माँ के कहने पर ही मैंने बहन को गर्भवती किया नहीं तो रोज कंडोम के बिना ही चोदता था

 
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दोस्तों आज मैं Kamukta अपने घर की कहानी लिख रहा हु, क्यों की ये बात ऐसी है की मैं किसी को कह नहीं नहीं सकता, मेरे दिल पर एक बोझ बना हुआ है, मैं चाहता हु, की आज अपने दिल की बोझ को कम करूँ, मैं नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम का डेली विजिटर हु, मैं यहाँ पर तरह तरह की हॉट और सेक्सी कहानियां पढता हु, मुझे बहुत अच्छा लगता है. मैं २१ साल का हु, और मेरी एक बहन है कुसुम जो की २६ साल की है. मेरे घर में मैं मेरी मम्मी और मेरे पापा तीनो रहते है. कुसुम दीदी की शादी हो चुकी है वो अपने ससुराल में रहती है. मैं दिल्ली में रहता हु. और कुसुम दीदी ग़ज़िआबाद में रहती है. दीदी के शादी हुए चार साल हो चुके है पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था पर आज मेरी माँ के कहने पर मैंने अपने दीदी को माँ बनने का ख्वाब पूरा किया है. आज मैं आपको यही कहानी बताऊंगा, आपको थोड़ा अटपटा तो लगेगा पर ये १०० प्रतिशत सच है.

मेरा नाम रविश है, मैं अभी पढाई कर रहा हु, घर में पापा मम्मी है दोनों जॉब में है. एक दिन की बात है. रात में कुसुम दीदी का फ़ोन आया माँ छत पर जाकर करीब एक घंटे बात की, फिर जब निचे आई तो रोने लगी. मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, वो पापा को कमरे में ले गई, और सारी बात बताई, मुझे उस समय तक कुछ भी नहीं पता था, बस बाहर आकर मुझे बस इतना बोली की कल तुम्हे कुसुम दीदी के घर जाना है उसको लेन के लिए. कुसुम दीदी दूसरे दिन शाम को आ गई.

कुसुम दीदी जब कुंवारी थी, और सच पूछिए की जब वो जवान हो रही थी तब मुझे उनके बूब्स को छूने का मन करता था, मैं कई बार उनके बूब को देखा जब वो कपडे चेंज कर रही होती थी तब मैं किसी ना किसी बहने कमरे में जरूर जाता जब कभी दरवाजा खुल होता था, क्यों की मेरी दीदी बहुत ही खूबसूरत है. इतनी अच्छी है और सेक्सी है की कोई भी आदमी देखेगा तो मेरी दीदी की याद में रात को मूठ जरूर मारेगा. मैं भी करीब तीन साल तक उनके बारे में सोच कर मैंने मूठ मारा था, मुझे उनके साथ सेक्स करने का मन करता था कई बार तो सोचा की बोल दू, पर मुझे बहुत डर लगता था, की कही वो माँ को बता दे तो क्या होगा, ये अरमान तो अरमान ही रह गए थे, रात को जब वो सो जाती थी तो कभी कभी उनके होठ को कभी बूब्स को छू लेता, तो कहने का मतलब है की मैं पहले से ही अपने बहन का आशिक़ था पर कुछ कर नहीं पाया था.

जब तीन चार दिन हो गया तो मैंने पूछा की माँ, दीदी को क्यों बुलाए हो? वो भी इतनी जल्दी बाजी में, तो माँ कहने लगी की उसका तुम्हारे जीजा के साथ लड़ाई हो रही थी आजकल इसलिए, मैंने सोचा की चलो उसका दिल बहल जायेगा, फिर कुछ दिन के बाद एक दिन माँ मुझे पार्क में ले गई, और बोली, देख बेटा पापा आज नहीं है, इसलिए तुमसे एक बात कह रही हु, ये घर की इज्जत है घर में ही रखना, इस काम में पापा को कुछ भी पता नहीं चलनी चाहिए, तो मैंने माँ से कहा की माँ कौन सी ऐसी बात है जो आप कह रहे है. आपके लिए तो मेरी जान हाजिर है, आप मुझे बताओ प्लीज. तो माँ कहने लगी., मुझे कुसुम ने बताया है की वो अपने पति से माँ नहीं बन सकती, दिक्कत उसके पति में है पर इस बात को उसके ससुराल बाले नहीं मान रहे है कहते है दिक्कत कुसुम में है. तू अगर चाहता है की तेरी माँ और तेरी बहन अगर खुश रहे तो तुम्हे एक काम करना पड़ेगा, मैंने कहा मैं? मैं क्या कर सकता हु? जब दिक्कत उसके पति में है तो उसका इलाज करवाना चाहिए, तो माँ बोली वो इलाज नहीं करवाना चाहता है. वो तेरी बहन की सौतन लाना चाहता है.

