हमारी चुदासी कामवाली चुदवाने के लिए बेताब
हेल्लो मेरे सभी चोदु भाइयो और चुदक्कड़ बहनों को लंड उठाकर मेरा नमस्कार. मैंने पिछले कई सालो से मस्ताराम की मस्त सेक्सी स्टोरीज पढ़ रहा हूँ पहले किताबे पढता था लेकीन अब उतने मजे नही आते किताबो में तो मैने साईट कि कहानिया पढना शुरू कर दिया. अब तो मुझे इसकी आदत हो चुकी है. आज मैं आपको अपनी सेक्सी स्टोरी सुनाता हूँ. कुछ दिनों पहले मेरी मम्मी अचानक बाथरूम में फिसल के गिर गयी. उनकी कमर टूट गयी. जिस वजह से मेरे घर का सारा काम रुक गया. खाना बनाना किसी को आता नही था तो मुझे एक कामवाली की जरुरत महसूस हुई. मैंने एक कामवाली को रख दिया. मेरे मोहल्ले में उसे सलोनी ताई सब कहते थे. जब उसने पहली बार खाना बनाया तो घर में सबको पसंद आया. धीरे धीरे वो मेरे घर में जम गयी और मेहनत से काम करने लगी. एक दिन सलोनी हाल में पोछा लगा रही थी.
वो फर्श पर झुकी हुई थी. उसका पिछवाड़ा पीछे की ओर निकला हुआ था. मेरा फोन हाल में चार्ज हो रहा था. जैसे ही मैं उठाने गया , दोस्तों आचानक मेरी नजर मेरी मस्त सलोनी ताई पर पड़ गयी. वो झुकी हुई थी. झुककर पोछा लगा रही थी. उसके २ बेहद मस्त मस्त उजले दूध के मुझसे दर्शन हो गये. मेरा तो ये देखकर दिमाग ही घूम गया. मैं मोबाइल पर कुछ न कुछ करने का बहाना करने लगा. और कनखियों से सलोनी कामवाली के दूध ताड़ रहा था.
जब वो मुड़ी तो उसका बहुत बड़ा पीछे की ओर निकला पिछवाड़ा दिखने लगा. मेरा मन ठरकी हो गया. सोचने लगा की कास कामवाली की चूत मिल जाती. मेरी वासना मेरी बेशर्मी को पार कर गयी. मैं जाने क्यों एक टक सलोनी को घूरने लगा. जैसे अभी उसको खा जाऊंगा. मेरी कामवाली सलोनी अपनी धुन में थी. वो बालती में पोछा भिगोती, उसे हिलाकर अच्छे से हिलाती, फिर ताकत से दोनों हाथों से निचोड़ती और फिर फर्श पर पोछा मारती. मैं उसे ताड़ ही रहा था की सलोनी ने मुझे पकड़ लिया.
मेरी वासना भरी नजरें उसकी गोल गोल भरी भरी ब्लाउस के अंदर छातियों पर चिपकी थी. जैसे ही सलोनी ने मुझे उसे घूरते पकड़ लिया तुरंत अपनी साड़ी अपनी छाती पर डाल दी और दूध को ढक लिया. मुझे अपनी वासना और चुदास पर पछतावा हुआ. मैं झेंप गया और हाल ने बाहर निकल आया. पर पूरी शाम और पूरी रात मुझे सलोनी कामवाली के दूध परेशान कर रहे थे. कितना किस्मत वाला है इसका मर्द. सारा रोज रात में इसकी बुर मारता होगा. उसे तो जन्नत जरुर मिल जाती होगी.
मैंने यही सोच रहा था और रात को मैंने सलोनी कामवाली को याद करते करते मुठ मार दी. दोस्तों मैं अभी सिर्फ १९ साल का था और लखनऊ के एक इंस्टिट्यूट से होटल मैनेजमेंट का कोर्से कर रहा था. इस लिए अभी तो मेरी शादी होनी नही थी. कैरिअर जो बनाना था. इसलिए दूर दूर तक चूत मिलने का कोई सवाल ही नही था. मैंने सलोनी को सोच सोचकर कई दिन मुठ मार दी. सलोनी अब मेरे कमरे में आती तो छातियों को ढककर रखती. क्यूंकि वो जानती थी की मैं उसको गंदी नजरो से देखता हूँ. एक दिन उसके पति से उसका सारे पैसे छीन लिए और शराब पी गया. सलोनी मेरे पास आकर रोने लगी.
