दोस्त की बीवी आयशा की चूत चुदाई

 
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दोस्तो, मेरा नाम आतिफ है, इंजीनियरिंग कर रहा हूँ और मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ।

मैं दिखने में स्मार्ट, गोरा और गुडलुकिंग हूँ।
मेरी उम्र 22 साल है.. लड़कियों से ज्यादा मुझे आंटी में मजा आता है।

अन्तर्वासना पर ये मेरी पहली कहानी है जो मेरे साथ कुछ दिन पहले बीती।

मेरा एक दोस्त है अब्दुल.. जिसकी एक साल पहले ही लव-मैरिज हुई थी। उसके घर वाले शादी के खिलाफ थे.. इसलिए वो दोनों अलग किराए के घर पर रहते थे।

मेरा दोस्ती की वजह से उसके घर आना-जाना लगा रहता था।

एक दिन अब्दुल का मेरे पास फ़ोन आया- यार आतिफ.. मैं कल दूसरे घर में शिफ्ट हो रहा हूँ.. तुम मेरी थोड़ी हेल्प कर देना.. मैं अकेला सब नहीं कर पाऊँगा।

मैंने दोस्ती के नाते ‘हाँ’ कर दी।

अगले दिन मैं अब्दुल के घर गया तो अब्दुल पहले से ही काम में लगा हुआ था।

मैं भी जाकर उसके साथ लग गया।

वो पहले माले पर रहता था.. इसलिए थोड़ी और दिक्कत हुई।

वो सामान लाकर दरवाज़े पर रख देता और मैं उसे नीचे गाड़ी में रख देता।

तभी मैंने अब्दुल की बीवी को पहली बार ठीक से देखा।

क्या माल थी वो.. मैं तो उस वक़्त यही सोचने लगा कि ये अब्दुल के गले कैसे पड़ गई।

उसका नाम आयशा था.. वो दिखने में किसी हीरोइन से कम नहीं थी और उसके फिगर का तो पूछना ही क्या..

जैसा कि मैं बता चुका हूँ कि उसकी एक साल पहले ही शादी हुई है और वो भी लव-मैरिज हुई थी।

तो उस दिन सामान शिफ्ट करने में.. हम दोनों ने एक-दूसरे को कई बार देखा।

मेरा अभी तक उसके साथ कुछ गलत करने का मन नहीं था.. पर उस दिन काम करते-करते हमें रात हो गई।
मैं एक बजे घर आ गया।

अब्दुल एक कंपनी में काम करता है.. जिसकी वजह से उसे हर हफ्ते 2-3 दिन के लिए दिल्ली या नॉएडा जाना पड़ता था।

उस दिन भी यही हुआ.. उसे शिफ्ट हुए एक ही दिन हुआ था कि उसे दिल्ली निकलना पड़ा।

अब्दुल सुबह 6 बजे ही दिल्ली के लिए निकल गया और करीब 8 बजे उसका मुझे कॉल आया कि वो दिल्ली जा रहा है और मैं उसके नए घर जा कर देख लूँ.. आयशा को किसी चीज़ की कोई दिक्कत तो नहीं और आयशा भाभी से पूछ लूँ कि कुछ सामान वगैरह तो नहीं मंगाना है।

मैंने अब्दुल से ‘हाँ’ कर दी और उसके घर चला गया।

इस बार फिर अब्दुल को घर पहले माले पर ही मिला, इसलिए घर की घन्टी बजाने की जरूरत नहीं पड़ी.. क्योंकि नीचे मकान-मालिक रहते थे तो मैं सीधा ऊपर ही चला गया।

मैं ऊपर पहुँचा तो देखा भाभी नहा कर अपने कपड़े सुखाने के लिए फैला रही थी और उसके एक हाथ में ब्रा और पैंटी थी।

मैंने भाभी को आवाज़ लगाई तो भाभी एकदम चौक गई और ब्रा और पैंटी को एक कपड़े से छुपा लिया।

अब मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, लेकिन मैंने अपने आप को संभालते हुए बोला- मुझे अब्दुल ने भेजा है.. आपको किसी चीज़ की ज़रूरत हो, तो मुझे बता दो.. मैं ला दूँगा।

तो भाभी ने कहा- अभी तो किसी चीज़ की ज़रुरत नहीं है।

तो मैंने अपना मोबाइल नंबर भाभी को दे दिया और कहा- कोई काम हो.. तो मुझे कॉल कर लेना।