तो मैंने कहा माँ हो सकता है दिक्कत दीदी में हो सकती है. तो माँ बोली दीदी में कोई दिक्कत नहीं है. मैंने कहा आपको कैसे पता तो माँ बोली मुझे पता है, मैंने कहा कैसे? तो माँ बोली मैंने इसका एक बार एबॉर्शन करवा चुकी हु, मैंने कहा एबॉर्शन दीदी का? बोली हां जब वो कुंवारी थी तभी वो टूशन बाले सर से रिश्ता बना ली थी, और प्रेग्नेंट हो गई थी. मैं तो सन्न रह गया, मैंने सोचा बताओ, ज़िंदगी भर मैं मूठ मार कर काम चलाया और मादरचोद मेरी बहन को चोद चोद कर गर्भबती कर दिया. ओह्ह्ह माँ बोली क्या सोच रहे हो बेटा? मैंने कहा कुछ भी नहीं माँ, तो माँ बोली ज़िंदगी माँ बहुत सारे कुछ से इंसान को गुजरना पड़ता है, तो मैंने कहा तो इस बात से साफ़ जाहिर होता है की जीजा जी में ही दिक्कत है. माँ बोली हां. अगर तुम्हारी बहन एक साल के अंदर माँ नहीं बनी तो वो दूसरा शादी कर लेगा. मैंने कहा तो मैं क्या कर सकता हु, तो माँ बोली तुम्हे अपनी बहन के साथ सोना पड़ेगा, सोना पड़ेगा? मैंने कहा क्या कह रही हो माँ, माँ बोली हां बेटा घर का इजात बचने के लिए तुम्हे ये काम करना पड़ेगा, मैंने कहा ठीक है पर दीदी? वो क्या ये? तो माँ बोली तू चुप हो जा, मैंने बात किया था दीदी से, पहले तो नहीं मान रही थी, पर आज वो मान गई है. बोली कोई बात नहीं, भाई मेरा इज्जत लूट नहीं रहा है बल्कि इज्जत बचा रहा है. और वो तैयार हो गई.

तो दोस्तों अब मेरे घर में एक दुल्हन आती है और उसका सेज सजाने का काम होता है और दूल्हे दुल्हन के मन में लड्डू फुट रहे होते है. बस यही हाल मेरे घर में था, मैं भी सोच रहा था की रात को दीदी को चोदुंगा, माँ भी खुश थी. की अब तो कुसुम माँ बन जाएगी, और शायद कुसुम दीदी भी खुश होगी. मैं तो कुछ ज्यादा ही खुश था, बरसो की चाहत आज जो पूरी हो रही थी. जिसको जवान होते देख देख कर मूठ मारा था आज मैं उसको चोदने बाला था. जब से दीदी को ये बात पता चल गया की मैं मान गया हु, वो मेरे सामने नहीं आ रही थी. रात को मैंने खाना खाया, दीदी अपने कमरे में ही कहना खाई, और रात को करीब दस बज गए थे. माँ बोली जा बेटा जा, इज्जत रख ले, मैंने माँ को कहा आप चिंता नहीं करो. और माँ अपने कमरे में सोने चली गई.

