बेटी की क्लासमेट को चोदा
दोस्तो, आज आपको एक नई कहानी सुनाने जा रहा हूँ, कहानी है तो इसे कहानी ही समझना, सिर्फ मेरे दिल के अरमान हैं…
मेरा नाम अजीत कुमार है, पानीपत हरियाणा में रहता हूँ।
मेरी उम्र 46 साल की है और सेहत एकदम टनाटन है, शारीरिक और कामुक दोनों तरह से परफेक्ट हूँ।
मगर बीवी के बीमार होने की वजह से कामुक गतिविधि रुक गई।
ऐसे ही एक दोस्त से इस विषय में बात की तो उसने एक दलाल के ज़रिये एक कॉल गर्ल बुलवा ली जिसे हम दोनों यारों ने बारी बारी चोदा।
मगर यह तो ऐसा काम है कि भूख की तरह फिर से जाग जाता है।
तो 4-5 दिन बाद मेरा फिर से किसी फ़ुदिया को चोदने का दिल करने लगा।
उस दलाल का मोबाइल नम्बर तो मेरे पास था ही, मैंने नंबर मिलाया और उससे बात की।
कॉलेज गर्ल का नाम सुन कर तो मैं भी चौंक गया।
मेरी बेटी भी तो कॉलेज में पढ़ती है।
मैंने उससे पूछा- क्या किसी भी कॉलेज की लड़की ला सकते हो?
उसने जवाब दिया- जी बिल्कुल, आप जिस कॉलेज का नाम लें उसी का माल हाजिर कर देंगे… बताइए?
मैंने पहले तो थोड़ा सा सोचा फिर अपनी बेटी के कॉलेज का नाम बताया।
‘ओके सर… अपने लिंक हैं वहाँ, बहुत सी लड़कियाँ पैसे के लिए, झूठी शान दिखाने के लिए यह काम करती हैं। कोई ख़ास क्लास, सेक्शन या लड़की का नाम?’
उसने पूछा।
तो मैंने अपनी बेटी की ही क्लास बता दी।
उसने जवाब दिया- ठीक है सर, मैं देख लेता हूँ, पता करके आपको बता देता हूँ।
फ़ोन काटने के बाद मैं सोचने लगा कि अगर खुदा न खास्ता इसने मेरी ही बेटी का नाम बता दिया, या अगर नाम न भी बताया, सीधा मेरे सामने ला कर उसे खड़ा कर दिया तो मैं क्या करूँगा।
पहले सोचा कि कैंसल कर देता हूँ…
फिर सोचा पहले पता तो लगे… फिर देखी जाएगी।
खैर थोड़ी देर बाद उसका फ़ोन आया- सर आपके बताये हुए कॉलेज और क्लास की एक लड़की मिल गई है, बड़ी मुश्किल से तैयार हुई है, बताइये कहाँ लेकर आऊँ?
मैंने कहा- मैं होटल में जा रहा हूँ, रूम बुक करके तुम्हें कमरा नम्बर बता दूँगा, तुम सिर्फ लड़की को अन्दर भेजना, खुद मत आना।
मैंने उसे ताकीद की, ताकि अगर लड़की मेरी जान पहचान की हुई तो इस दलाल को पता न चले।
मैं अपने एक दोस्त के ही होटल में पहुँचा, कमरा लेकर मैंने फिर उस दलाल को फ़ोन किया और होटल का नाम और रूम नम्बर बता दिया।
मैं कमरे में जाकर बैठ गया।
करीब बीस मिनट बाद दरवाज़े पर दस्तक हुई, मैं दौड़ कर बाथरूम के अन्दर गया और अन्दर से ही कहा- खुला है, आ जाओ।
जब लड़की अन्दर आई तो उसने दरवाज़ा लॉक कर दिया और बेड पर जाकर बैठ गई।
पहले मैंने दरवाजे से झांक कर देखा, लड़की देखी हुई नहीं थी।
कमरे में एक 19-20 साल की खूबसूरत सी लड़की बैठी थी, अच्छा खासा, रंग-रूप, सुंदर बदन, टॉप और लेग्गिंग में बड़ी प्यारी लग रही थी।
मैं ऐसे बाथरूम से बाहर निकला जैसे कोई ख़ास बात न हो।
मैं उसके पास जाकर बैठ गया।
वो उठ कर खडी हो गई, मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे बिठाया- क्या नाम है तुम्हारा?
