नेहा की नंगी चूत
नेहा की नंगी चूत
नेहा
नमस्कार दोस्तो,
मेरा नाम नेहा है।
मैं पुणे से हूँ पर आजकल मुंबई में रहती हूँ और यहीं जोब करती हूँ।
एक शादीशुदा होकर भी मैं वैवाहिक सुख से वंचित थी।
क्यूंकि मेरे पती ने एक साल के अंदर ही मुझे किसी और के लिये तलाक दे दिया था।
अब मैं अकेली ही रहती हूँ। घर और ओफिस, बस यही मेरी जिंदगी थी।
मेरे ओफिस की एक दोस्त थी आयशा। अच्छी थी पर अफेरस बहुत थे उसके। कुछ तो ओफिस में भी थे।
कुछ भी हो पर मेरी और उसकी खुब जमती थी।
उस दिन हम दोनों हर रोज की तरह ओफिस की खिडकी के पास खडी होकर बातें कर रहीं थीं कि अचानक एक लडका हमारे पास आया और हालचाल पूछने लगा। उस का नाम रवि था। ओफिस में नया था।
वो आयेशा की पहचान का था। आयेशा ने मेरी भी उससे पहचान करवायी।
मुझे वो थोडा अजीब लगा पर मैंने इतना ध्यान नहीं दिया।
दिन गुजरने लगे और हम काफी अच्छे दोस्त बन गए। वो बीच-बीच में मुझे छुता था पर मैं ध्यान नहीं देती थी।
एक बार बात करते-करते उसका हाथ मेरे स्तन को लग गया। उसने मुझे सोरी कहा पर मुझे उसकी छुवन थोडी अजीब लगी।
उस दिन से मैंने एक बात नोटीस की कि उस का मेरे लिये नजरिया अलग था। खैर, मैंने ध्यान नहीं दिया।
एक दिन वो मेरे पास आया और कहने लगा – मेरी बहन का रिश्ता तय हो गया है, कल एन्गेजमेंन्ट है। आपको आना है।
मैंने हाँ कर दी और उसका पता ले लिया।
दूसरे दिन मैं उसके पते पर पहुंच गई।
मैंने बेल बजाई। उसने दरवाजा खोला और मैं अंदर गई और देखा तो हैरान रह गई।
सगाई का कोई मौका नहीं था। इतने मे ही किसी ने अचानक से पीछे से मुझे जकड लिया और मेरे स्तन जोर-जोर से दबाने लगा।
मैंने पीछे मुडकर देखा तो रवि था।
मैं – ये क्या बदतमीज़ी है, रवि?
रवि – ये बत्तमिजी नहीं, प्यार है। कबसे तरस रहा हूँ इस मौके के लिए, और वो जोरो से मेरे स्तन दबाने लगा।
मैं – छोडो मुझे, यह गलत है। पर उसने मेरी एक ना मानी
।
फिर उसने झटसे मेरी साडी का पल्लु खींचा और साडी को उतार कर अलग कर दिया। अब मैं सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी।
वो मेरी ओर लपका और मेरे ब्लाउज को उतारने लगा। पर मैंने ऐसा करने ना दिया तो उसने मेरा ब्लाउज फाड दिया।
अब मेरी नंगी पीठ उसके सामने थी। फिर उसने मुझे ज़बरदस्ती उठा कर बेडरूम मैं लेजाकर बैड पर पटक दिया।
अब उसने एक-एक करके मुझे पूरा नंगा कर दिया।
मैं तो रोने जैसी होकर उससे विंनती करे जा रही थी – मुझे छोड दो, जाने दो। पर वो ना माना।
अब वो खुद नंगा हो गया और मेरे ऊपर आ गया।
पहले तो उसने मेरे होंठों पर होंठ रखे और किस्स करने लगा। मैं अब तक उसका विरोध कर रही थी।
मगर कुछ देर मैं कमजोर पड गई और उसने बुरी तरहा से मुझे जकड लिया।
इतनी बेरहमी से वो मेरे होंठों को चूस रहा था। मुझे तो घिन आ रही थी पर कुछ नहीं कर सकती थी।
अब वो मेरे स्तन चूसने लगा, फिर उसने मेरी चूत को चाट-चाट कर गीली कर दी।
मुझसे खेल लेने के बाद उसने अपना लौडा मेरे मुँह में देने की इच्छा जताइ पर मैंने ना किया तो उसने मेरे बाल पकडे और स्तन को ज़ोर से दबाया।
मेरे मुँह से आह… निकली और उसने लौडा मेरे मुँह में डाल दिया और वो उसे अंदर-बाहर करने लगा।
छी: मुझे तो अब खुदसे घिन आ रही थी पर कर ही क्या सकती थी?
मैं ना चाहते हुए भी चूस रही थी।
अब उसने मुझे लेटाया और मेरी चूत पर लण्ड रगडने लगा और अचानक एक जोरदार धक्का दिया।
अआआआ… आआआआ… हाहाहाआ… मेरी चीख निकल गई।
अब मेरा सब्र जवाब दे गया। मैने बोला – कमीने, तेरी माँ की चूत, छोड़ मुझे।
रवि – चीख कमिनी, और जोर से चीख, आज तो जी भरके चोदूंगा तुझे।
वो बेरहमी से चोदे जा रहा था।
अब मेरा खुद पर संयम लगभग ख़त्म हो गया था और मैं भी सिसकारियाँ भरने लगी। अब मुझे भी मजा आ रहा था।
मैं भी अब उसका साथ देने लगी थी।
करीब २० मिनट के बाद हम दोनों झड गए और वो मेरे ऊपर ही पडा रहा।
मेरा तो अब मुड बन चुका था। उसे गरम करने के लिये मैं अब उसके ऊपर आ गई और उसका लण्ड चूसने लगी।
कुछ ही देर में वो खड़ा हो गया। अब वो मेरी गाण्ड मारना चाहता था।
मैंने भी हामी भर दी।
उसने मुझे उलटा किया और मेरी गाण्ड में उंगली डाल दी।
उफ्फ वो एक, दो और फिर तीन उंगली एक साथ गाण्ड में घुमाने लगा।
मैंने कहा – अब मार भी लो।
उसने अपना लण्ड डाल दिया और आधे घंटे तक जनवार जैसे मेरी गाण्ड चोदता रहा और फिर वो गाण्ड में ही झड गया।
फिर हम दोनो बिस्तर में नंगे एक-दूसरे से लिपट कर सो गये।
दूसरे दिन उसने मुझे घर छोडा और चला गया।