हो गयी, पर मैं पूरे मजे लेकर उसे ठोकने के मूड में था। मैं जोर जोर से उसके दूध दबाने लगा।

“आहहहह्ह्ह्ह…सररररररर…दबाइये!….और दबाइये…..बहुत मजा आ रहा है!!” शालू बोली

कुछ देर बाद मैंने उसका टॉप और वो खरगोश वाला पजामा दोनों निकाल दिया। वो १७ साल की मस्त चुदने लायक माल थी और ब्रा और पेंटी पहनना शुरू कर दी थी। मैंने उसकी लाल रंग की ब्रा और पेंटी भी निकाल दी और उसको पूरा और सम्पूर्ण रूप से नंगा कर दिया। उसके चिकना नंगा और चांदी सा जिस्म मेरे सामने था और मैं उसे देखकर उसका रूप पी रहा था। दूध तो बड़े खूबसूरत थे, बस मुंह में लगाकर पीने लायक। मेरी नजर धीरे धीरे अपनी चेली शालू के चांदी से सफ़ेद जिस्म पर नीचे की तरफ जाने लगी, मुझे उसकी चूत साफ साफ़ दिख गयी। हल्की हल्की काली काली किसी घास सी झाटे मुझे शालू की चूत पर दिख गयी। मैं बिना कोई वक़्त गवाए उसके उपर लेट गया और मैंने उसके ३४” के दूध अपने मुंह में भर लिए और मजे से पीने लगा। “ओह्ह्ह्ह माँ… अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ…चूसो चूसो…..और चूसो…मेरे मम्मो  को….अच्छे से पियो मेरे दूध” शालू बोली। मैं मजे से उसके दूध पीने लगा। उफ्फ्फ्फ़..क्या मस्त मस्त काली काली निपल्स थी उसकी। मेरी तो आज लाटरी ही लग गयी थी। मैं मजे से अपनी चेली के दूध पी रहा था। जिस लड़की को मैं ट्यूशन पढ़ा रहा था आज उसी चेली को उसके ही घर में मैं चोदने जा रहा था। मैंने करीब ३५ मिनट मजे लेकर शालू के मक्खन जैसी मलाई के गोले मुंह में लेकर पिए और उसकी निपल्स को खूब चूसा और दांत से किसी चूहे की तरह कुतरा।

मैंने सारे कपड़े निकाल दिए। अंडरविअर में मेरा लौड़ा तो कपड़े परेशान था। फिर मैंने अंडरविअर भी निकाल दिया। उसके बाद मैं लेट गया और मैंने शालू के दोनों पैर खोल दिए। उसका भोसड़ा, उसकी चूत, उसकी योनी और उसकी नशीली बुर ठीक मेरे सामने थी। हाँ, मैंने सही कहा। शालू के उस स्वर्ग के द्वार को मैं साफ़ साफ़ देख सकता था। मैं झाटों पर अपनी उँगलियाँ फिराने लगा तो शालू मचल गयी।

“सर!! आराम से मुझे चोदना, जादा दर्द मत देना” वो बोली

“जान…..दर्द तो होगा ही चुदाई में!!….पर बाद में तुम बस सातवे आसमान में बादलों के बीच खुद को पाओगी!” मैंने कहा

उसके बाद मैंने उसकी बुर मजे लेकर पीने लगा। कुछ देर तक चूत पीने के बाद मैंने अपना मोटा लौड़ा उसकी चूत के दरवाजे पर रख दिया और जोर का धक्का मारा। पक की आवाज करता लंड सीधा अंदर पहुच गया। वो दर्द में तड़पने लगी। मैं अपनी चेली को जल्दी जल्दी चोदने लगा। वो रो रही थी, पर मैंने उसकी कोई परवाह नही की और उसकी दोनों कलाई पकड़कर मैं जल्दी जल्दी उसे चोदने लगा और ठोंकने लगा। वो उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई……की तेज तेज आवाज निकलती रही। उसके चुदते हुए चेहरे, बंद आँखे और आवाज निकलते मुंह को मैं बार बार ताक रहा और उसका सौंदर्य मैं पी रहा था। फिर मैंने अपने चोदन की रफ्तार बढ़ा और इतनी तेज तेज पेलने लगा की पूरा तख्त ही हिलने लगा। मैंने अपनी ट्युशन वाली चेली को पूरा ४५ मिनट चोदा और माल उसके भोसड़े में ही छोड़ दिया। फिर मैंने उसकी कुवारी गांड मारी। ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

 


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