मैंने पूछा- नाज़नीन…
‘नाज़नीन’ मैंने अपने दिमाग में सोचा, इसका नाम सुना है, मेरी बेटी इस नाम की अपनी किसी क्लासमेट का ज़िक्र किया करती है।
मैं बेड पे लेट गया तो वो अपना टॉप उतारने लगी।
‘अरे इतनी जल्दी क्या है बेटा…’ मेरे मुँह से बेटा निकल गया।
‘आराम से… मुझे कोई जल्दी नहीं है… क्या तुम्हें कोई जल्दी है?’
‘नहीं मैं तो तीन बजे तक फ्री हूँ।’ उसने बताया।
‘मतलब तीन बजे कॉलेज की छुट्टी होती है तब तक…’
मैंने उसे अपने पास लेटाया, वो मुझसे चिपक कर लेट गई, अक्सर मेरी बेटी भी मुझसे ऐसे ही चिपक कर लेट जाती है, मगर मुझे कभी ऐसा एहसास नहीं हुआ।
सारा सोच का फर्क है।
उसने अपना सर मेरे कंधे पे रखा हुआ था और मैं उसकी पीठ पे हाथ फेर रहा था।
मैंने उससे काफी देर बातें की, उससे उसकी क्लास की सब लड़कियों के बारे में पूछा, सच कहूँ तो मैं तो यह जानना चाहता था कि कहीं मेरी बेटी तो ऐसे किसी चक्कर में तो नहीं पड़ गई।
मगर उसने बताया के विक्की (मेरी बेटी) एक बहुत ही शरीफ और पढ़ाकू किस्म की लड़की है, न उसका कोई बॉयफ्रेंड है और न ही कोई और लफड़ा!
जब उसने यह बताया तो मेरे मन में अपार ख़ुशी हुई।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके गाल पर चूम लिया।
जबउसे बाँहों में भरा तो उसके दो नर्म नर्म नाज़ुक से स्तन मेरे सीने से लग गए।
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके ब्रा के ऊपर हाथ फेरा- यू आर वैरी सेक्सी नाज़नीन…
मैंने कहा तो उसने भी ‘थैंक्यू’ कह कर जवाब दिया।
मैंने उसकी आँखों में देखा और फिर एक बार उसके होंठों को चूमा।
उसने भी मेरे होंठों को चूमा।
मैंने फिर उसके होंठों को चूमा, मगर इस बार उसको होंठों को अपने होंठों में ही भर लिया और उसके दोनों होंठों को बारी बारी से चूसा।
सच में आदमी की उम्र जितनी बड़ी होती जाती है, उसको उतनी ही छोटी उम्र की लड़की मजेदार लगती है।
होंठ, गाल चूमते चूसते मैंने उसकी जांघ पर हाथ फेरा, फिर उसके चूतड़ों पर और फिर अपना हाथ उसके टॉप के अन्दर ही डाल दिया और उसकी नंगी पीठ पे हाथ फेरता फेरता उसके ब्रा के हुक तक पहुँचा।और उसके ब्रा का हुक खोल दिया।
मैंने उसे खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया और अपने दोनों हाथ उसकी लेग्गिंग में डाल कर उसको दोनों चूतड़ पकड़ लिए।
‘किस मी नाज़नीन…’ मैंने कहा तो उस भोली से लड़की ने अपने दोनों होंठ मेरे होंठों में दे दिए और मैंने अपनी जीभ से उसकी जीभ को
चुभलाना शुरू कर दिया।
मेरा लंड अकड़ा पड़ा था, मैंने उठ कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया, उसका टॉप उतारा और ब्रा भी उतार दी।
