भाभी को उसके बेडरूम में चोदा
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम राहुल है और में गुजरात का रहने वाला हूँ, में एक बहुत बड़ी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूँ और में दिखने में एकदम ठीक हूँ. दोस्तों में आज आप सभी चाहने वालों को अपनी एक घटना बताने जा रहा हूँ. यह मेरी पहली कहानी है और वैसे मैंने इसकी बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी है, मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता है.
दोस्तों एक साल पहले में जिस शहर में रहता था वहां पर मेरे एक दोस्त की अभी कुछ समय पहले ही शादी हुई थी. उसकी पत्नी मतलब की मेरी हॉट सेक्सी भाभी का फिगर 32-30-34 था और वो दिखने में बहुत हॉट माल थी और उसका नाम सारिका था. में उनसे बहुत मज़ाक किया करता था और वो भी मेरी हर एक बात का हंस हंसकर जवाब दिया करती थी. मुझे उनसे बात करना उनके साथ अपना समय बिताना बहुत अच्छा लगता था. में उनकी तरफ धीरे धीरे, लेकिन कुछ ही समय में बहुत ज्यादा आकर्षित हो चुका था.
एक दिन भाभी बाथरूम से बाहर बैठकर अपने कपड़े धो रही थी और तभी में वहां से गुजर रहा था और मैंने देखा कि भाभी ने कुछ ज्यादा ही गहरे गले की मेक्सी पहन रखी थी. उसमे से उसके बूब्स के बीच की दरार मुझे साफ साफ दिख रही थी और कपड़े धोते समय हाथ को आगे पीछे करने की वजह से उनके गोरे गोरे बड़े आकार के बूब्स हर बार उछल उछलकर बाहर आने लगे थे और में अचानक से वहीं पर रुक गया और यह सब देखकर मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया और में कुछ देर घूरने के बाद वहां से चला गया, लेकिन अब में अपने कमरे में जाकर भाभी की कैसे चूत मारी जाए यह बात सोचने लगा.
दोस्तों भाभी दिखने में ऐसे थी कि कोई भी उन पर मर मिटे और उसका फिगर बहुत ही हॉट था और उसको देखते ही उसे चोदने का मन करता था और उसकी गांड तो इतनी सेक्सी थी कि किसी का भी लंड खड़ा कर दे. एक दिन भाभी को मार्केट जाना था तो उस समय मेरा भाई घर पर नहीं था इसलिए उन्होंने मुझे अपने घर पर बुला लिया और मुझसे उनके साथ मार्केट जाने के लिए कहा तो मैंने भी उनके साथ बाहर घूमने का बहुत अच्छा मौका देखकर उनसे तुरंत हाँ कर दिया और फिर हम लोग मेरी बाईक से मार्केट चले गये. अब में थोड़ी थोड़ी देर में जानबूझ कर अपनी बाईक को ब्रेक लगता रहा जिसकी वजह से भाभी के बूब्स मेरी कमर पर पीछे दबने लगे और मुझे उनको महसूस करके बहुत अच्छा लगने लगा था.
फिर हमने वहां पर जाकर सब्जी ली और वापस अपने घर पर आ गए, लेकिन उसी दौरान में भाभी को बाइक पर हर बार जानबूझ कर ब्रेक लगाकर मज़ा लेता रहा और मार्केट में मैंने उन्हें बहुत बार छूकर उनकी कोमलता को महसूस किया, लेकिन भाभी ने मुझसे कुछ नहीं कहा और वो सिर्फ स्माइल देती. दोस्तों मेरी भाभी की आखें कुछ ऐसी थी कि उनको देखते ही मुझे ऐसा लगता था कि वो सेक्स करने के लिए मुझे न्योता दे रही है. मुझे अब उनकी नशीली आखों में मेरे साथ चुदाई करने की वो प्यास साफ साफ नजर आने लगी थी.
फिर एक दिन मैंने अपने भाई को फोन किया तो भाभी ने फोन उठाया और फिर वो मुझसे बोली कि आज तुम्हारे भैया अपना फोन घर पर ही भूल गये है तुम मुझे भी बता सकते हो अगर तुम्हे कोई जरूरी काम हो तो में उन्हें शाम को बता दूंगी. तो मैंने बोला कि ठीक है ऐसी कोई बात नहीं है और मैंने उनसे यह बात कहकर तुरंत फोन रख दिया, लेकिन अब कुछ देर बाद मेरे मन में भाभी से बात करने का एक शरारती विचार आने लगा.
