दो बहनों को एक साथ चोदा
मेरी दो बहने है. मैंने किसी तरफ बड़ी मेहनत करके दोनों को पटाया और चोद डाला. पर अब मुझे दोनों की एक साथ लेनी थी. मेरी incest sex story पढके आपका निकल जायेगा..
मैंने दिया और दीप्ती दोनों की चूत चोदा है, लेकिन उन दोनों को यह नहीं पता था कि मैं दोनों को चोदता हूँ. मुझे दो दो चूतें मिल रही हैं, जब मौका मिला चूत सामने… दिया या दीप्ती जहाँ भी मिलती, अगर कभी सीढ़ियों में मिलती या फिर गैलरी में मिलती मैं कभी उनके चूचियों को दबा देता, कभी चूत पर हाथ लगा देता.
एक दिन मैंने दिया को बोला- मुझे दीप्ती की चूत लेनी है.
पहले तो वो मना करती रही, लेकिन मेरे बार बार बोलने पर वो बोली- इसमें मैं क्या कर सकती हूँ? खुद कोशिश करो… अगर वो तैयार हो तो मुझे कोई परेशानी नहीं है.
इस पर मैं बोला- मैं दीप्ती को तुम्हारे सामने चोदूँगा.
दिया बोली- यह कैसे संभव है? दीप्ती कभी तैयार नहीं होगी.
इस पर मैं बोला- यह तुम मेरे ऊपर छोड़ दो.
वो बोली- चलो ठीक है, जब तैयार होगी तो देखूँगी.
एक दिन दीप्ती मेरे कमरे में कंप्यूटर पर बैठी थी, मैं उसके चूचियों को सहला रहा था, मैंने उससे बोला- यार, तेरी बहन बड़ी मस्त माल है, मजा आ जाये उसकी चूत मिल जाये तो!
तो वो बोली- मैं क्या करूँ, उससे पूछो.
मैंने उससे कहा- मुझे तेरी और दिया दोनों की चूत एक साथ मारनी है.
दीप्ती बोली- यह नहीं हो सकता!
मैंने कहा- यह तुम मेरे ऊपर छोड़ दो.
इस तरह कुछ दिन निकल गए और दिया से बात करने का मौका नहीं मिला.
एक दिन जब मैं ऑफिस से वापिस आया तो दीप्ती मेरे पास आई और कंप्यूटर पर कुछ करने लगी.
मैं दिया के कमरे में गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया, उसकी चूचियाँ दबाने लगा और उसके होंठ चूसने लगा.
मैंने उसे बोला- दीप्ती तैयार हो गई है.
पहले तो उसे यकीन नहीं हुआ, लेकिन मैंने जब उसे बताया कि मैंने उसकी चूत मार ली है तो वो बोली- उसके सामने मुझे तो बहुत शर्म आएगी. मैं दिया को अपने कमरे में ले गया, जहाँ दीप्ती बैठी थी. मैंने जाते ही दीप्ती की चूचियों को हाथ लगा दिया, तो वो गुस्सा करने लगी और बोली- यह क्या बदतमीजी है.
2 bahno ko ek sath choda incest sex story
दोनों को एक साथ चोदने का मज़ा
मैं कुछ बोला नहीं और दिया की चूचियों को मसल दिया.
दिया भी गुस्सा हो गई.
फिर मैंने कहा- गुस्सा मत करो, तुम दोनों को एक दूसरी के बारे में यह नहीं पता कि मैं तुम दोनों को चोद चुका हूँ, इसलिए तुम दोनों गुस्सा कर रही हो. यह सुन कर दोनों चुप हो गई. मैंने फिर दीप्ती को उठाया और एक हाथ दीप्ती की कमर पर और दूसरा दिया की कमर पर रख दिया और बोला- देखो, मैं तुम दोनों के साथ अलग अलग चुदाई कर चुका हूँ और अब मेरा मन है कि दोनों के साथ एक साथ सेक्स करूँ. दोनों कुछ नहीं बोली.
तो फिर मैं बोला- आज बुधवार है, शनिवार को मेरी छुट्टी होगी तो उस दिन हम मजे करेंगे.
इस तरह मैं इन्तजार करने लगा शनिवार का.
आखिर शनिवार आ गया और मैं इन्तजार करने लगा कि कब दिया का पति ऑफिस जाये. दस बजे वो चला गया. मैं थोड़ी देर के बाद दिया के कमरे में गया. दिया और दीप्ती दोनों बैठी थी.
मैंने पूछा- तैयार हो ना?
तो दोनों मुस्कुरा दी.
