साले की पत्नी की चूत की प्यास बुझाई (Saale Ki Patni Ki Chut Ki Pyas Bujhai)
मेरा नाम विवेक है, उम्र 30 साल, शादी 2010 में हुई थी, मेरी पत्नी ममता के दो भाई हैं, दोनों बड़े हैं।
यह कहानी सबसे बड़े भाई अजय की पत्नी स्नेहलता की है, उसकी उम्र 33 साल है, रंग एकदम गोरा है और चेहरे की मासूमियत आलिया भट्ट जैसी है जिससे उसकी उम्र 25-26 ही लगती है। ऐसी प्यारी सूरत है कि किसी का भी मन डोल जाये!
अजय बीकानेर में सरकारी नौकरी में है।
सोनू (स्नेहलता का घर का नाम) गृहणी है, उसकी आँखें बड़ी बड़ी हैं, उसके चूचे भी बड़े और कूल्हे बाहर को निकले हुए हैं, कद 5’3″ का होगा, उसे बन संवर कर रहना अच्छा लगता है।
मेरी उस पर नज़र पहले दिन से ही थी, वो भी मुझे जब भी मिलती तो मजाक करती हुई एक आँख दबा देती थी।
‘उम्म्माआ…’ क्या मस्त लगती थी उस समय वो! पूछो मत… मुझे अंदर तक जला देती थी।
वो अक्सर, जब भी हम अकेले होते, तो सेक्स को लेकर मजाक कर लेती थी!
मैं उसे भाभीजी कह कर ही बुलाता था।
एक बार मैं किसी काम से बीकानेर गया हुआ था तो मैंने उसके लिए काफी सुपारी ले ली थी, हमारे सोनी समाज में सुपारी ज़रूरी होती है!
जब मैं पहुँचा तो सुबह के 10 बज रहे थे, मेरे साले साहब अपनी नौकरी पर जा चुके थे, उनका 7 साल का लड़का स्कूल जा चुका था और भाभीजी जी घर पर अकेली थी!
जैसे ही मैं पहुँचा, उन्होंने अभिवादन किया और मेरी उम्मीद से बढ़ कर उन्होंने हाथ भी मिलाया जो पहले कभी नहीं हुआ था।
वो अभी भी नाइट सूट में थी, क्या गजब का माल लग रही थी!
उसके बाद हम अंदर आये उन्होंने चाय बनाई और जैसे ही मेरे सोफे के सामने झुकी, उनके नाईटी का गला बड़ा होने के कारण उनके दूधिया, सफेद सिल्की उरोजों के दर्शन हो गए… आआह्ह्ह्ह मज़ा आ गया!
ब्रा भी नहीं पहनी थी…
उनके बांयें स्तन पर काला तिल बहुत जँच रहा था।
मेरे लिंग ने तम्बू बनाना शुरू कर दिया था!
‘वाह्ह्ह… क्या बात है!’ अचानक मेरे मुँह से निकल गया और सोनू ने भी नोटिस कर लिया था, वो झट से सीधी हो गई, उसके चेहरे पर गुस्से और शर्म की लाली दिख रही थी।
यह देख कर मैं सकपका गया और लिंग का तम्बू ऐसे हो गया जैसे किसी ने गुब्बारे की हवा निकाल दी हो !!
फ़िर मैं हिम्मत करके बोला- भाभी जी, आपकी चाय की महक पहले ही नशा कर देती है।
मेरा तीर निशाने पर लगा और वो मुस्कुरा उठी।वैसे भी तारीफ किसी भी महिला को खुश करने का अचूक हथियार है।
वो खुश होकर बोली- तो लाईये मेरी सुपारी…
मैंने चाय पीते हुए कहा- ढूँढ लो खुद ही!
और दोनों मुस्कुरा दिये !
चाय पीने के बाद मैं बोला- भाभी जी, मेरा नहाने का इंतजाम कर दीजिए!
तो वो बोली- अभी रहने दो जीज्जु जी (वो मुझे हमेशा इसी नाम से बुलाती है) पहले मैं नहा लूँ, नहीं तो पता नहीं क्या गड़बड़ हो जाये!और मुस्कुराती हुई बाथरूम में चली गई!
मैं समझ गया था कि उसने ऐसा क्यों बोला पर यह नहीं समझ पाया कि वो क्या चाहती है!
जब वो नहा रही थी तो मैं भी पहुँच गया बाथरूम के पास, पर कोई छेद नज़र नहीं आया देखने के लिए, मैं निराश मन से वापिस लौट रहा था कि दरवाजा खुला और वो बाहर निकली, साथ ही मेरा भी मुँह खुल रह गया !
वो सिर्फ ब्लाउज पेटिकोट में थी, खुले गीले बाल थे, गरदन से थोड़ा सा ही नीचे तक स्टेप कटिंग रखती है वो !