फिर मैंने कुछ देर बाद भैया के मोबाईल पर दोबारा फिर से कॉल किया तो इस बार भी भाभी ने मुझसे बात करनी शुरू कि और अब ऐसे ही इधर उधर की बातें करते करते मैंने थोड़ी हिम्मत करके भाभी से पूछ लिया कि भाभी क्या आपको में अच्छा लगता हूँ? तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर हंसने लगी, लेकिन उन्होंने मुझसे ऐसा कुछ नहीं कहा जिसको सुनकर में अपनी बात को और भी आगे बड़ा पाता, लेकिन फिर भी मैंने बहुत हिम्मत करते हुए फोन पर भाभी को साफ साफ कह दिया कि में आपको बहुत पसंद करता हूँ और आपसे बात करना मुझे बहुत अच्छा लगता है.
अब हमारी उस दिन के बाद बहुत अच्छी दोस्ती हो गई और फिर मैंने भाभी का मोबाईल नंबर भी उनसे ले लिया. उसके बाद अब हम हर दिन जब भी भैया अपनी नौकरी पर चले जाते थे तो फोन पर कई कई घंटे बातें करते थे और अब हम धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए सेक्स की बातें भी करने लगे थे और उसी दौरान एक दिन भाभी की बातों से मुझे पता चला कि भैया, भाभी को पूरा संतुष्ट नहीं कर रहे है और वो अपनी प्यासी तड़पती हुई चूत से बहुत परेशान है. फिर मैंने भाभी से एक बार फिर से फोन सेक्स किया तो भाभी को बहुत मज़ा आया और उसके बाद हम रोज फोन सेक्स करते रहे, हमे अब इसमे बहुत मज़ा भी आने लगा था.
दोस्तों एक दिन मेरी अच्छी किस्मत से भैया नाइट ड्यूटी पर गए हुए थे तो मैंने भाभी से बोला कि मुझे आपसे मिलना है तो भाभी पहले मुझसे थोड़ा नाटक करके मना कर रही थी, लेकिन फिर वो मेरे बहुत बार कहने पर मान गई और में फ्रेश होकर उनके कमरे में चला गया. भाभी ने उस समय गुलाबी कलर की मेक्सी पहन रखी थी, यारों वो क्या मस्त माल लग रही थी?
फिर में भाभी के पास गया और मैंने उन्हें हग किया और एक थोड़ी लंबी किस करने लगा और भाभी के बूब्स को मेक्सी के ऊपर से ही दबाने लगा, जिसकी वजह से भाभी आहह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ करने लगी और अब वो मुझसे एकदम ज़ोर से चिपक गई. फिर मैंने महसूस किया कि भाभी अब धीरे धीरे गरम हो रही थी और फिर हम बेड पर लेट गये और में भाभी पर टूट पड़ा. में कभी भाभी के गाल पर तो कभी उनके होंठो पर किस करता रहा और वो लगातार सिसकियाँ लेती रही.
फिर मैंने उनके जोश में आने का फायदा उठाकर भाभी की मेक्सी को तुरंत उतार दिया. अब भाभी मेरे सामने पेंटी और ब्रा में थी और में उनके गोरे गदराए बदन को देखकर अपने होश खो बैठा. मुझे अपने सामने उन्हें ब्रा, पेंटी में देखकर ऐसा लगने लगा जैसे कि में कोई सपना देख रहा हूँ और में लगातार उन्हें घूर घूरकर देखता रहा और उनकी सुन्दरता को अपनी आखों में केद करता रहा और फिर में थोड़ा होश में आकर भाभी के पूरे बदन को चाटने लगा और चूमने लगा.
भाभी जोश में आकर आआअहह उफफ्फ्फ्फ़ स्स्ईईई करने लगी. फिर मैंने सही मौका देखकर अब उनकी ब्रा को भी उतार दिया. दोस्तों ब्रा खोलते ही उनके बड़े आकार के बूब्स अब मेरे सामने लटकने लगे और मुझे अपनी तरफ आकर्षित करने लगे. अब में एकदम पागल होकर बूब्स को मसलने, दबाने लगा और उनकी भूरे रंग की निप्पल को चूसने धीरे धीरे काटने लगा.
अब तक भाभी बहुत ही गरम हो चुकी थी जिसकी वजह से भाभी की पेंटी भी गीली हो चुकी थी. फिर मैंने भाभी की पेंटी को भी उतार दिया और में भी उनके सामने पूरा नंगा हो गया में अब धीरे धीरे चूत को सहलाते हुए अब भाभी की चूत को चूमने और कुछ देर बाद चूसने भी लगा और भाभी सिसकियाँ लेने लगी आहहहह उफ्फ्फ्फ़ हाँ थोड़ा और अंदर तक करो ऊउईईईइ.