दिया नाइटी पहने थी और दीप्ती सूट. मैंने दीप्ती को अपने गोद में बिठा लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा, वो थोड़ा शर्मा रही थी तो मैंने दिया को पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा. धीरे धीरे वो आपस में खुल रही थी, सामान्य हो रही थी. मैंने दीप्ती की पजामी का नाड़ा खोल दिया, उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया और उसकी चूत सहलाने लगा. उसे भी मजा आ रहा था, वो गर्म भी हो गई थी.
अब मैंने उसकी ब्रा और पैंटी छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिए. अब दीप्ती ब्रा और पैंटी में थी. अब मैंने दिया को अपनी तरफ खींचा और उसकी नाईटी उतार दी. अब दोनों बहनें ब्रा और पैंटी में थी. मैंने दीप्ती की ब्रा खोली और उसकी चूचियों को चूसने लगा और अपना लंड निकाल कर दिया को चूसने बोला. दिया मेरा लंड चूस रही थी और मैं दीप्ती की चूचियाँ चूस रहा था.
दिया मेरी गोद में सर रख कर मेरा लंड चूस रही थी और मेरा एक हाथ दीप्ती की पीठ पर था और दूसरा दिया की चूत सहला रहा था. अजीब सा रोमांच का अनुभव हो रहा था, एक बहन मेरा लंड चूस रही थी और दूसरे की चूचियाँ मेरे मुँह में थी. अब मैंने दोनों की ब्रा और पैंटी उतार दी और दोनों को बेड पर लिटा दिया.
दोनों पैर मोड़ कर लेटी थी, क्या हसीन नजारा था, दो दो फ़ुद्दियाँ मेरे सामने थी, दिया के पास ओलिव आयल था, मैंने उसे निकाला और दोनों की चूत की मसाज की तैयारी में लग गया. दोनों की चूत मस्त थीं, दिया थोड़ा ज्यादा चुद चुकी थी इसलिए उसकी चूत थोड़ी काली होनी शुरू हो गई थी, लेकिन दीप्ती की चूत मस्त थी, एकदम गोरी. किसी का भी दिल उसकी चूत चाटने के लिए मचल जाए.
वैसे भी चूत चाटना मुझे बहुत पसंद है. मैंने सोचा कि तेल लगाने से पहले दोनों की चूत चाट लूँ. मैंने दिया के पैरों को अपने कंधे पर रखा और उसकी चूत पर झुक गया और धीरे-धीरे उसकी चूत चाटने लगा.
उसकी चूत के होंठों को एक-एक करके मुँह में लेकर चूसने लगा. उसे मजा आ रहा था पर दीप्ती थोड़ी शर्मा रही थी. वो पास में लेटी थी और बड़े गौर से चूत को चाटते हुए देख रही थी. मैंने देखा वो अपने पैरों को सिकोड़ रही है, शायद वो भी उत्तेजित हो गई थी.
मैंने दिया की कमर के नीचे तकिया लगा दिया ताकि उसकी चूत थोड़ी ऊपर उठ जाए, वाकयी उसकी चूत ऊपर आ गई थी. बिल्कुल फूली हुई, मेरे आँखों के सामने, मेरे होठों के करीब. मैं थोड़ा सा झुका, दिया के पैरों के बीच से हाथ ले जाकर उसके दोनों नितम्बों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया.
अब उसकी चूत मेरे होठों के करीब थी. मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के बीच में रखी और धीरे-धीरे चाटने लगा, फिर मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत में घुसेड़ दिया और अन्दर-बाहर करने लगा.
उसे बहुत मजा आ रहा था लेकिन इसी बीच मैंने दीप्ती को देखा, वो बार-बार अंगड़ाई ले रही थी, मैं समझ गया. किसी को भी ऐसा देखकर खुद पर काबू रख पाना मुश्किल होता है. अब मैंने दिया की जगह दीप्ती को लिटा दिया और फिर उसकी चूत वैसे ही चाटने लगा और कुछ देर तक उसकी चूत चाटी.
मैंने महसूस किया कि जब मैं एक की चूत चाट रहा होता हूँ तो दूसरी एक तरफ लेट कर मुझे देखती है, तो मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि दोनों साथ में मजे लें. यह सोच कर मैं लेट गया और दिया को अपना लंड चूसने बोला, वो मेरा लंड चूसने लगी और मैंने दीप्ती को बोला- वो मेरे ऊपर दोनों पैर दोनों तरफ करके आ जाए और अपनी चूत मेरे मुँह के सामने लाए.
वाह क्या एहसास था, दिया मेरा लंड चूस रही थी और दीप्ती मेरे ऊपर बैठी थी, उसकी चूत मेरे होठों को छू रहे थे. मैं दिया के नितम्बों को सहला रहा था और उसकी चूत चाट रहा था. थोड़ी देर के बाद मैंने दिया को दीप्ती की जगह और दीप्ती को दिया की जगह कर दिया. दीप्ती मेरा लंड चूस रही थी और दिया की चूत मैं चाट रहा था.