दो मासूम से स्तन मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने उसके स्तन अपने हाथों में उसे पकड़े, बहुत ही चिकने और मुलायम थे, निप्पल के घेरे बन गए थे मगर अभी तक चुचक उभर कर बाहर नहीं आये थे। मैंने अपने हाथों में पकड़ कर उसके दोनों स्तनों को चूसा तो उसने खुद ही मेरे सर को सहलाना शुरू कर दिया।
‘मुझे नंगा करो नाज़नीन!’ मैंने कहा तो उसने मुझे उठाया और खुद भी खड़ी होकर मेरी शर्ट के बटन खोले, शर्ट उतारी, फिर बनियान उतारी, फिर बेल्ट और पेंट भी उतारी।
नीचे चड्डी में मेरा लंड पूरे फुन्कारें मार रहा था।
मैंने कहा- नीचे बैठो नाज़नीन, मेरी चड्डी उतारो।
उसने वैसा ही किया, तो मैंने अपना लंड उसके होंठों से लगाया, जिसे उसने एक प्रोफेशनल गश्ती की तरह से मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
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मगर सिर्फ चुसवाने से मेरा दिल नहीं भरता था, मैं बेड पे लेट गया और नाज़नीन से कहा- मेरे ऊपर लेट जाओ, मैं तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूँ।
वो बोली- अंकल, मैंने धोई नहीं है, पहले धो आऊँ।
मैंने पूछा- क्या पेशाब करने के बाद नहीं धोई थी?
वो बोली- जी…
मैंने कहा- कोई प्रॉब्लम नहीं, मैं वैसे भी चाट सकता हूँ।
मैंने उसे कमर से पकड़ा और अपनी ताकत से घुमा कर अपने ऊपर लेटा लिया।
जब मैंने उसकी चूत में जीभ फेरी तो सबसे पहले उसके पेशाब का ही नमकीन सा स्वाद आया।
चूत चाटनी मुझे बहुत पसंद है और यह तो एक कच्ची कलि सी लड़की की चूत थी, अगर यह पेशाब कभी कर देती तो मैं तो इसका पेशाब भी पी जाता।
मैंने उसकी छोटी सी बाल रहित चूत सारी की सारी अपने मुख में ले ली और पूरे स्वाद ले ले कर उसकी चूत चाटी।
उसकी चूत बिल्कुल सूखी थी, मगर जब मैंने चाटी तो वो भी पानी छोड़ने लगी।
नन्ही सी मुलायम सी चूत के साथ मैं उसकी गांड भी चाट गया।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी गांड के सुराख पे फिराई और अपने थूक से उसकी गांड को गीला करके अपनी उंगली उसकी गांड में डालनी चाही तो उसने मना कर दिया- नहीं अंकल, ये मत करो!
उसने रोका तो मैं रुक गया।
वो मेरा लंड चूसती रही और मैंने जी भर के उसकी चूत चाटी और उसकी चूत से निकलने वाले पानी को चाटा।
जब चूत चाट के दिल भर गया तो मैंने उसे नीचे लेटने को कहा।
वो बेड के बीचों बीच लेट गई और उसने अपनी टांगें भी खोल दी।
मैंने एक कंडोम अपने लंड पे चढ़ाया और लंड उसकी चूत पे रखा- पहले कितनी बार सेक्स किया है?
मैंने पूछा और अपना लंड उसकी छोटी सी चूत में घुसा दिया।
चूत गीली थी तो लंड का आगे का लाल टोपा उसकी चूत में घुस गया।
‘ज्यादा नहीं… बस 3-4 बार…’ उसके चेहरे पर दर्द के भाव थे।
‘क्यों करती हो ऐसा?’ मैंने पूछा।
‘बस कुछ घर से खर्चा पूरा नहीं मिलता और कुछ एक बार जो इस दलदल में फँस जाये, वो कहाँ निकल पाता है…!!!’