“ईशान बेटा !! जो पैसा कल तुमने दिया था, मेरा बेवड़ा मर्द ने मुझसे छीन लिया और शराब पी गया. अब मैं पूरा महीना क्या खाऊँगी ???’ वो रो रोकर कहने लगी. मैंने उसके जवान कंधे पर हाथ रख दिया.
“रो मत सलोनी !! मैं तुमको कुछ और पैसे देता हूँ” मैंने उसका कंधा जोर से दबाया. फिर उसको १००० रूपए और दिए. धीरे धीरे सलोनी मुझसे सेट गयी. मैंने उसको एक दिन किचेन में पकड़ लिया और उसके गाल को चूम लिया. उस दिन वो बिलकुल माल लग रही थी. मैंने सोच लिया था की आज सलोनी को चोदना है
“इशान बेटा !! ….ऐसा मत करो. मैं एक शादी शुदा औरत हूँ. मुझे चोदकर मेरा धर्म मत बिगाड़ो” सलोनी बोली. मैंने उसकी एक नही सुनी. उसको बाहों में भर लिया और उसके होठ पीने लगा. भला हो उसके शराबी मर्द का वरना मुझे उसे पटाने का मौका नही मिलता. मैं सलोनी के दूध दबाने लगा. वो ‘नही बेटा !!…नही बेटा !!’ करती रही और मैंने उसको जमीन पर ही लिटा लिया. जब तक वो विरोध करती मैंने उसकी साड़ी उपर उठा दी. उसकी लाल रंग की सस्ती वाली चड्ढी निकाल दी. उसकी बुर में लंड डाल दिया और सलोनी कामवाली को चोदने लगा.
“नही बेटा …..मेरा धर्म मत बिगाड़ो. मैं एक पतिव्रता औरत हूँ” सलोनी कहने लगी पर मैंने उसकी एक नही सुनी. उसकी दोनों भरी भरी टांगो को उठाकर मैंने उपर कर दिया और उसकी चूत लेने लगा. कुछ देर बाद वो शांत हो गयी और आराम से बिना कीसी गतिरोध के चुदवाने लगी. मैंने सलोनी कामवाली को अपनी बाहों में कस लिया और आगे पीछे होकर किसी नाव की तरह उसकी बुर में गोते खाने लगी. कामवाली ना जाने क्या मेरे कान में बुदबुदा रही थी. मैंने तो उसकी बुर में डूबने उतराने लगा. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है ।
मैंने महसूस किया की मेरा रोकेट जैसा लंड कामवाली की बुर में बिलकुल गहराई तक जा रहा था. सलोनी को चुदने में पूरा मजा मिल रहा था. वो जो सोचती हो सोचती रहे , पर आज मैंने तो उसको चोद लिया. कुछ देर और बीता तो कामवाली सलोनी कहकहकर चुदवाने लगी. “इशान बेटा !! तुम अच्छी चुदाई करते हो….पेलो बेटा !! मुझे जोर से पेलो !!’ सलोनी कहने लगी.
मुझको जोश चढ़ गया. मैं जोर जोर से उसे लेने लगा. वो चुदने लगी. मैंने उसके गाल और मत्थे को चूमने लगा जैसे कोई अपनी औरत को प्यार कर करके चोदता है. सलोनी मजे से चुदवाने लगी. उसकी चूत बहुत गर्म थी. जैसी कोई लोहे की गर्म भट्टी हो. मेरा लम्बा लंड 28 वर्षीय सलोनी की गर्म चूत को चोद रहा था और उनकी गर्मी में झुलस रहा था.