एक बात मुझे महसूस हुई दीप्ती लंड ज्यादा अच्छे से चूस रही थी. वो मेरे लंड को हाथों से पकड़ कर और जोर-जोर से मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थी.
दिया का तरीका थोड़ा अलग था, वो लंड पूरा मुँह में नहीं लेती थी, लेकिन कुछ भी हो जब कोई भी लड़की लंड चूसे तो अच्छा तो लगता ही है. अब मैंने दोनों को लिटा दिया, दीप्ती सीधी लेटी थी, दिया पेट के बल थी. मैंने ओलिव आयल निकाला और दिया के नितम्बों पर डाल दिया और धीरे-धीरे गोल-गोल अपने हाथ उसके नितम्ब पर घुमाने लगा. मैं दोनों हाथों से उसके नितम्बों को जोर-जोर से अब मसल रहा था और अपना हाथ उसकी जांघों तक ले जाता और फिर वापस ऊपर तक अपना हाथ फेरता चला जाता.
मैं बिस्तर के नीचे खड़ा हो गया और उसकी कमर को दोनों हाथों से मसाज देने लगा.
इसी बीच अचानक दीप्ती मेरे लंड को सहलाने लगी.
अब मैंने दिया को सीधा किया और उसकी चूत पर तेल डाला और उसकी चूत की मसाज करने लगा. मैंने उसकी चूत को फैला दिया और दीप्ती को उसकी चूत में थोड़ा तेल डालने बोला. अब छोटी बहन बड़ी बहन की चूत में तेल डाल रही थी. मैंने उसकी चूत फैला कर उसकी चुटकी से उसकी चूत सहलाने लगा.
फिर मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा.
अब तक दीप्ती काफी गर्म हो गई थी, मैंने उसे अब लिटा दिया और उसकी मालिश करने लगा, उसके नितम्बों की मालिश करते करते मैं उसके नितम्बों पर बैठ गया और उसकी चूचियों को दबाने लगा.
मैंने उसे अब सीधा किया और थोड़ा तेल ले कर उसकी चूचियों की मींजने लगा.
धीरे-धीरे मैं नीचे आ रहा था और उसके पेट से होते हुए उसकी कमर तक आ गया था और उसकी कमर पर तेल लगा कर उसे मसाज देने लगा. अब दिया की बारी थी, मैंने उसे दीप्ती की चूत में तेल डालने बोला, मैं दीप्ती की चूत को फैला दिया और दिया ने उसकी चूत में तेल डाल दिया और फिर मैंने उसी तरह से उसकी चूत की भी मालिश की.
अब दोनों पूरी तरह तैयार थीं, उनमें कोई शर्म बाक़ी नहीं रही थी, दोनों चुदने को बेताब थीं. मुझे आज दो-दो चूतों को चोदना था तो मैं लेट गया और दिया को ऊपर आने बोला. दिया मेरे ऊपर आ गई और दीप्ती बगल में बैठ कर मेरा लंड अपने हाथों से सीधा करने अपनी बहन की चूत के निशाने पर कर रही थी. दीप्ती ने मेरा लंड दिया की चूत के सामने रखा और दिया मेरे लंड पर बैठती चली गई.
जैसे जैसे वो बैठती गई, लंड उसकी चूत में अन्दर घुसता चला गया. वो अब मेरे लंड पर उछल रही थी. मैं लेटा हुआ चुदाई का मजा ले रहा था और दीप्ती को बगल में लिटा कर उसकी चूचियों को चूस रहा था. कुछ देर तक दिया ऊपर रही और अब दिया मेरा लंड खड़ा कर रही थी और दीप्ती लंड पर बैठ रही थी.
दीप्ती की चूत कसी हुई थी, उसकी चूत में लंड अन्दर जाने में थोड़ा मुश्किल हो रहा था.
वो अपनी चूत में धीरे-धीरे लंड ले रही थी, मैं उसकी कमर पकड़ कर धीरे-धीरे दबा रहा था. आखिर लंड चूत में चला गया और चूत कसी हुई होने के कारण लंड को काफी जकड़े हुए थी.
यह सही बात है कि कसी हुई चूत चोदने का मजा कुछ और ही है.
