सभी लंड वाले मर्दों के मोटे लंड पर किस करते हुए और सभी खूबसूरत जवान चूत वाली रानियों की चूत को चाटते हुए सभी का मैं स्वागत करती हूँ। अपनी कहानी सेक्स कहानी डॉट नेट के माध्यम से आप सभी मित्रो तक भेज रही हूँ। ये मेरी पहली स्टोरी है। इसे पढकर आप लोगो को मजा जरुर आएगा, ये गांरटी से कहूंगी।
मेरा नाम पूनम कुमारी है। मैं खूबसूरत और सुंदर औरत हूँ। मेरी शादी भी अच्छे घर में हुई थी पर किस्मत से सब खेल बिगाड़ दिया। मुझे चुदना और सेक्स करना काफी पसंद था। मुझे जो पति मिला था वो भी बहुत रसिया मिजाज था। पहले मुझसे घंटो लंड चूसाता था। फिर मेरी चूत को कई मिनटों तक मुंह में लेकर चूसता पीता था। फिर मेरी चूत में लंड डालकर कसके मजे देता था। पर दोस्तों उपर वाले से मेरी ख़ुशी जादा दिन देखी नही गयी। एक दिन जब वो अपने ऑफिस को जा रहे थे पीछे से किसी कार वाले ने टक्कर मार दी। उस हादसे में उनकी मौत हो गयी। अब मुझ पर आफत टूट पड़ी। मेरे पति सरकारी जॉब में थे। अब मेरा देवर अनुपम मेरी जिन्दगी में साहिल बनकर आया।
उन्होंने बड़ी दौड़ भाग की। सभी अधिकारियों की बड़ी चिरौरी की और मुझे नौकरी मिल गयी अपने पति की जगह पर। पहले मैं अमुपम पर काफी गुस्सा होती थी क्यूंकि मेरे पति ही उसकी पढाई का सारा खर्च देते थे। पर अब मेरे मन में उसके लिए बड़ा प्यार आने लगा। पहले मैं टैम्पू से ऑफिस जाती थी। कई बार लड़के मुझे छेड़ देते थे और कमेन्ट कर देते थे। मैं इतनी सुंदर थी की कोई भी लड़का मुझे एक बार देख लेता था तो घूर घूर के देखता था। रोज कोई न कोई लड़का मुझे टैम्पो को छेड़ देता था। सब मेरी चूत के पीछे पागल थे। एक दिन मैं रोने लगी।
“भाभी क्या हुआ?? आपके ऑफिस में किसी ने आपको कुछ बोला क्या???” अनुपम कहने लगा
“नही अनुपम किसी ने कुछ नही कहा। पर टैम्पो वालों से मैं बहुत परेशान हूँ। कोई न कोई लड़का मुझे रोज ही छेड़ देता है। रोज ही कमेन्ट करते है। बस और टैम्पो में मुझे दिक्कत भी बहुत होती है। अक्सर ही देर हो जाती है” मैं रो रोकर कहने लगी।
“कोई बात नही है भाभी!! मैं कल से आपको अपनी बाइक से छोड़ दूंगा। तब कोई परेशानी न होगी” अनुपम बोला
फिर रोज ही वो मुझे मेरे ऑफिस तक छोड़ आता और लिवा भी लाता। मुझे अब बस, टैम्पो का खड़े होकर वेट नही करना पड़ता था। अब किसी तरह की कोई दिक्कत नही थी। कुछ दिनों बाद मेरे देवर ने भाग दौड़ करके बीमा (LIC) वाले पैसे भी निकलवा दिए। रोज ही मेरी सेवा करने लगा। अब मुझे देवर से लगाव हो गया और रोज ही अपनी चूत में ऊँगली करके अनुपम!! अनुपम !! बोलकर मजे लेने लगी। लंड खाए बड़े दिन बीत चुके थे। अब मुझे चोदने वाला कोई न था। अनुपम का लौड़ा अब मैं जल्दी से जल्दी खाने के मूड में थी। वो तो मुझे कभी हाथ लगाएगा नही। मुझे ही कुछ जुगाड़ लगाना होगा। इसलिए मैं अपने काम पर लग गयी। शाम को अनुपम घर आया। मैंने नाईट सूट पहन लिया था। उसकी पसंद का खाना बनाया। उसने अच्छे से खाया।
“भाभी!! आज आपने तरह तरह का खाना बनाया है। आज कुछ है क्या??” अनुपम पूछने लगा
“आज तेरा जन्मदिन है। भूल गया तू” मैंने कहा
अनुपम का ख़ुशी का ठिकाना नही था। मैंने उसे गिफ्ट दिया। उसने खोला। उसमे एक अच्छा सा शर्ट पेंट था।
“भाभी!! तुम कितनी अच्छी हो” वो कहने लगा
“क्या तुम अच्छे नही हो??” मैं कहने लगी
धीरे धीरे मैं उससे चिपकने लगी। वो कुछ समझ नही सका। फिर मैंने उसे जल्दी से पकड़कर गले लगा लिया और उसके गालो पर पप्पी देने लगी। मैंने उसे बाहों में भर लिया।
