हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रोहन है और में 19 साल का हूँ. आज में आप सभी चाहने वालों को अपनी एक ऐसी अविश्वसनीय घटना जो मेरे साथ अभी कुछ समय पहले हुई है उसे बताने जा रहा हूँ. दोस्तों उसके बाद मेरा पूरा जीवन बदल गया और अब में उस घटना को पूरी तरह विस्तार से सुनाता हूँ और थोड़ा अपना, अपने परिवार वालों का आप लोगों से परिचय भी करवा देता हूँ.
हैल्लो दोस्तों, अंकल ने उस रात ट्रेन में हुई हमारी पहली मुलाकात में ही मुझे चार बार चोदा और हम दोनों ने बहुत मज़े लेकर उस पूरी रात अपनी सुहागरात मनाई फिर जब हम सुबह स्टेशन पहुँचे तो अंकल ने पहले से ही फोन करके हमारे लिए एक बहुत अच्छा सा होटल बुक कर लिया था. हमारे स्टेशन पर पहुंचते ही हमें होटल से एक गाड़ी लेने आई थी और हम थोड़ी देर में उस होटल में पहुँच गये और अंकल ने हमारे लिए एक हनिमून स्वीट रूम बुक कराया था. फिर जैसे ही हम होटल के रूम में पहुँचे तो अंकल ने रूम को तुरंत अंदर से बंद कर लिया और अब वो मुझे पीछे से पकड़कर मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथों…
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सार्थक है और मेरी उम्र 21 साल है. मेरे पापा जिनका नाम गौरव है और उनकी उम्र 48 साल है और वो एक प्राइवेट कम्पनी में सेल्स मेनेजर है. मेरी माँ की उम्र 32 साल है और वो एक ग्रहणी है. दोस्तों में आज आप सभी चाहने वालो को मेरी माँ की एक बिल्कुल सच्ची चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ. वैसे में पिछले कुछ समय से इसकी सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ, लेकिन अपनी कहानी आज लिख रहा हूँ.
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रोहित है और में हरियाणा का रहने वाला हूँ, लेकिन अभी में इस समय चेन्नई में रहकर नौकरी कर रहा हूँ. दोस्तों यह मेरी आज की कहानी मेरी और मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त जानवी के बीच हुए सेक्स की एक सच्ची दास्तान है. दोस्तों जानवी दिखने में थोड़ी मोटी है, उसके फिगर का साईज 38-34-40 है और उसकी जांघे भी थोड़ी भारी है, वो दिखने में बिल्कुल गोरी है और में उसके सामने पतला लगता हूँ. दोस्तों अब में सीधा अपनी आज की कहानी पर आता हूँ.
हैल्लो दोस्तों, में इस साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ और मैंने इस साईट पर बहुत सारी स्टोरी पढ़ी है और मुठ भी मारी है और आज में आपको मेरी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ. मुझे जब अहमदाबाद से पूना काम के सिलसिले में जाना था तो मैंने एक ट्रेवेल्स में ए.सी. की स्लीपर बुक कर दी. शायद 14 घंटे का रास्ता था और ट्रेन में बुकिंग नहीं हो पाई थी, क्योंकि दीवाली का समय जो था. मुझे बस में टिकट बुक करनी पड़ी, वैसे बस तो बहुत ही बढ़िया थी और 2X1 थी, लेकिन मुझे जब सीट मिली तब सिर्फ़ एक ही 2 साईज़ का सोफा खाली था तो मुझसे 500 रुपये ज़्यादा लिए और बोला कि अगर कोई मिल गया तो…
हेलो दोस्तों मेरा नाम लकी है और मैं दिल्ली से हु. यह मेरी पहली कहानी है उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी.. मैं कानपूर से हु और दिल्ली में रहता हु. मेरी उम्र २३ साल है और मैं दुबली पतली कद काठी का हु पर मेरा लण्ड ६ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा है. तो जब मेरी दिल्ली में पहली जॉब लगी तो मैं जोइंग के दिन कानपूर से दिल्ली जा रहा था. मेरा रिजर्वेशन नहीं था सो मैंने पैसे बचाने के लिए जनरल बोगी का टिकट लिया पर जनरल में बहुत भीड़ थी तो मैंने टी टी को २०० रस देकर स्लीपर में घुस गया .
हैल्लो दोस्तों, हिन्दी में लिखने का अलग ही मज़ा है, बहनचोद सारी भड़ास निकल जाती है, जिधर भी देखती हूँ चारों तरफ भूखे ही नज़र आते है और रोटी से ज़्यादा उन्हें जिस्म की तलाश रहती है. पहले में भी अपने बूब्स को छुपाते-छुपाते परेशान हो जाती थी, लेकिन अब तो पल्लू हटाने में भी शर्म नहीं आती, शायद ये उम्र ही ऐसी है. एक सीधी साधी महिला को भी रांड बनने पर मजबूर कर देती है, मगर मेरा कोई दोष नहीं है, दोष इस जिस्म का है, दोष इस चूत की भूख का है जो आदमी को देखते ही मचलने लगती है. चाणक्य ने कहा था कि औरत में पुरुषो के मुक़ाबले 8 गुना ज़्यादा कामुकता होती है, लेकिन मुझे तो लगता है…
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम कबीर है और में इंदौर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 26 साल है और अभी हाल ही में मेरी शादी हुई है. अब शादी के बाद में और मेरी वाईफ हनिमून के लिए गोवा गये थे और वापस लौटे ही थे, मेरी छुट्टियाँ अभी बची हुई थी तो में अपने ससुराल में रुक गया. अगले दिन मेरी वाईफ ने बताया कि उनके एक दूर के रिश्तेदार की तबीयत ठीक नहीं है और उसे जाना होगा, साथ में मेरी सास ससुर भी निकल गये. अब हनिमून के तुरंत बाद बीवी से बिछड़ने का गम में आपको नहीं बता सकता हूँ.
नमस्कार चूत की रानियों और लौड़े के राजाओं, दिलवाला राहुल आपके सामने फिर एक बार नयी कहानी लेकर हाजिर है, मुझे आशा है आपको मेरी पुरानी कहानियां पसंद आई होंगी.
हैल्लो दोस्तों, ये बात उन दिनों की है जब उड़ीसा में खतरनाक तूफान आया था, जिस समय उड़ीसा की करीब आधी से ज़्यादा जगह बर्बाद हो गई थी, घर टूट गये थे, हर जगह पेड़ गिरे हुए थे, कम्यूनिकेशन पूरा ठप था, बिजली नहीं थी, लोग अंधेरे में गुजारा करते थे, खाने को या पीने को ठीक से नहीं मिलता था. उस समय दशहरे का माहौल चल रहा था, यहाँ पर दशहरा काफ़ी धूम धाम से मनाया जाता है इसलिए मेरी मौसी दशहरा घूमने के लिए हमारे यहाँ आई हुई थी. वो सबलपुर में रहती है और वो ट्रेन से आने वाली थी तो पापा उन्हें लेने स्टेशन गये थे. जब पापा उन्हें लेकर घर आए तो उन्हें देखकर तो में दंग ही रह…