“इशान !! बेटा और जोर जोर से मुझे चोदो. मेरा पति तो कभी मुझको लेता ही नही है. वो तो बस शराब पीकर टूल्ल हो जाता है” सलोनी बोली. कुछ देर बाद मैं उसकी गर्म भट्टी जैसी बुर में बह गया था. उसके बाद मैंने उसको छोड़ दिया और बाथरूम में नहाने चला गया. दोस्तों कुछ दिन बाद मेरी मम्मी हॉस्पिटल से लौट आई. अब जाकर उनकी कमर की हड्डी जुड़ पाई थी. मम्मी के आ जाने के कारण अब मैं खुले आम अपनी कामवाली से प्यार नही जता पाता था. एक दिन रात 9 बजे मुझे सलोनी की चूत की बड़ी जोर की तलब गयी. मुझसे रहा ना गया. मैं सलोनी के घर पहुच गया. मुझे देखकर उसके चेहरे का रंग उड़ गया.
“इशान बेटा !! तुम इधर को क्यूँ आये???’ वो परेशान होकर बोली
‘सलोनी !! मेरी जान….मेरी जानम, मेरा लौड़ा बहुत जादा खड़ा हो रहा था. तुम्हारी चूत की तलब लगी तो मैं तुम्हारे घर चला आया” मैंने कहा
‘अरे बेटा !! मेरा बेवड़ा आदमी अंदर ही है. उसने तुमको देख लिया तो खामखा बवाल कर देगा. अभी तुम यहाँ से जाओ. जब सही समय होगा मैंने तुमको फोन करुँगी और चुदवाउंगी!!’ सलोनी बोली
‘जान !! मैं तुमको चोदे नही जाऊँगा और तेरे मर्द का इंतजाम है मेरे पास” मैंने कहा और इंग्लिश शराब की एक बड़ी बाटली मैंने सलोनी को दिखाई. वो मुझे अंदर ले गयी. उसके आदमी के साथ मैंने बैठ के शराब पी. खुद मैंने १ जाम पिया और बाकी उसके आदमी के पेट में खाली कर दी. मुझे वो तरह तरह की दुआएं देता हुआ सो गया. सलोनी कामवाली का घर बड़ा छोटा था. सिर्फ एक कमरा ही था.
“सलोनी !! आजा मेरे लौड़े की प्यास बुझा दे” मैंने कहा. उसने अपने को दिवाल के किनारे पर लिटा दिया. इंग्लिश शराब के नशे में वो धुत्त हो चूका था और खर्राटे लेकर सो रहा था. मेरी कामवाली सलोनी ताई बड़ी होशियार थी. उसने एक रस्सी पर अपनी झीनी आसमानी साड़ी डाल दी और पार्टीशन बना दिया. कपड़े उतारकर किसी छिनाल की तरह लेट गयी.
“आओ इशान बेटा !! अब चोदो मुझे! कोई टेंसन नही है अब” सलोनी बोली. मैंने उसकी ब्रा और चड्ढी निकालकर उसको साबुत नंगा कर दिया. कुछ देर उसके मस्त गदराये जिस्म से खेलता रहा. फिर बाटली में 2-4 बुँदे शराब की बची थी, मैंने सलोनी की चूत में डाल दी और जीभ से सारी शराब पी गया. फिर सलोनी की बुर पीने लगा. कुछ देर में उसके दोनों पैर हवा में किसी देश के झंडे की तरह उठे हुए थे और मैं सलोनी की इज्जत लूट रहा था. उसको चोद रहा था. हमदोनो का प्यार बड़ी देर तक चला. मैं मजे से उसे लेता रहा. आज भी वही कल वाला स्वाद मिल रहा था. मैं अपनी कामवाली को मजे से चोद रहा था. जैसे ही मैं झड़ने वाला था, पता नही कहा से सलोनी का मर्द जाग और खांसने लगा. हालाकि उसकी आँखें बंद थी. सलोनी डर गयी की कहीं उसके मर्द ने उसे मुझसे चुदवाते देख लिया तो आफत मचा देगा.