दोस्तों वाह क्या चूत थी उनकी, मुझे उसे चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था और वो लगातार मोन कर रही थी. अब वो अपनी चूत को अपने एक हाथ से फैला रही थी और दूसरे हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी. में उनके जोश को देखकर पागलों की तरह चूत को पूरा अंदर तक चाट और चूस रहा था और वो आहहहह अयायाहहहह ऊईईईइ हाँ प्लीज थोड़ा और अंदर तक घुसाकर चाटो और चाटो करने लगी थी और करीब 15 मिनट के बाद भाभी ने अपनी चूत का पानी मेरे मुहं पर छोड़ दिया और में वो पूरा पानी पी गया.
वो अब बिल्कुल निढाल होकर पड़ी हुई थी. फिर कुछ देर बाद मैंने अपना लंड भाभी की चूत के मुहं पर रख दिया और धीरे से धक्का लगाया, जिसकी वजह से मेरा थोड़ा लंड फिसलकर अंदर चला गया और भाभी के मुहं से अहहह्ह्ह्हह उफ्फ्फ्फ़ माँ मर गई निकला. दोस्तों तब मैंने महसूस किया कि उनकी चूत का छेद थोड़ा छोटा और मेरा लंड थोड़ा मोटा था.
फिर मैंने कुछ देर रुकने के बाद एक और धक्का लगा दिया और फिर उनकी एक जोरदार चीखने की आवाज के साथ मेरा पूरा लंड, चूत को चीरता फाड़ता हुआ अंदर चला गया और भाभी ने मुझे ज़ोर से कसकर पकड़ लिया. उनकी मजबूत पकड़ ने मेरे शरीर पर उनके नाख़ून के निशान बना दिए और मैंने देखा कि उनकी आखों से आंसू बाहर आने लगे थे और वो उस दर्द से छटपटा रही थी. फिर में कुछ देर रुक गया और जब वो शांत हुई तब मैंने उसी पोजीशन में भाभी को करीब 15 मिनट तक लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदता रहा. अब भाभी थोड़ा ज़ोर ज़ोर से मुझसे बोल रही थी हाँ और चोदो मुझे आअहह उफ्फ्फ्फ़ वाह मज़ा आ गया तुम बहुत अच्छी तरह से चोदते हो उईईईइ हाँ थोड़ा और अंदर करो.
फिर कुछ देर बाद भाभी को उल्टा लेटाकर में उनके पीछे से उनकी चूत में अपना लंड डालकर ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा और भाभी ज़ोर ज़ोर से आअहह स्स्ईईईइ कर रही थी.
अब करीब पांच दस मिनट बाद में झड़ने वाला था तो मैंने भाभी को पूछा कि में अपना वीर्य कहाँ डालूं? तो भाभी ने कहा कि तुम अपना पूरा माल मेरी चूत में ही डाल दो और मैंने भाभी को अब डॉगी स्टाइल में करके लंड को दोबारा अंदर डालकर ज़ोर ज़ोर चोदने लगा, तब मैंने महसूस किया कि भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया और भाभी पूरी तरह से संतुष्ट हो गई और फिर मैंने अपनी धक्को की स्पीड को बढ़ा दिया और करीब दस मिनट के बाद मैंने अपना भी पूरा वीर्य भाभी की चूत में ही निकाल दिया मैंने देखा कि भाभी अपनी इस चुदाई से बहुत खुश थी और उन्होंने मुझे किस किया और कहा कि जानू आज से तुम मुझे जब चाहो जैसे चोद सकते हो में आज से बस तुम्हारी हूँ और तुमने मुझे आज वो मज़े दिए जिसके लिए में बहुत समय से तरस रही थी, तुम बहुत अच्छे हो.
दोस्तों दूसरी बार जब उसका पति अपनी कम्पनी के काम से कहीं बाहर चला गया तो में उसी रात को उसके कमरे में चला गया और मैंने उसको पूरा नंगा करके उसकी गांड पर बहुत सारा तेल लगाया और फिर उसकी चिकनी गांड के ऊपर अपना लंड रख दिया और थोड़ा ज़ोर से एक धक्का दिया. लंड थोड़ा अंदर चला गया, लेकिन वो ज़ोर से चीख पड़ी और मुझे पीछे धकेलने लगी कुछ देर रुकने और उसके थोड़ा शांत होने के बाद मैंने उनकी कमर को कसकर पकड़कर फिर से एक और धक्का लगा दिया.
अब मेरा पूरा लंड तेल की चिकनाई की वजह से फिसलता हुआ गांड के अंदर चला गया और वो उस दर्द से तड़पने लगी. फिर मैंने कुछ देर रुककर उसकी गांड को ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा. मैंने करीब 15 मिनट के धक्कों के बाद मेरा सारा माल उसकी गांड में ही डाल दिया और फिर हम दोनों वैसे ही बहुत थककर ना जाने कब सो गए और अगले दिन सुबह एक दूसरे से अलग हुए.
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