भारत की सैर या चुदाई का सैर सपाटा
नमस्कार दोस्तों,
मैं आज अपने पिकनिक के दौरान मिली अनजानी चुत कि चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ | उसका नाम उषा था और वो दिल्ली में काम किया करती थी | एक दिन मैंने अपने कॉलेज कि छुट्टियों में अपने दोस्तों के साथ कहीं बहार पिकनिक पर जाने का फैसला किया और हम सब चल पड़े पूरे भारत में कहीं भी घूमने | हम सब अपनी – पानी मोटर साइकिल पर थे इसिलए हमें किसी भी बात कि चिंता ना थी | हमने पहले तो कई दिन भारत के दक्षिण जैसे केरला और तमिलनाडु जसी जगहों में समय बिताया और फिर मध्यप्रदेश से होते हुए दिल्ली जा पहुंचे जहाँ मेरी मुलाकात उषा नाम कि लड़की से हुई |
उषा वहीँ कि किसी कंपनी में काम करती थी और वो भी भी अपनी किन्ही दोस्तों के साथ टहलने निकली थी | वहाँ पर घूमते हुए हमारी भी बात चला पड़ी और मैं एक दिन के लिए उसके साथ दिल्ली देखें कि बात कि जिसपर वो राज़ी हो गयी | दोस्तों वो होती भी क्यूँ ना आखिर दिल्ली कि जो छोरी थी | वहाँ हम पूरा एक दिन एक साथ घुमे जिससे मेऋ और उषा कि काफी अच्छी पट गयी थी | जहाँ ता कि पोरे सफर में वो मेरी ही मोटर – साइकिल के पीछे बैठी | वहाँ घूमते हुए हमने आखिर में एक साथ सभी दोस्तों ने रात एक होटल में बिताने कि सोची और हम सब ने मिलकर दो कमरे लिए | एक कमरा सभी दोस्तों का और एक कमरा सिर्फ उषा के वास्ते |
अब हम एक दूसरे से इतने घुल – मिल चुके थे कि उषा ने मुझे उसके साथ रुकने को कहा और मुझे यह भी कहा कि वो यह आखिरी रात मेरे सतह ही बिताना चाहती है | मैंने उसके उन् लफ़्ज़ों पर ज्यादा सोच – विचार करना जरूरी नहीं समझा | मैं रात को उसी के बिस्तर पर सो रहा ठ अकी वो मुझसे एक दम से पोर चिपक गयी और मेरी आँखों ही आँखों में डाल के बाते करने लगी | मुझे अंदर से कुछ – कुछ हो रहा था पर मैं अपने आपको ढील नहीं दे रहा था क्यूंकि मैं जनता था कि मैंने चुदाई का रंग लिया तो नहीं छोडूंगा | कुछ देर में देखते ही देखते हम एक – दुरे के होठों को पी रहे थे और एक दूसरे से पूरी तरह से लिपटे हुए थे |
मैं भी पूरे जोश में चदता चला गया और उससे रात के पहने उन हलके – फुल्क्ले कपड़ों पर से ही उसके चुचों को भींचता हुआ उतारने लगा | हम दोनों एक दूसरे को सहयोग करते हुए कुछ ही पल में बिलकुल वस्त्रहीन हो गए और मैं उसके स्तन को अपने मुंह भर कर चूस रहा था | वो बार – बार अपनी जाँघों को मेरे उप्पर ले आती और अपनी चुदने कि तम्मन्ना को ज़ाहिर करने लगी | मैं समय का सही उपयोग करते हुए उसकी चुत में अपने लंड सहारा लगत हुए यूँ रास्ता धिक्लाया कि एक बार में ही मेरा लंड उसकी चुत में घुसा चला गया | उसका मुंह फटा का फटा रह गया और मैं उसे जमकर चोदे जा रहा था | कुछ देर बाद उसका मुड भी एक दम तगड़ा हो गया और हम एक दूसरे से लिपटे हुए चुदाई का अनद लेटे रहे पूरी सुबह तक नंग – धडंग एक दूसरे से ऐसे ही चिपके रहे | उस दिन बाद से आज मैं उषा से कभी नहीं मिला हूँ |
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