मुझे उस पर बड़ा तरस आया मगर मैं तो खुद उसे और गहरे धकेल रहा था।
फिर मैंने अपने मन को समझाया कि जो काम करने आया है वो कर, अपना मज़ा ले, यहाँ तो सबकी कोई न कोई कहानी होती है।
मैंने उसे करीब दस मिनट वैसे ही खुद चोदा, मगर दस मिनट में मेरी सांस फूलने लगी थी।
मैंने उसे कहा- क्या तुम ऊपर आओगी?
वो बोली- ओ.के, लगता है आप थक गए हैं।
मैंने हाँ कहा और मुस्कुरा कर नीचे लेट गया।
वो उठी और आकर मेरी कमर पर चढ़ गई और मेरा लंड पकड़ के उसने खुद ही अपनी चूत पर सेट किया।
उसके बाद तो क्या स्पीड दिखाई उस लड़की ने…
मैं तो उसे हल्की सी समझता था मगर वो तो बहुत तगड़ी निकली… पूरे 7-8 मिनट वो मेरे ऊपर लगातार एक ही स्पीड से चुदाई करती रही।
मैं नीचे लेटा देख रहा था, मेरा लंड बार बार उसकी चूत के अन्दर बाहर आ जा रहा था, मैं उसके निप्पल चूस रहा था, मगर वो सबसे बेखबर बस जोर जोर मुझे चोदने में लगी थी।
जब एक कोमल सी लड़की, जिसकी चूत पूरी कसी हो आपके ऊपर चढ़ के खुद आपकी चुदाई करे तो आप कितनी देर रोक सकते हो।
मैंने भी बड़ी कोशिश की, मगर रोक न सका।
वो ऊपर से चोद रही थी तो मैं भी नीचे से उसकी कमर को पूरी मजबूती से पकड़ के नीचे से उसकी ठुकाई कर रहा था।
ए सी कमरा होने के बावजूद हम दोनों को पसीना आ रहा था।
वो झड़ी या नहीं झड़ी, मुझे पता नहीं पर मैं झड़ गया।
जब मेरा वीर्य झड़ा तो मैं न जाने उसे क्या क्या कह गया- कितनी गालियाँ उस को दे डाली… मगर वो फिर भी लगी रही जब तक मेरे वीर्य की आखरी बूँद कंडोम में न निचुड़ गई।
जब तक मैं निढाल होकर चित्त हो कर बेड पे न गिर गया।
वो मेरे ऊपर लेट गई, मैं उसकी पीठ और चूतड़ों पर हाथ फेरता रहा।
जब तूफ़ान थम गया तो वो उठी और बाथरूम में चली गई, फ्रेश हो कर बाहर आई और कपड़े पहन कर तैयार हो गई।
मगर मैं नंगा ही रहा।
मैंने उसे पैसे दिए।
जब वो जाने लगी तो बोली- अंकल, आप विक्की के पापा है?
मुझे बड़ी हैरानी हुई- हां…
मैंने जवाब दिया- अगर तुम मुझे पहचान गई थी तो मेरे साथ क्यों किया?
मैंने पूछा।
‘तो क्या हुआ, यह तो मेरा काम है, जो मुझे पैसे देगा उसके साथ तो मुझे करना ही पड़ेगा, चाहे वो कोई भी हो!’
मैंने उसे इशारे से पास बुलाया, जब वो मेरे बिल्कुल करीब आ गई तो मैंने उसे बाँहों में भर लिया और एक ज़ोरदार चुम्बन उसके होंठों पे जड़ दिया।
उसने भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से ही दिया।
‘फिर कब मिलोगी?’ मैंने पूछा।
‘फिर कब, अभी मिल लो, अभी तो दो ही बजे हैं, मैं तो तीन बजे तक फ्री हूँ।’ वो बड़ी बेबाकी से बोली।
‘और पैसे?’ मैंने पूछा।
‘दूसरे ट्रिप के अलग से लगेंगे।” मैंने उसे गोद में उठाया और फिर से बेड पे लेटाया।
‘पैसे की चिंता नहीं है, असली मज़ा इस बात का है कि मैं अपनी बेटी की क्लासमेट को चोद रहा हूँ।’
और मैं फिर से उस नाज़ुक कली को मसलने के लिए तैयार हो गया।