बुआ की चुदासी चूत भतीजे के नाम (Bua Ki Chudasi Chut Bhatije Ke Naam)
हैलो, मैं अगोरी हूँ, ये मेरा बदला हुआ नाम है.. वास्तविक नाम कुछ और है। मैं वर्तमान में बीकानेर में रहता हूँ लेकिन मूल रूप से हिमाचल प्रदेश से करता हूँ। मेरी फैमिली में मेरी मॉम-डैड छोटा भाई.. एक छोटे चाचा और दादी हैं।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और 2014 से पहले लगता था इसमें प्रकाशित कहानियाँ सब यूँ ही बनावटी होती हैं लेकिन जब मेरे साथ उस साल हादसा हुआ.. तब पता चला कि ये सब वास्तविक रूप से होती ही हैं।
अब मैं अपने बारे में बता हूँ.. मेरी उम्र 20 साल है, कद 5 फुट 8 इंच.. रंग साफ है दिखने में आकर्षक हूँ, मैं बी.एससी. कर रहा हूँ। दिखने में मैं काफी स्टाइलिश और क्यूट हूँ..
मुझे जरा गदराई और भरी हुई शादी-शुदा महिलाएं पसन्द हैं.. क्योंकि जब वो चलती हैं.. तो उनके चूतड़ और मम्मे बहुत बाउन्स करते हैं। ना जाने क्यों मेरी फैमिली की सभी महिलायें मुझको बहुत प्यार करती है.. और मेरी बहुत केयर करती हैं।
जब एक सुबह अचानक मेरे दादा जी की मृत्यु हो गई.. उस वक्त वो हिमाचल प्रदेश में थे.. और दादी ने उस समय हमें कॉल किया.. तो हम सब जल्दी से अपनी पैकिंग करके हिमाचल के लिए निकल पड़े।
उस रात 12 बजे हम सब हिमाचल वाले घर पहुँचे। घर में सब लोग थे.. दादी.. बड़ी दादी छोटी दादी.. बुआ चाची.. चाचा फूफा जी मतलब सब लोग थे।
हम सब जाते ही वहाँ दादी के पास बैठ कर बहुत देर तक खूब रोए। फिर थोड़ी देर बाद जब माहौल कुछ शांत हुआ तो सबने तय किया कि कुछ देर आराम कर लेते हैं.. कल दाग देने जाना है।
तो जब शाम की तैयारी करने लगे। मेरी सभी बुआएं और चाचियाँ मुझसे बातें करने लगीं कि और कैसा है.. क्या चल रहा है.. पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है। लेकिन मेरी नैना बुआ (बदला हुआ नाम) मेरे कुछ ज्यादा नज़दीक थीं और होती भी क्यों नहीं.. मैं बचपन में उनकी गोदी में खेला भी था..
हम सब सोने लगे.. लेकिन लोग ज्यादा होने की वजह से बिस्तर कम पड़ने लगे थे.. तो दादी ने बोला- दो जने एक साथ में सो जाओ।
तो नैना बुआ और मैं साथ में सोए और बाकी सब भी 2-2 के ग्रुप में लेट गए, नाईट बल्ब रोशन कर दिया गया, सब सो गए.. ठंड थोड़ी ज्यादा थी.. तो मैं बुआ से चिपक गया।
बुआ ने मेरी तरफ पीठ की हुई थी। में उसी तरफ अपना मुँह करके लेट गया।
मेरा लण्ड उनके चूतड़ों से बिल्कुल चिपका हुआ था। मुझको थोड़ा सा अजीब सा लगा.. तो मैं थोड़ा सा पीछे को हो गया..