“भाभी ये सब क्या है??” मेरा देवर हैरान होकर पूछने लगा
“क्यों तुझे अच्छा नही लगा क्या??” मैं बोली
“अच्छा तो लगा पर आप मेरी भाभी हो। आपके साथ कैसे ये सब कर सकता हूँ” अनुपम किसी सीधे साधे लड़के की तरह बोला
“मेरे पति की सारी जिम्मेदारी अब तुम ही उठाते हो। रोज मुझे ऑफिस छोड़ने जाते हो। फिर लिवाने जाते हो। क्या मैं इतना भी नही कर सकती। आज तुम्हारा जन्मदिन है। समझ लो आज तुमको मैं अपनी जवानी गिफ्ट कर रही हूँ” मैंने कहा और उसे बाहों में भर लिया। फिर देवर भी पट गया। मुझे कसके दोनों भुजाओं से दबोच लिया और चुम्मा लेने लगा। कुछ देर बाद हम दोनों गर्म हो गये। उसका भी लौड़ा खड़ा हो गया। हम दोनों कमरे में चले गये। अनुपम अपनी शर्ट की बटन खोलने लगा। मैंने अपनी साड़ी। फिर ब्लाउस खोलकर नंगी हो गयी और ब्रा पेंटी भी उतार दी। वो भी नंगा होकर लंड फेटने लगा।
“आओ मेरे प्यारे देवर!! किस करो आकर मुझे” मैं बोली
अनुपम मेरे पास आकर लेट गया। हम दोनों किस करने लगे। उसकी वासना और चुदास अब जाग गयी। मेरी दोनों चूचियों पर हाथ लगाकर दबाने लगा। फ्रेंड्स मेरा फिगर आप लोग देख लेते तो आपके भी लौड़े खड़े हो जाते। मेरा फिगर 36 32 38 का है। मैं गद्दे जैसी दिखती हूँ। बस मुझे एक लंड ही जरूरत है जो मुझे खूब पटक पटक कर चोदे। वो भी मुझे प्यार करने लगा। मेरी 36” की बड़ी बड़ी चूची को दबा दबाकर रस निकालने लगा। फिर मेरे लिप्स पर लिप्स रखकर चूसने लगा। कुछ देर किस किया मुझे। फिर मेरे रसीले आमो से खेलने लगा। सहलाता जाता और रस निकालता जाता। फिर मुंह में लेकर चूसने लगा। पहले तो खूब चूसा। फिर उसका भी चोदने का दिल करने लगा। वो मेरे 36” की कड़ी कड़ी चूचियों को दबाने और मसलने लगा। फिर मुंह में लेकर चूसने लगा। मैं कामुक होकर “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा सी सी सी” करने लगी। देवर तो चूसता ही चला गया। मैंने उसे नही रोका और पिलाती रही।
“पी लो देवर जी!! जब पति की सभी जिम्मेदारी तुम निभाते हो तो मेरी मस्त चूत पर तेरा ही हक है। और चूसो –अहहह्ह्ह्हह….” मैं कहने लगी।
अनुपम पुरे मजे लेकर मेरी कड़ी कड़ी चूचियां चूस रहा था। मेरे जिस्म पर उसने कब्जा सा कर लिया था। वो हाथ से दूध को दबाता और मुंह में लेकर दूसरी वाली छाती चूसता। इसी कामुकता में मेरी चूत रस से गीली हो गयी थी। अब मेरा उसे अपनी बुर पिलाने का बड़ा मन कर रहा था। मेरी बुर में अजीब से खुजली होने लगी थी।
“अनुपम!! तूने कभी किसी लड़की की चूत पी है क्या??” मैंने कहा
“नही भाभी! मौका ही नही मिला” वो बोला
“आज पी के देख। तुझे काफी आनन्द आयेगा” मैंने कहा और अपने पैर खोल दिए।
अनुपम के मुंह को चूत में धकेलने लगी। दोस्तों आज ही सुबह उठकर मैं अपनी चूत के सभी बाल साफ़ कर दिए थे। मुझे डर था की कही उसे मुझे झांटो से भरी बुर पसंद नही आएगी तो मुझे चोदेगा भी नही। इसलिए मैंने साफ़ कर लिया था। अनुपम भी अब मुंह लगाकर मेरे भोसड़े को पीने लगा। उनके ओंठ मेरी चूत के रसीले होठो से टकरा कर चिंगारी उड़ाने लगी। मैं गांड उठाने लगी। 5 मिनट के समय में ही वो बड़ा चुदक्कड मर्द बन गया और मेरी चूत को खाने लगा। मुंह लगा लगाकर खा रहा था।
मेरे चूत के दाने को दांत से पकड़ कर उठाकर खींच रहा था जिससे मुझे बड़ी कामुकता मिल रही थी। मेरी अन्तर्वासना जाग रही थी। मैं “……अई…अई….अई…..इसस्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” बोले जा रही थी। लगता था किसी से चूत में पेट्रोल डालकर आग सुलगा दी हो।