गहरा गला उसकी काली ब्रा को छुपा नहीं पा रहा था, सफेद रंग पर कली ब्रा और रॉयल ब्ल्यू ब्लाउज कहर ढा रहा था।
पेटिकोट मैरून रंग का था जो नाभि से काफी नीचे बँधा हुआ था।
‘उम्म्म्माआ…’ उसका दूधिया पेट, चिकनी, भरी हुई कमर थी ! पेट थोड़ा सा बढ़ा हुआ था पर ज्यादा नहीं था!
बहुत ही गदराया सा बदन था उसका, बहुत ही आकर्षित लग रहा था!
उसके बालों से पानी टपक कर उसके बदन को भिगो रहा था… साथ ही मैं अंदर तक भीगा महसूस कर रहा था, मेरी तो सारी थकान उतर गई!
सलहज भाभी एकदम बोली- क्या देख रहे हो जीज्जु?
मैं चौंक कर बोला- कुछ नहीं!
और वो पास से अपने बदन की खुशबू बिखेरती निकल गई।
अब मैंने उसका पिछवाड़ा देखा, यह मेरे लिए झटके जैसा था क्योंकि आज तक मैंने उसे इस तरह सपनो में ही देखा था, बाहर को निकले गोल मटोल चूतड़, ऊपर से वो चलते हुए ऐसे मटका रही थी कि बस इसे देखते ही जिंदगी गुजर जाये!
कमर एकदम मखमल सी चमक रही थी जैसे अभी दूध में नहा कर निकली हो। कमर के दोनों तरफ़ माँस बढ़ चुका था पर इतना नहीं कि लटकने लगे!
मेरी नज़र फिसलती हुई नीचे आई, वो थोड़ा सा पेटीकोट को उठा कर चल रही थी तो उसके सुंदर गोरे पैर नज़र आये जैसे किसी मॉडल के हों।
वो पतली ही है पर उसके पैर थोड़े से मोटे और मांसल है जो बहुत सुंदर लग रहे थे।
वो पूरी ममता कुलकर्णी जैसी कामसुंदरी लग रही थी!
उसके पैरों में बिछ जाने को दिल किया!
अब मेरा दिमाग खराब होने लगा था, शैतान जागने लगा था, नीचे वाले भाई साब ने फ़िर तम्बू बनाना शुरू कर दिया था!
वो पीछे मुड़ी और बोली- जीज्जु जी नहाने नहीं जाना है क्या?
मैं थोड़ा झेंप गया और नहाने चला गया!
बाथरूम में जाते ही देखा कि मेरी स्वप्न देवी की नाईटी पड़ी थी, मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और सोनू जान की नाईटी को अपने शरीर से रगड़ने लगा उसकी खुशबू को महसूस करने लगा, मन में ऐसे सोच रहा था जैसे मैं उसके गदराये बदन से खेल रहा हूँ।
फ़िर ‘अपना हाथ जगन्नाथ…’
मैं नहा कर निकला, तब तक उसने साड़ी पहन ली थी, मैरून रंग की साड़ी पर रॉयल ब्लू बॉर्डर गजब लुक दे रहा था!
मैं देखता ही रह गया था!
मैं तौलिया लपेटे बाथरूम के बाहर खड़ा था और वो तैयार होकर निकली थी!
मैं देखते ही बोला- आज किसका कत्ल होने वाला है?
‘आपका…’ एक आँख दबा कर बोली!
मै तो सुनते ही पागल सा हो गया और तौलिया खुल गया, मैं उसके सामने सिर्फ बनियान और अंडरवीयर में था!
फ़िर मेरा खड़ा लन्ड देखते ही उसने थोड़ा गुस्सा दिखा कर मुँह घुमा लिया, मैंने अपना तौलिया लपेटा और कमरे में जाकर कपड़े पहनने लगा!
फ़िर मैं जैसे ही बाहर निकलने लगा तो देखा कि वो बाथरूम की तरफ़ जा रही है।
मैं भी दबे पाँव पीछे-पीछे चला गया!
मैंने देखा कि वो अपनी नाईटी को देख रही थी।
फ़िर वो मुड़ी और मुझसे बोली- आपने मेरे कपड़ों के साथ छेड़ छाड़ क्यों की जीज्जु?
मैं थोड़ा झेंपते बोला- नहीं, जब मैं मेरे कपड़े टाँगने लगा तो भाभी, आपके कपड़े नीचे गिर गये थे और कुछ नहीं!
तो उसने अपनी बड़ी बड़ी आँखों को नशीली बनाते हुए कहा- कोई बात नहीं जी, मैं समझती हूँ!
मैं मन में बुदबुदाया- साली, तू तो समझती है पर मैं तुझे नहीं समझ पा रहा हूँ, तू सिर्फ मजाक में ऐसा करती है या सच में मेरे लिए चुदासी है!
खैर उसने मेज पर खाना लगाया और मेरे ठीक सामने बैठी!
अब मेरे पैर उसके पैरों से टकरा गये, क्योंकि मैं नंगे पैर था तो उसके नाजुक पैरों को महसूस कर रहा था!