मैं जल्दी से सलोनी के उपर एक चादर ओढ़ के लेट गया और मुर्दे की तरह निश्चल हो गया. कुछ देर में उसका मर्द फिर से जोर जोर से खर्राटे लेने लगा. मैंने फिर से अपना अड्डे पर आ गया और सलोनी को बजाने लगा. कितनी बड़ी और अजीब बात थी. मैंने उसके बेवड़े पति के सामने उसको खा रहा था. एक तरह से देखा जाए तो बड़े साहस वाला काम मै कर रहा था, पर ये एक बड़ी बेवकूफी वाली बात भी थी. अगर उसका बिगडैल झगड़ालू पति अगर जग जाता और हम दोनों को ठुकाई करते पकड़ लेता तो मेरा तो लौड़ा ही वो काट देता और सलोनी की बुर में चाक़ू मार देता. मैंने सलोनी को खूब लिया और गर्म गर्म खीर उसकी भट्टी में छोड़ दी. उसके बाद मैं अपने घर चला आया. जब मेरी मम्मी ठीक हो गयी तो उन्होंने सलोनी कामवाली को हटाने की मांग की. मैंने सोचा की सलोनी चली गयी तो उसकी बुर भी चली जाएगी.
“अरी मम्मी !! अभी अभी तो तुम्हारी तबियत ठीक हुई है. डॉक्टर से अभी काम करने से मना किया है. इसलिए अभी हमलोगों को सलोनी को काम पर रखना चाहिए” मैंने बोला.
अब समय समय पर मुझे अपनी कामवाली की चूत मिल जाता करती थी. कभी अपने घर पर, कभी सलोनी के घर पर. एक दिन सलोनी बड़ी सज संवर कर आई.
“इशान बेटा !! आज मेरी शादी की सालगिरह है!!’ शाम को तुमको दावत पर आना है” सलोनी बोली. मैं शाम को उसके लिए एक बहुत ही बढ़िया और महंगी साडी अपनी पॉकेट मनी से खरीद कर ले गया. जैसे ही मेरी चुदक्कड़ कामवाली ने वो कीमती फिरोजी रंग की साड़ी पहनी वो बहुत खुश हो गयी.
“अरे इशान बेटा…ये तो बहुत सुदर साड़ी है. कितने की मिली??’ वो मेरी आँखों में झांककर पूछने लगी. मैंने भी उसे आँखों ही आँखों में खूब ताड़ लिया.
“पुरे ५००० रूपए की” मैंने जवाब दिया. सलोनी का पियक्कड़ पति घर में मौजूद था. हम तीनो से साथ में दावत उड़ाई. फिर मैंने अपनी जेब से एक महंगी इंग्लिश शराब की बोतल निकाली. उसे देखते ही सलोनी के बेवड़े मर्द का मूड बन गया. मैंने खुद हम तीनो से लिए गिलास बनाया. हम तीनो ने फुल शराब पी. शराब पीते ही सलोनी कामवाली के पति को चढ़ने लगी. मैं सलोनी के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया और अपनी माल से छेद छाड़ करने लगा. कुछ ही देर में उसका पियक्कड़ पति बिस्तर पर लुड़क गया. मैंने सलोनी को लेकर वही खाली पड़े बिस्तर पर लेट गया और सलोनी को बाहों में भरकर चूमने चाटने लगा. कुछ ही देर में हम दोनों बिना कपड़ों के आ चुके थे. मैं अपनी चुदक्कड़ कामवाली के ओंठ पी रहा था. उसकी सासों की महक मैं ले रहा था. फिर मैं सलोनी के बड़े भीमकाय साइज़ के 34 इंच के दूध मुँह में भरके पीने लगा. मुझे मौज आ गयी.
