चुड़ैल के साथ वो काली रात
हैल्लो दोस्तों, में अर्जुन आज आप सभी को अपने साथ घटी एक सच्ची घटना बताना चाहता हूँ, वैसे मेरे मन में बहुत दिनों से यह बात थी, लेकिन में ना जाने क्यों किसी को इसे नहीं बता सका और यह बात सिर्फ़ मुझे ही पता है या आज के बाद आपको पता होगी।
दोस्तों यह बात आज से दो साल पहले की है जब में राजस्थान में रहता था और में उस समय जयपुर के एक कॉलेज में पढ़ता था, मेरी उम्र उस समय 19 साल थी और उसी के पास में एक छोटा सा गाँव है, लेकिन में आप सभी को उस गाँव का नाम नहीं बता सकता। फिर मेरा एक बहुत अच्छे कॉलेज में एड्मिशन हो गया था और में उस समय अपनी पढ़ाई में थोड़ा सा होशियार भी था और अपने घर से हर दिन कॉलेज आने जाने में मुझे बहुत परेशानी होती थी, इसलिए पास के ही एक गाँव में हमारे कोई दूर के रिश्तेदार रहते थे। मैंने उनके यहाँ पर रहने का विचार बनाया और उनके यहाँ पर में पूरे तीन साल रहने वाला था और उस घर में 6 लोग रहते थे पति, पत्नी उनके तीन बच्चे और उनकी दादी।
दोस्तों में उस परिवार के साथ बहुत ही कम समय में बहुत अच्छी तरह से घुल मिल सा गया था तो उन्हें भी में बहुत अच्छा लगने लगा था, लेकिन परिवार के लोगों के बीच में रहकर मेरी पढ़ाई नहीं हो पाती थी तो में इसलिए उन्हीं के घर से कुछ दूरी पर उनकी एक जगह थी और वो गाँव के बिल्कुल बाहर सी लगती थी और में वहां पर बहुत अच्छी तरह से अपनी पढ़ाई कर सकता था और मुझे वहां पर खाने पीने की भी कोई समस्या नहीं होती थी।
फिर में इसलिए वहां पर बहुत अच्छे से रहने लगा, लेकिन मुझे हर कभी रात को कुछ आवाज़े सुनाई दिया करती थी जैसे कोई लड़की के रोने की आवाज, लेकिन में उन्हें जानबूझ कर भुला दिया करता था और कुछ दिनों तक मुझे लगातार ऐसे ही आवाज़े सुनाई दी। फिर मैंने वहां के आस पास के लोगों से पूछा तो लोगों ने मुझसे कहा कि ऐसा कुछ नहीं है और तुम उस पर ज्यादा ध्यान मत दो, लेकिन मेरे दिल में अब कहीं ना कहीं उस बेचारी के बारे में दुख सा हो जाता कि वो क्यों दुखी है? उस दिन के कुछ दिनों बाद मुझे एक रात को मेरे कमरे की खिड़की पर कुछ आहट सी सुनाई दी। फिर मैंने तुरंत दरवाज़ा खोलकर देखा तो वहां पर कोई नहीं था और में दोबारा दरवाजा बंद करके पढ़ने लगा तो वो गाँव तो था ही राजस्थान का तो आपको तो बहुत अच्छे से पता ही होगा कि गाँव में अक्सर लाईट नहीं रहती है तो उस रात भी लाईट नहीं थी और कुछ देर बाद मुझे फिर से वही आहट सुनाई दी और मैंने फिर से दरवाजा खोलकर देखा तो इस बार एक लड़की बाहर खड़ी हुई थी तो वो मुझसे बोली कि क्या थोड़ा पीने को पानी मिलेगा? फिर मैंने उसे पानी पिलाया और फिर मैंने उससे पूछा कि तुम कहाँ पर रहती हो?