थोड़ी देर तक वो वैसे ही बैठ कर लंड अन्दर-बाहर करती रही, ऐसा करने से अब लंड आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा था. मैंने अब दीप्ती को नीचे किया और मैं कुछ कोल्ड ड्रिंक लाकर रखे था, हम तीनों ने कोल्ड ड्रिंक पिया. ऐसा करने से चुदाई में थोड़ा अंतराल मिल गया, ताकि मेरी उत्तेजना एकदम न बढ़े और मैं दोनों को अच्छे से चोद सकूँ. दो-दो चूत एक साथ चोदना कोई आसान काम नहीं है, इसलिए मैंने पहले उनको ऊपर बैठा कर चोदा.
कोल्ड ड्रिंक ख़त्म करके मैंने उन दोनों को लिटा दिया और कमर के नीचे तकिया लगा दिया. इस बार मैंने दीप्ती की चूत में लंड डाला, मैं उसके पैरों के बीच से हाथ ले जाकर उसकी नितम्ब पकड़ कर उसकी चूत चोद रहा था. मैं जोर से धक्का लगाता और लंड पूरा उसकी चूत में चला जाता और फिर पूरा निकाल कर वैसे ही करता.
कुछ देर के बाद मैंने लंड निकाला, दिया जो बगल में लेट कर चुदाई देख रही थी, उसे खींच कर अपने पास किया और उसकी चूत में लंड पेल दिया और उसकी चुदाई करने लगा.
थोड़ी देर तक दिया की चूत चोदता रहा फिर मैंने लंड निकाल लिया और फिर से कोल्ड ड्रिंक हम तीनों ने पिया ताकि थोड़ा आराम मिल जाए और मैं नए सिरे से तैयार हो जाऊँ.
मैंने अब दीप्ती को घोड़ी बनाया और दिया से कहा- मेरा लंड पकड़ कर दीप्ती की चूत में डालो.
दिया ने मेरा लंड पकड़ कर दीप्ती की चूत को फैला कर थोड़ा सा अन्दर किया और मैंने एक जोर का धक्का मारा और लंड पूरा चूत में चला गया.
मैं दीप्ती की कमर पकड़ कर उसकी जोर-जोर से चुदाई कर रहा था.
सच में क्या नया अनुभव था.. शानदार, मजेदार.
अब दिया की बारी थी, मैंने दिया को घोड़ी बनाया और दीप्ती ने मेरा लंड पकड़ कर दिया की चूत के सामने रखा और मैंने एक धक्का मारा और लंड चूत में पेल दिया.
फिर उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत चोदने लगा, कभी मैं उसके नितम्ब मसलता और कभी उसकी लटकती चूचियों को पकड़ता.
अब बारी थी आखिर राउंड की, मैं लेट गया और दिया ऊपर से आकर चोदने लगी, मैं उसके नितम्ब पकड़ कर मसल रहा था और वो ऊपर से चोद रही थी.
कुछ देर के बाद जब मुझे लगा कि अब वो किसी भी समय स्खलित हो सकती है, तो उसे नीचे लिटाया और उसके पैर ऊपर करके जोर-जोर से चोदने लगा.
कुछ धक्कों में वो स्खलित हो गई और थक कर लेट गई, जबकि दीप्ती की चुदाई अभी पूरी नहीं हुई थी.
अब फिर से मैं लेटा था और दीप्ती ऊपर से आकर लंड चूत में लेकर चोदने लगी, दीप्ती दिया से ज्यादा समय ले रही थी, लेकिन मुझे क्या, मुझे तो मजा आ रहा था, बिना किसी परिश्रम के मजा मिल रहा था.
आखिर अब मुझे लगा कि अब वो भी झड़ने वाली है, तो मैंने उसे भी नीचे लिटाया और कमर के नीचे तकिया लगाया और चोदने लगा. थोड़ी देर चोदने के बाद वो झड़ गई लेकिन अब मेरी बारी थी, मैं उसे चोद रहा था, धक्के पर धक्के लगा रहा था. जब मुझे लगा कि अब मेरा गिरने वाला है, तो मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकला और अपना वीर्य दीप्ती की चूत पर और दिया, जो बगल में लेटी थी, उसकी चूत पर भी गिरा दिया.
इस तरह दो बहनें एक लंड से चुद गईं. फिर हम तीनों इकठ्ठे बाथरूम में गए, वहाँ जाकर हम तीनों एक साथ नहाए. मैंने ठीक से उन दोनों की चूत में उंगली डाल कर साफ किया, उन दोनों ने मेरा लंड साफ किया. मैं वापस अपने कमरे में आ कर सो गया, क्या नींद आई.. मैं पूरे दिन सोता रहा.
——–समाप्त——–
बस फिर क्या, ऐसे ही जवानी के मज़े लिए हम तीनो ने.. आपको ये incest sex story पसंद आई हो तो कमेंट्स करें..
Hamko dila di
maza aa gaya
Chut ki garmi sant karni ho to mujhhe mail kare
Aapki gopniy rakha jayega
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