लेकिन मेरे दिमाग में थोड़ी देर बाद कुविचार आने लगे।
दोस्तो, ना जाने मुझमें क्या प्राब्लम है कि बस थोड़ा सा उल्टा-सीधा सोचने पर ही मेरा हथियार बुरी तरह से खड़ा हो जाता है और बहुत देर तक बैठता नहीं है। इसी वजह से मुझको बहुत बार मॉम डैड से डांट भी पड़ चुकी है।
ज्यादा सोचने से मेरा लौड़ा हार्ड हो गया था और मैंने लोवर पहना हुआ था.. तो वो तंबू बन गया और बुआ के दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में जाने लगा।
मैं और पीछे को हुआ.. तो बुआ और भी मेरे नज़दीक आ गईं। मेरा लण्ड उनकी मोटी गाण्ड के बीच में उनके कपड़ों के ऊपर से फंसता चला गया।
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अब मैं भी नहीं हिला.. फिर अपने आप मेरा हाथ उनके पेट पर चला गया और उन्होंने भी मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया जैसे एक पति पत्नी सोते समय रख लेते हैं वैसे ही हाथों की स्थिति हो गई।
हमारे इस खेल को शुरू हुए लगभग 15 मिनट हो गए थे। मेरा लण्ड बुरी तरह से सख्त हो चुका था.. तो मैंने अपना हाथ बुआ के पेट से हटा कर उनके चूतड़ों पर रख दिया था और धीरे-धीरे उनके चूतड़ों को दबाने लगा। साथ ही उनकी गर्दन में किस करने लगा।
कुछ पांचेक मिनट बुआ ने मेरा हाथ हटाया और मेरी तरफ मुँह किया और मेरे गाल पर एक किस किया और धीरे से बोला- अगोरी.. अभी नहीं प्यारे ये सही टाइम नहीं है.. टाइम आने दे.. फिर आराम से करेंगे ओके.
मैंने सोचा कि हाँ यार बुआ सही बोल रही हैं अभी सब हैं बाद में करेंगे और ये मौका भी गम का है..
अगले दिन सब उठ गए थे.. पर मैं लेट उठा.. क्योंकि सफ़र से थक गया था। बुआ ने उठाया और बोलीं- अगोरी.. उठ कब तक सोएगा.. अब उठ जा..
उन्होंने मेरे सर पर एक किस कर दिया मैंने आँख खोली.. तो देखा कि बुआ चाय लेकर खड़ी थीं।
मैंने चाय ली और बुआ मुस्कुरा कर चली गईं.. उनकी मुस्कुराहट थोड़ी सेक्सी थी, मैं समझ गया कि वो कातिल मुस्कान रात की हरकत की वजह से आई है।
फिर मैं उठ कर फ्रेश होने चला गया और आया तो बुआ बोलीं- अगोरी नहा ले.. पानी गर्म हो रखा है और कपड़े और अंडरगार्मेंट्स भी रख दिए हैं।
मैं बोला- बुआ मैं उतारे हुए कपड़े अन्दर ही रख दूँगा.. आप ले लेना।
वो बोलीं- ठीक है..
फिर मैं नहा कर निकला.. तो बुआ ने मुझे कपड़े दिए और नाश्ता भी दिया।
अब बुआ मेरे सारे काम करने लगीं.. जैसे मैं उनका पति होऊँ.. और वो मेरी बीवी हों।
फिर उस दिन दोपहर में मैं और बुआ बातें कर रहे थे तो बुआ ने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैं बोला- नहीं बुआ.. मैं इन चीजों से दूर रहता हूँ।
तो बुआ मुस्कुरा दीं और हम लोग इधर-उधर की बातें करने लगे।
इस बीच में मैं बुआ को गाण्ड और बोबों पर छूता जा रहा था। मेरे हर बार छूने पर बुआ मुस्कुरा देती थीं।
थोड़ी देर बाद बुआ अपने काम करने चली गईं।
रात को बुआ फिर मेरे साथ सोईं.. और आज घर में बस घर वाले लोग ही रह गए थे। मेरे और बुआ के आस-पास कोई नहीं था। आज फिर हम दोनों एक ही कंबल ओढ़ कर सोए थे और आज बुआ ने फिर मेरी ओर पीठ की हुई थी।
कुछ ही देर मैं मैं बुआ के मोटे चूतड़ दबाने लगा था, उनकी गाण्ड दबाने से बहुत मजा आ रहा था।
थोड़ी देर कूल्हे दबाने के बाद मैंने अपना हाथ उनके पेट पर रखा और उनका नरम और गर्म पेट पर हाथ घुमाते हुए उनकी चूचियों पर ले गया। उनका कुर्ता टाइट था.. तो मैंने किसी तरह जोर लगा कर उसे ऊपर किया और उनकी ब्रा के ऊपर से उनके मम्मे दबाने लगा।
हाय.. कितना मजा आ रहा था उनके मम्मे दबाने में.. मैं बता नहीं सकता आपको..