तो उसने मुझसे कहा कि में यही पड़ोस में रहती हूँ और मेरे घर का पानी खत्म हो गया तो इसलिए में तुम्हारे यहाँ पर पीने आ गई और बातों ही बातों में उससे पूछ बैठा कि यहाँ पर अक्सर मुझे किसी लड़की की रोने की आवाज़ सुनाई देती है वो किसकी आवाज़ है और वो क्यों रोती चिल्लाती रहती है? फिर उसने मेरी बात को सुनकर बहुत दुखी होकर मुझे बताया कि वो आवाज़ उसी की थी और वो एक शादीशुदा थी और जिसके पति की कुछ समय पहले एक घटना से मौत हो गई है, लेकिन फिर भी उसने दूसरी शादी नहीं की थी। फिर मैंने उससे कहा कि ऐसे रोने से कुछ नहीं होता और तुम ज्यादा रोया ना करो तो वो और उदास हो गई, अब तक वो दरवाज़े पर ही खड़ी थी। फिर मैंने उसे अपने कमरे के अंदर बुलाया और उसे अपनी खटिया पर बैठाया और मैंने उसका मन हल्का करने की कोशिश की तो वो थोड़ी सी ठीक हो गई। फिर मैंने उसे अपना नाम अर्जुन बताया और उसने मुझे अपना नाम रूपा बताया तो वो सच में अपने नाम की ही तरह थी, में तो जैसे उस पर फिदा हो गया था और ऐसे ही बातों ही बातों में कब सुबह के 4 बज गये थे, हमें पता भी नहीं चला।
फिर वो मुझसे बोली कि अब मुझे जाना होगा तो मैंने उससे पूछा कि तुम अब दोबारा कब आओगी? फिर उसने कहा कि बहुत जल्द और इतना कहकर मेरी तरफ मुस्कुराकर वो चली। फिर दूसरी रात को में उसका बहुत बेसब्री से इंतजार करने लगा, लेकिन वो नहीं आई और अब में उस दिन थोड़ा उदास सा रहा। फिर उसके अगली रात को करीब एक बजे मेरे दरवाज़े पर दस्तक हुई तो में जैसे तैसे नींद से उठकर दरवाज़ा खोलकर देखता हूँ तो मैंने देखा कि मेरे सामने रूपा खड़ी हुई थी और मेरी तो उसे देखकर पूरी नींद ही उड़ गई थी, में बहुत खुश हुआ और मैंने उसे थोड़ा डांटा भी कि तुम कल क्यों नहीं आई? तो वो मुझसे बोली कि कल रात को मेरी आंख लग गई थी। फिर मैंने उससे कहा कि चल कोई बात नहीं और फिर वो अंदर आई। दोस्तों हम तो जैसे एक ही दिन में ऐसे घुल मिल गये थे कि जैसे हमे मिले हुए एक दिन नहीं बल्कि पूरा एक साल हो गया हो। फिर हमने ऐसे ही इधर उधर की बात की और बातों ही बातों में उसने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? फिर मैंने उससे कहा कि नहीं है और फिर मैंने उससे पूछा कि क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
तो उसने मेरी कमर पर एक हल्का सा चांटा लगाया और फिर बोली कि तुम शहरी लड़को का कोई भी भरोसा नहीं है तुम कभी भी चले जाओगे? फिर मैंने उससे वादा किया कि में तुम्हें कभी भी छोड़कर कहीं भी नहीं जाऊंगा और अगर में कहीं पर जाऊंगा तो तुम्हे अपने साथ जरुर लेकर जाऊंगा और मेरे थोड़ा बहुत कहने पर वो मान गई। फिर में थोड़ा सा गरम हो गया था और अब में उससे कुछ प्यार की बात करने लग गया, पहले तो वो थोड़ा सा शरमाई और फिर मेरी बात का जवाब देने लगी। उसने मुझसे पूछा कि क्या तुमने कभी किसी को किस किया है? तो तुरंत मैंने उसे किस कर दिया और बोला कि हाँ एक बार जरुर किया है। तब उसने मुझसे कहा कि पगले किस ऐसे नहीं करते और उसने मुझे पकड़ा और मेरे होंठो पर एक ज़बरदस्त किस जड़ दिया और में भी उसे किस करने लगा और करीब दस मिनट तक हमने लगातार स्मूच किया। फिर में अपने हाथ धीरे धीरे उसके बूब्स पर ले जाने लगा और दबाने लगा,
वो भी जैसे यह सब पहले से ही चाहती हो तो में अब बहुत ज़ोर ज़ोर से बूब्स को दबाने लगा और दबाते हुए में उसकी गाँव की लहंगा चोली, हाँ पता नहीं, लेकिन वो औरत उसमें बहुत अच्छी दिख रही थी। फिर मैंने उसका टॉप उतारा और अब बूब्स को ज्यादा ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा और चूसने लगा और पता नहीं इन्हीं कामों में कब चार बज गये तो वो अब मुझसे कहने लगी कि अब मुझे अपने घर पर जाना है। फिर मैंने उसे बहुत रोकने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं रुकी और फिर वो मुझसे अगली रात को आने का वादा करके चली गई और उस रात मुझे उसके चले जाने के बाद अपना लंड हिलाकर काम चलना पड़ा।