“… ऊँ…ऊँ…ऊँ… चाट अनुपम!! अच्छे से चाट डाल मेरी फुद्दी को” मैं कहने लगी
फिर उसने ऐसा ही किया। अब मेरी चुद्दी में ऊँगली घुसाने लगा। मैं मीह मीह करने लगी। अनुपम के अंदर का पुरुष जाग गया। वो जल्दी जल्दी मेरी भोसड़ी में ऊँगली दौड़ाने लगा। मुझे तो बिजली के झटके लगने लगे। ऊँगली लंड की तरह मुझे चोदने लगी। मेरा देवर ऊँगली भी करता था और जीभ लगाकर चूत को पी भी रहा था। काफी देर उसने ऐसा किया।
“क्या बस ऊँगली ही करेगा। चोदो अनुपम अब” मैं बोली
“जी भाभी” वो बोला
बड़ा सीधा लड़का था। हमेशा मेरी बात मानता था।
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“लाओ तेरे लंड को चूस दूँ” मैंने कहा। वो लेट गया। अब मैं अपने जॉब पर लग गयी। उनके लंड को पकड़कर फेटने लगी। दोस्तों उसका लौड़ा 9” का बड़ा मोटा तगड़ा था। मेरे स्वर्गीय पति से भी मोटा लंड था। मैं जीभ लगा लगाकर चाटने लगी। अच्छे से फेट फेटकर खड़ा करने लगी। उसकी दोनों गोलियां कड़ी कड़ी होकर ठोस अवस्था में आ गयी। अब तो रसगुल्ले की तरह दिख रही थी। मैं चूस रही थी। सबसे पहले लंड को मुंह में डालकर जल्दी जल्दी चूसने लगी। उधर अनुपम की हालत बिगड़ने लगी। वो “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” करने लगा। मैं हाथ से लंड को जोर जोर से मुठ देती और चूसती। उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था।
“….. ऊँ…ऊँ…वाह मेरी भाभी जान!! क्या मस्त चूसती है तू….अअअअअ…!!” अनुपम कहने लगा
मैंने 30 मिनट उसकी इतनी लंड चुसाई कर डाली की उसे जन्नत का मजा दिलवा दिया। उसका लंड किसी गुसैल नाग की तरह दिख रहा था।
“चल अब चोद मुझे!!” मैंने कहा और लेट गयी दोनों टांग खोलकर
अनुपम भी पूरे जोश में आ गया। लंड का गुलाबी सुपाडा उसने मेरी खूबसूरत चूत में डाल दिया और अंदर पंहुचा दिया। फिर मुझे fuck करना स्टार्ट किया। जल्दी जल्दी ताकत लगाकर चोदने लगा। मैं मजा काटने लगी। यौन तेज्जना में आकर मैं अपने लिप्स दांत से काट काटकर चबाने लगी। मेरा देवर मुझे अच्छे से fuck कर रहा था। मुझे अच्छे से चोद रहा था। करते करते मेरे दोनों दूध चुदाई के नशे में आकर तन गये और नारियल जैसे हो गये थे। अनुपम दबा दबाकर मुंह में लेकर चूस रहा था और मेरा काम जल्दी जल्दी लगाये हुए था।कुछ देर उसने मेरे को लिटाकर चोदा।
“भाभी!! अब पेट के बल लेट आओ” वो बोला.. Bhabhi ki chudai
मैं पेट के बल लेट गयी। मेरे बड़े बड़े चूतड़ (नितम्ब) उसके सामने थे। उसने आज तक किसी औरत को नही पेला था। आजतक उसने किसी औरत के नितम्ब नही देखे थे। मेरे सेक्सी पुट्ठों को दबा दबाकर मजा लुटने लगा। बड़ा मजा लिया उसने। ओंठ रखकर मेरे पुट्ठो से खेलने लगा। मैं हब्सी होकर “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” करने लगी। फिर अनुपम ने मेरे दोनों मुलायम पुट्ठो को ऊँगली से खोला और लंड चूत में घुसा दिया। फिर मेरी ठुकाई शुरू कर दी। खटा खट मेरी चूत में डालने लगा। पीछे से उसने मुझे देर चोदा। फिर अंदर ही झड़ गया।
“भाभी!! मेरे लंड को चूसो!!” अनुपम बोला और नीचे जमीन पर जाकर खड़ा हो गया