फिर एक महीने तक तो ऐसा ही चलता रहा।

मैं उसके घर भी आता-जाता रहता और भाभी को पटाने के मौके भी तलाश करता रहता.. लेकिन कुछ बात न बनी।

फिर आखिर वो पल आ ही गया।
अब्दुल को एक साल के लिए बाहर जाना पड़ा।

अब्दुल के बाहर जाते ही अब तो मेरा उसके घर भी आना-जाना खत्म सा हो गया।
दो महीने गुज़र गए थे।

एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहा था कि तभी मेरा मोबाइल बजा।
मैंने फ़ोन उठाया तो एक लड़की बोली।

मैंने पूछा- कौन बोल रहा है?

तो वो बोली- पहचानो।

कुछ देर बाद मैं पहचान गया कि ये और कोई नहीं बल्कि आयशा भाभी ही हैं।

फिर हमारी काफी देर बात हुई।

मैं अब समझ चुका था कि आयशा भाभी मुझे क्यूँ फ़ोन कर रही हैं। दो महीने हो चुके थे उन्हें लौड़े का स्वाद चखे.. तो अब खुजली तो होगी ही।

खैर कुछ दिन तो हमारी हल्की-फुल्की बात हुई.. फिर भाभी मुझे रात में भी कॉल करने लगीं और हमारी पूरी-पूरी रात बात होती रहती।
अब मेरे सब्र का बाँध टूटने लगा।

एक महीने तक हम बात करते रहे.. फिर एक रात भाभी ने मुझे प्रपोज कर दिया…

मैं तो हैरान रह गया।

अब मैं कहाँ सब्र करने वाला था.. रात के 2 बजे थे.. मैंने भाभी से कहा- मैं आपके घर आ रहा हूँ।

तो भाभी ने कहा- मैं तो कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ…

मैंने जल्दी से अपनी गाड़ी उठाई और भाभी के घर चल दिया।

जब मैं भाभी के घर पहुँचा तो सब दरवाज़े बंद थे.. मैं दीवार फान्द कर ज़ीने से ऊपर चला गया।

फिर मैंने भाभी का दरवाज़ा खटखटाया.. तो भाभी ने धीरे से दरवाज़ा खोला और मुझे अन्दर खींच लिया।

उस वक़्त भाभी ने पीला लूज टॉप और ब्लैक सलवार पहनी हुई थी।

भाभी को तो कुछ देर तक यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं उनके सामने बैठा हूँ। फिर हमने कुछ देर इधर-उधर की बात करते रहे..
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कहाँ से शुरू करूँ।

मैंने तो सोच लिया था कि आज कुछ नहीं होगा..

थोड़ी देर में वापस चल दूँगा कि तभी भाभी ने मुझसे कहा- अगर मैं तुम्हें चुम्बन करूँ तो तुम अब्दुल को या किसी को कुछ बताओगे तो नहीं?

ये सुनना था कि मैं तो मानो सातवें आसमान पर पहुँच गया।

मैंने झट से कहा- मैं तो नहीं बताऊँगा.. बस तुम भी किसी से न बताना।

इतना सुनते ही भाभी मेरे करीब आई और अपने होंठ मेरे होंठ से मिला दिए।

मैं तो पागल सा हो गया था।

हम लोगों ने दो मिनट तक चुम्बन किया.. फिर बैठ गए।

मुझे लगा कि भाभी इसके आगे कुछ नहीं करेंगी।

लेकिन मैं भी अब कहाँ रुकने वाला था.. मैंने भाभी को पकड़ा और चुम्बन करना शुरू कर दिया और दस मिनट तक चुम्बन करता रहा।

भाभी भी पागल सी होने लगी थी.. मेरी पूरी जीभ अपने मुँह में ले ली.. अब भाभी को भी मज़ा आने लगा था।

चुम्बन करते-करते मैंने अपने शर्ट निकाल दी और भाभी का टॉप धीरे-धीरे उठाने लगा।

भाभी भी गरम हो रही थी.. मैंने एक झटके में भाभी का टॉप उतार दिया।

भाभी ने काली ब्रा अन्दर पहन रखी थी.. भाभी उस वक़्त क्या कमाल की लग रही थी…

मैं तो देखता ही रह गया।

फिर मैं भाभी को चुम्बन करते-करते मम्मों को दबाने लगा और धीरे-धीरे उसकी सलवार उतारने लगा।