क्या मस्त मस्त सफ़ेद दूध थे उसके. जी कर रहा था की दांत से काट कर निकाल लूँ और सारी जिन्दगी भर मजे से वो दूध पीता रहू. मैं सलोनी की नर्म नर्म छातियों को कीसी छोटे बच्चे की तरह पी रहा था. उधर दूसरी तरह सलोनी के पति शराब के नशे में गहरी नींद में सो रहा था. सलोनी के दूध तो मुझे संसार के सबसे जादा सुंदर और सेक्सी दूध लग रहे थे. मैं हाथ से जोर जोर से उसके नाजुक मम्मे दबा रहा था और मजे से पी रहा था. फिर मैं सलोनी की सेंसेंशनल चूत पर आ गया. बड़ी सुंदर बुर थी उसकी. सलोनी का मर्द तो हमेशा नशे में रहता था. इसलिए कभी उसकी बुर मार ही नही पाता था. मैंने सलोनी का लाल भोसडा पीने लगा. आज जितना भी उसका भोसड़ा फटा था सब मेरी ही देन थी. पिछले कई दिनों ने रोज मैं सलोनी के भोसड़े में लौड़ा देता था और उसे खाता था. मैंने अपने होठ सलोनी की बुर पर रख दिए और उसको मजे से पीने लगा. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
जीभ से चूत के होठ की पंखुड़ियों को सहलाता था, बड़े लाड़ से चाटता था. घंटो मैं सलोनी की बुर से खेलता रहा. फिर वो बेचैन होने लगी. कमर, गांड और टाँगे उठाने लगी. “इशान बेटा ….अपनी कामवाली को आज उसकी शादी की सालगिरह की ऐसा चोद की मुझे संसार के सारे सुख मिल जाए” सलोनी बोली. मैं समझ गया की उसे लंड की जरूरत है. मैंने तुरंत अपना लंड सलोनी की चूत के दरवाजे पर रखा और अंदर धक्का दिया. उसकी चूत तो मेरे लंड से अच्छी तरह परिचित थी, लंड तुरंत अंदर चला गया. और अपनी माल अपनी कामवाली को लेने लगा.
सलोनी मुझको अपनी पति मान चुकी थी. क्यूंकि जिस तरह वो मुझसे चुदवा रही थी. प्यार से दोनों बाँहों में भरके वो तो कोई पत्नी की कर सकती है. उसकी आँखें बंद थी. बंद पलकों का सौंदर्य मैं अपनी आँखों से पी रहा था. सलोनी के सर के बाल के गोल गोल ऐठी लटाएं बार बार उसके खूबसूरत चेहरे पर बार बार गिर जाती थी और मुझे बार बार उन लटाओं हो हाथ से उपर करना पडटा था. चुदती सलोनी की नाक और मुँह से निकलती गर्म सिसकियाँ मुझे और जादा चुदासा कर रही थी और मैं हौंक हौंक के उसके बड़े से भोसड़े में उनकी दोनों गोल गोल जाँघों के बीच स्तिथ उसकी बुर में धक्के पेल रहा था. अआः उई उई माँ माँ ओह माँ ओ माँ !!’ जैसी आवाजे मेरी कामवाली निकाल रही थी.
मैं और भी जादा जोश में आ रहा था इन आवाजों को सुनकर, और जोर जोर से सलोनी की नाजुक चूत को मांज और चोद रहा था. आज मुझे वो अपूर्व सुन्दरी लग रही थी. उसकी शादी की सालगिरह पर मैंने उसको संसार के सबसे जादा बढ़िया तरह से लेना चाहता था. जब चुदते चुदते सलोनी ने मुझे अपनी बाहों में बड़ी जोर से कस लिया तो मैं जान गया की वो मुझसे पहले झड जाएगी. ये जानकर मुझे ख़ुशी भी मिली. क्यूंकि अगर स्त्री से सम्भोग करते समय अगर स्त्री पहले बह जाए तो ये पुरुष के लिए गर्व वाली बात होती है. मैं सलोनी को दोनों बाहों में भरके और जोर जोर से हौकने लगा. फिर कुछ देर बाद लंड अंदर बाहर करते करते मैंने अपने लंड पर उसकी योनी से निकलती गर्म गर्म मलाई को महसूस किया. सलोनी मेरे मोटे लंड पर ही बह गयी. झड़ते झड़ते उनसे मुझे कस लिया. उसे जोर जोर से पेलता हुए मैं 10 मिनट बाद उसकी बुर में शहीद हो गया.