मैं भी नीचे उतरी और जमीन पर बैठ गयी। उसने लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी और मुठ देने लगी। कुछ देर में देवर मेरे मुंह में ही झड़ गया। अब देवर भाभी रोज की मजे काटने लगे। फिर अनुपम झड़ गया। इस तरह से रोज ही हम साथ में राते बिताने लगी। मेरे घर में और कोई था भी नही। जब कोई पड़ोसी मेरी घर आता था मैं अनुपम से दूर ही रहती थी। वो भी मुझे भाभी कहकर ही बुलाता था। बहुत कम लोग जानते थे की मैं उसकी रंडी बन चुकी हूँ। कुछ दिनों बाद मेरी वासना हर हद को पार कर गयी। मेरा अपने देवर से गांड मराने का बड़ा दिल करने लगा था। उस दिन मेरा जन्मदिन था। रात को मैंने सभी सहेलियों को घर बुलाया था। मेरे देवर ने मुझे बड़ी सुंदर साड़ी गिफ्ट की थी। उसके बाद मैंने केक काटा और सभी फ्रेंड्स को पार्टी दी। रात में मैं अपने देवर के साथ फिर से अकेली हो गयी। अब रात भी हो चुकी थी। अनुपम बेडरूम में जाकर लेट गया था। उसने चेंज कर लिया था। सिर्फ बनियान और कच्चे में था। मैं काली सैटिन की नाईटी पहनकर उसके कमरे में चली गयी। अनुपम मुझे गौर से देखने लगा।
“भाभी!! आज नाईटी में क्यों आई हो?? क्या मेरा कत्ल करने का इरादा है क्या?” अनुपम कहने लगा
“हाँ मेरे सैया!! आज रात मैं तुझे स्पेशल वाला मजा दूंगी” मैंने कहा
मैं बिस्तर पर अनुपम के पास चली गयी। उसके लंड पर अंडरवियर के उपर से हाथ लगाने लगी। वो “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….” करने लगा। मैंने उपर से उसके लंड को सहलाना चालू कर दिया। कुछ देर में उसका 9” मोटा रसीला लौड़ा फन उठा दिया। मैंने ही उसके अंडरवियर को उतार दिया। और हाथ देकर फेटने लगी। चूसना चालू कर दी। अनुपम आराम से चुस्वाने लगा।
“आज तुझे अपनी गांड दूंगी जो आज तक किसी को नही दी मैंने” मैं बोली
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“भाभी!! क्या भैया आपकी गांड नही चोदते थे???” अनुपम कहने लगा
“वो तो बड़े सीधे मिजाज के मर्द थे। आज तू चोद” मैं बोली और फोन में उसे एक सेक्स मूवी दिखा दी। उसे देखने से मेरे देवर का पारा चढ़ गया। मैं घोड़ी बन गयी। वो जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। मेरी गांड के सुराख को चाट रहा था। मैं “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी… हा हा.. ओ हो हो….” करने लगी। अनुपम भी अब चोदू मर्द बन बैठा। जल्दी जल्दी चाटने लगा।
“मेरे देवर!! मेरी गांड का सेक्सी छेद सिर्फ तेरे लिए बना है। चोद डाल इसे” मैं बोली
अनुपम भी पागल हो गया। मुंह में ऊँगली घुसाकर उसने अपनी ऊँगली को गीला किया और मेरी गांड में घुसा डाला। जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा। मैं पागल होने लगी थी। 5 मिनट मेरे देवर से मेरी गांड में ऊँगली की। फिर एक दूसरे हाथ की ऊँगली मेरी चूत में घुसा दी। अब वो मुझे दो दो जगह परेशान कर रहा था। सीधे हाथ से मेरी चूत में ऊँगली करता था। और उलटे हाथ से मेरी गांड को। इसी चुदास में मेरी रसीली बुर झड गयी और अपना माल छोड़ दी।
अनुपम जीभ लगाकर सारा रस पी गया। अब मेरी गांड में उसने लंड डाला और कुत्ते की तरह मुझे चोदने लगा। मैं उसकी देसी चुदक्कड कुतिया बन गयी थी। कुछ देर में अनुपम हमले पर हमले करने लगा। उसने फटाफट मेरी गांड मारी और दोनों नितम्ब पर माल गिरा दिया। वो बिस्तर पर थककर गिर गया। मैं उसका लंड फिर से मुंह में लेकर अच्छे से चूस डाली। धीरे धीरे हमारे नाजायज रिश्ते की खबर पूरे मोहल्ले में फ़ैल गयी। सब लोग जानते थे की अनुपम मुझे रखे हुए है। पर कोई मुंह पर कहता नही था। सब औरते बस हंस हंस के मजे ले लेती थी। अब अपने देवर से मैं हर रात चुदती थी। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए सेक्स कहानी डॉट नेट पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।