पहले तो भाभी ने मुझे मना किया.. तो मैंने भाभी को चुम्बन किया और आँखों में आँख डाल कर देखने लगा और फिर धीरे-धीरे पूरी सलवार उतार दी।

अब भाभी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और मैं सिर्फ जीन्स में था।

मैं भाभी को चुम्बन कर ही रहा था कि भाभी ने धीरे से मेरी जीन्स का बटन खोल दिया। मैंने भी देर न करते हुए अपनी जीन्स उतार दी।

अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था और भाभी ब्रा- पैंटी में थी।

हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे हुए चुम्बन कर रहे थे।

अब मैंने भाभी की ब्रा को खोल दिया और उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे हाथों में थी।

मैं उन्हें चूसने लगा और चूसते-चूसते उनकी पैंटी भी उतार दी।

मैं भाभी को पागलों की तरह चूमने लगा और भाभी भी मचलने लगी।

फिर मैंने भाभी की टाँगें फैला कर चूत को देखा तो एकदम गुलाबी चूत.. एक भी बाल नहीं.. ऐसा लग रहा था जैसे आज ही बाल बनाए हों।

मैंने चूत आगे की और चूमना शुरू कर दिया.. तभी भाभी के मुँह से ‘अह्ह अह्हह अह्ह अह्ह्ह… उम्म अम्म… उम्म..’ सीत्कार निकलने लगी।

भाभी बहुत बुरी तरह से तड़पने लगी थी, लेकिन मैं अपने काम में लगा रहा।

फिर मैंने भाभी को अपने ऊपर कर लिया और हम 69 की अवस्था में हो गए और 15 मिनट तक ऐसे ही करते रहे।

मैं भाभी की चूत चाट रहा था और भाभी मेरा लण्ड चूस रही थी।

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने भाभी को बेड पर लेटाया और अपना लौड़ा भाभी की चूत पर टिका दिया और भाभी को चुम्बन करने लगा।

चुम्बन करते-करते मैंने एकदम लौड़ा भाभी की चूत में घुसेड़ दिया.. आधा ही लौड़ा घुसा था कि भाभी इतनी जोर से चिल्लाई कि मैं डर गया।

भाभी दर्द के मारे तड़पने लगी और कहने लगी- निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी।

इससे मुझे पता चल गया कि अब्दुल का लौड़ा बहुत छोटा होगा.. तभी अपनी बीवी को वो मज़ा नहीं दे सका.. जो मैं दे रहा हूँ।

फिर मैं थोड़ी देर भाभी को चुम्बन करता रहा और फिर थोड़ा समझा कर अपना लौड़ा भाभी की चूत में घुसेड़ दिया।

भाभी फिर चिल्लाई- आह्ह.. आह्हह ..उह्म्म अम्म..

लेकिन मैं और अन्दर डालता रहा.. यहाँ तक मेरा पूरा लौड़ा भाभी की चूत में समा गया। फिर मैंने धक्का लगाना शुरू किया और दस मिनट तक भाभी की चुदाई करने के बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा।

अब भाभी भी मेरा खुल कर साथ दे रही थी।

भाभी की चिकनी और टाइट चूत मारने में जो मज़ा आ रहा था.. वो मैं बता नहीं सकता…

भाभी भी खूब मज़े लेकर चुदवा रही थी और मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए थी। करीब 20 मिनट तक हमने खूब ज़बरदस्त चुदाई की और फिर मैं भाभी के अन्दर ही झड़ गया। भाभी भी झड़ चुकी थी।

हम दोनों कुछ देर एक-दूसरे से लिपटे पड़े रहे और चुम्बन करते रहे।

उस रात हमने 4 बार चुदाई की और मैंने अलग-अलग आसनों में भाभी की चुदाई की। फिर सुबह मैं अपने घर चल दिया।

वो दिन मेरी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा दिन था.. उसके बाद मैंने कई बार भाभी की चुदाई की.. भाभी भी मुझसे बहुत खुश थी और फिर कुछ महीनों बाद अब्दुल भी आ गया और उसका ट्रान्सफर दिल्ली में ही हो गया।

अब मेरी और भाभी की बात भी नहीं होती। अब्दुल और भाभी दोनों दिल्ली में खुशी से रहते हैं।



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