फिर मैंने उनकी ब्रा को ऊपर करके उनके ठोस मम्मों को दबाने लगा.. अय.. हय.. क्या मस्त मजा आ रहा था।
मैं अपना हाथ नीचे उनकी सलवार पर ले गया.. उनका नाड़ा खोलने लगा।
नाड़ा बहुत कसा बंधा हुआ था.. तो बुआ ने पेट को जरा अन्दर को लिया.. तो मैंने नाड़ा खोला और उनको सीधा कर दिया। फिर उनकी सलवार के अन्दर हाथ डाल कर पैंटी पर से उनकी चूत सहलाने लगा।
तभी बुआ ने मेरा सर पकड़ा और अपने मम्मों पर रख दिया। मैं उनके मम्मों को चूसने लगा। वो मेरे सर पर हाथ घुमाने लगीं.. थोड़ी देर बाद मैंने मेरे लण्ड पर कुछ महसूस किया.. हाथ लगाया तो देखा कि वो बुआ का हाथ था।
फिर बुआ मेरे लौड़े को आगे-पीछे करने लगीं।
आह्ह.. क्या नरम-नरम स्पर्श था..
फिर मैं मम्मों को छोड़ कर बुआ की चूत के पास आ गया, उनकी पैंटी तब तक पूरी गीली हो चुकी थी।
मैंने उनकी पैंटी और सलवार पूरी तरह से खींच कर उतार दी और उनकी टाँगों को फैला कर उनकी चूत को चाटने लगा था।
उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल उगे थे.. जैसे अभी कुछ दिन पहले ही दुकान साफ़ की हो।
फिर मैंने क़रीबन 15 मिनट तक उनकी चूत चाटी.. इस बीच वो पानी निकाल चुकी थीं। फिर उन्होंने मुझे ऊपर खींचा.. किस किया.. और लिटा दिया। मेरा लोवर और अंडरवियर निकाल कर मेरे लण्ड को पागलों के जैसे चूसने लगीं..
उनको देख कर लग रहा था कि जैसे बहुत दिनों से लण्ड की प्यासी हों। दस मिनट में मेरा पानी निकल गया और बुआ वो सारा पानी पी गईं।
उसके बाद मेरा लण्ड ढीला पड़ने लगा मगर बुआ ने मेरे लण्ड को चूसना नहीं छोड़ा और दो मिनट बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया।
अब बुआ मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर टिका कर एकदम से बैठ गईं.. जिससे मेरा पूरा लण्ड उनकी भट्टी जैसी गर्म चूत में घुसता चला गया।
दोनों के मुँह से एक मीठी सीत्कार निकली और बस मजे के दरिया में गोटा लग गया।
दो मिनट बाद बुआ ने लण्ड को अन्दर ही रखा.. जैसे लण्ड को अन्दर महसूस कर रही हों।
कुछ पलों बाद बुआ मेरे ऊपर कूदने लगीं.. काफ़ी देर तक ये धकापेल चली। कभी बुआ मेरे ऊपर.. कभी मैं उनके ऊपर.. बुआ बार बार अकड़ जाती थीं.. तो मैं ऊपर आ जाता था.. फिर मेरे कुछ ही धक्कों बाद.. वे मोर्चा संभालने ऊपर आ जाती थीं।
अंत में मैं ऊपर था तो जैसे ही मेरा निकलने को हुआ.. तो मैंने बुआ से बोला- बुआ.. आ रहा हूँ।
बुआ ने बोला- आ जा.. अन्दर ही छोड़ दे..
तो मैंने अपना सारा माल बुआ की चूत में ही छोड़ दिया।
बुआ भी झड़ चुकी थीं और वे निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गईं।
मैंने बुआ से पूछा- बुआ आपका टोटल कितनी बार निकला..
तो बुआ बोलीं- तूने मुझे मार ही दिया.. मैं तो पता नहीं कितनी बार झड़ी हूँ।
बुआ ने मुझे किस किया और बोलीं- अगोरी आई लव यू.. तेरे फूफा जी ने कभी मुझे इतना मजा नहीं दिया.. जितना तुमने आज मुझे दिया.. मैं आज से तुम्हारी.. जब भी तुम्हारा मन करे.. मेरे पास आ जाना.. मेरी चूत अब तुम्हारी हुई..
उसके बाद आज भी मुझे जब भी मौका मिलता है.. तो मैं बुआ को चोद देता हूँ।