मैं दीदी के कमरे के पास पंहुचा तो दरवाजा अंदर से सटाया हुआ था. मैंने दरवाजे को खोला अंदर गया, दीदी पलंग पर बैठी थी. वहा जाकर खड़ा हो गया, दीदी मुझे देखि और बोली, क्या कहु मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है. क्या ये सही है क्या गलत है मैं खुद सोच नहीं पा रही हु, पर इतना तो पता है की अगर तुमने हेल्प नहीं किया तो मेरी ज़िंदगी बर्वाद हो जाएगी. मैंने कहा दीदी आप चिंता नहीं करो आप खुश रहोगे, और मैं पलंग पर बैठ गया, और अपना हाथ दीदी के पीठ पर रखा, वो गजब की लग रही थी. वो नजर झुक ली, मैंने उनके फेस को ऊपर उठाया और होठ के एक किश कर दिया, वो शांत रही, और मैं भी शांत ही रहा कुछ भी जल्दवाजी नहीं करनी थी. पर किसी को जल्दीबाजी थी वो वो था मेरा लैंड, बहनचोद खड़ा हो गया था. फिर मैंने दीदी को अपने बाहों में भर लिया, और चूमने लगा और उनके बड़े बड़े बूब को प्रेस करने लगा, फिर दीदी बोली दरवाजा अंदर से बंद कर दो. मैं उठा और दरवाजा बंद किया और फिर अपना टी शर्ट उतार दिया, और फिर दीदी को लिटा दिया, मैंने सबसे पहले उनके सलवार का नाडा खोल दिया और फिर दोनों पैरो से निकलकर उनकी पेंटी उतार दी. दीदी आज ही क्लीन शेव की थी. ओह्ह्ह्ह मैंने दोनों पैरो को फैलाकर, मैं उनके चूत पर टूट पड़ा, चाटने लगा, जीभ फिराने लगा. और ऊँगली डालने लगा. करीब दस मिनट तक मैंने खूब चाटा, दीदी के चूत से बार बार नमकीन गर्म गर्म पानी निकल रहा था और मैं इसका स्वाद ले ले के पि रहा था और दीदी की सिसकारियाँ पुरे कमरे में गूँज रही थी, फिर वो बैठ गई और ऊपर का सार कपडा खुद निकाल दी और फिर मैंने भी अपना जांघिया उतार दिया.

हम दोनों नंगे हो गए थे. और मैं फिर उसके बूब को पिने लगा और वो भी मुझे मेरा बाल सहला सहला कर पिलाने लगी. फिर दीदी बोली अब देर मत कर, मुझे संतुष्ट कर दे, तेरा जीजा तो मुझे चोद भी नहीं सकता है. और मैंने दीदी के पैरों को फैला दिया और अपना मोटा लंड निकाल कर पहले उनके मुंह में दो तीन बार अंदर बाहर किया, फिर उनके चूत के पास ले जाकर, सही तरह से सेट किया, दीदी का चूत काफी गरम हो चूका था. उसके बाद मैंने उनके कमर पे एक तकिया लगाया और फिर लगा पेलने, ओह्ह्ह दोस्तों जोर जोर से धक्का दे रहा था . उनकी चूचियाँ फुटबॉल की तरह हिल रही थी, और जोर जोर से झटके देने लगा. मेरी दीदी आह आह उफ़ उफ़ उफ़ आ आ औु की आवाज निकाल रही थी, फिर वो झड़ गई. पर मैं पुरे जोर पे था, मैंने उनको उल्टा होने को कहा, और फिर थोड़ा गांड उठने को कहा और फिर पीछे से उनके चूत में सटा सट लंड को पेलने लगा वो भी पीछे जोर जोर से धक्के लगा रही थी. मैं उनके चूतड़ पर जोर जोर से थप्पड़ मार रहा था दोस्तों आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है. दीदी बोली और जोर से और जोर से और जोर से, मैं भी जोर जोर से चोदने लगा, मेरे मुंह से आह आह आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ की आवाज निकली और मैंने अपना पूरा माल उनके चूत में डाल दिया, दीदी बोली अभी मैं ऐसे ही रहूंगी ताकि वीर्य अंदर तक चला जाये. मैंने लेट गया, मैं हाफ रहा था, दीदी लेटी थी. फिर धीरे धीरे मैंने उनके बूब को सहलाने लगा और दोनों फिर से तैयार हो गए. वो पहली रात को तीन बार दीदी के चूत में अपना वीर्य छोड़ा था.

सुबह जब हुई, माँ मुझे मिली पूछी कैसा रहा, तभी कुसुम दीदी भी आ गई थी. मैंने कहा मुझसे क्या पूछती हो आप इन्ही से पूछ लो. दीदी बोली बहुत अच्छा रहा, आज तक ऐसा नसीब नहीं हुआ था. माँ बोली बस मेरा अरमान पूरा हो जाये और तेरा घर बस जाये, मेरी तो यही तमन्ना है. फिर क्या था दोस्तों दीदी यहाँ दस दिन तक रही, और जितना हो सका मैंने उनके साथ सेक्स किया, फिर जीजा जी आ गए दीदी को वापस ले जाने के लिए और दीदी चली गई. दीदी का फ़ोन आया करीब २ महीने बाद, माँ पूछी क्या हाल है. तो दीदी बोली खुशखबरी है. आप नानी बनने बाले हो. और दीदी मुझे थैंक यू कहा. फिर दीदी ने नवंबर से एक बच्चे को जन्म दिया, आज दीदी माँ बन चुकी है और उसके ससुराल बाले खुश है. और मेरे घर बाले भी खुश है.



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