उसके कँटीले शरीर बारे में सोचने से ही मेरे मन में गुदगुदी हुई!
उसने भी अपने पैर हटाये नहीं, बल्कि थोड़ा सा हिला देती बार बार… मैं फ़िर उत्तेजित होने लगा!
वो एक मदहोश कर देने वाली मुस्कान बिखेर रही थी!
हमने खाना खाया, तब तक 11:30 हो गये थे, फ़िर वो बोली- जीज्जु, मुझे बच्चों का खाना देने स्कूल जाना है, आप चलोगे?
मैं तो यही मौका चहता था, मैंने झट से हाँ कर दिया और हम उसकी अक्टिवा लेकर चल पड़े!
मैं पीछे बैठा था, उसके बालों की खुशबू मुझे नशा दे रही थी, उसके रेशमी बाल मेरे मुँह पर आ रहे थे!
अचानक उसने ब्रेक लगाया तो मैं फिसल कर उससे चिपक गया पर वापिस पीछे खिसक गया।
थोड़ा चलते ही सोनू भाभी ने स्कूटी थोड़ी तेज कर के फ़िर ब्रेक लगा दी, मैं फ़िर चिपक गया पर समझ गया कि वो जानबूझ कर ऐसा कर रही है!
इस बार मैं वहीं चिपका रहा, अब मेरा मुँह उसकी गर्दन के पास था और मेरा पप्पू उसकी गांड के थोड़ा ऊपर दबाव बना रहा था।
फ़िर उसने बिना कारण एक बार और ब्रेक लगाया तो मैं और ज़्यादा चिपक गया, अब मैंने दोनों हाथ उसकी मस्त मोटी जांघों पर रखे, वो कुछ नहीं बोली।
इतने में स्कूल आ गया!
मेरी प्यारी सहलज सोनू अंदर चली गई और थोड़ी ही देर में वापिस भी आ गई, स्कूल से निकलते समय उसने एक मस्त स्माइल दी!
अब उसने स्कूटी मोड़ कर चला दी, मैं तो पहले ही चिपक कर बैठ गया और दोनों हाथ उसकी जांघों पर रख कर बैठ गया। वो बार बार ब्रेक लगती जिससे मेरा लिंग उसकी कमर से थोड़ा नीचे टकराता।
मैं समझ गया कि लोहा गर्म है, हथोड़ा मार दूँ, मैंने एक हाथ से उसके खुले बालों को एक तरफ़ किया और इस बार ब्रेक लगते ही मेरा मुँह उसकी नाजुक रेशमी गर्दन पर लगा दिया और हटा लिया !
फ़िर मैंने मेरे दायें हाथ की कोहनी उसके दायें कंधे पर टीका दी, और उसकी रेशमी जुल्फों को एक तरफ़ पकड़ कर बैठ गया, बायाँ हाथ उसकी कमर की तरफ़ से पेट पर रखा, वो कुछ ना बोली और फ़िर से ब्रेक मारी।
इस बार मैंने अपना पूरा मुँह खोल कर उसके कंधे पर बिल्कुल गर्दन के पास टीका दिया और चूमने लगा।
इधर मेरा दूसरा हाथ पेट पर दबाव बढ़ा रहा था, उसकी साड़ी मेरे और उसके पेट के बीच में थी।
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अब उसने ब्रेक नहीं लगाया और ऊपर होकर मेरे लन्ड पर बैठ गईं अब उसने मेरे लन्ड को अपने मस्त नितम्बों के नीचे दबा रखा था! अब पीछे उसकी गरदन के दोनों तरफ़ अपने होंठों को फिराने लगा, वो और पीछे होने लगी।
ऐसे करते हुए घर आ गया था।
हम सीधे अंदर बेडरूम में चले गये!
हम दोनों ही कुछ नहीं बोल रहे थे, उसने जाते ही अपन पल्लू हटाया और बेड पर लेट गई!
मैं उसके बगल में लेट गया और उसके नर्म नाजुक हाथ पर अपना सिर टिका दिया और उसके पेट पर हाथ घुमाने लगा।
उम्म्म आह्हह क्या नरम पेट था !
दोस्तो, एकदम सफेद और मुलायम, समझ लो मक्खन में हाथ घुमा दिया!
उसकी आँखें बँद हो गईं, होंठ थोड़े खुल गये सिइई करके, उसके नीचे का होंठ हिलने लग गया!
अब मैं थोड़ा सा खड़ा होकर उस पर झुक गया!
उसने मुझे अपनी बाँहों में ऐसे जकड़ लिया जैसे वर्षों की सूखी धरती में बारिश की बूँद समा जाती है!
मेरे होंठों ने उसके होंठों को अपना बना लिया और हमने एक लम्बा स्मूच किया!
वाआह्ह्ह्ह… क्या रसीली होंठ थे, ना ज्यादा बड़े ना पतले और रस ऐसा की बीकानेरी स्पोन्जी रसोगूल्ला चूसा हो!
अब उसके गोरे मांसल पैर एक दूसरे को रगड़ रहे थे, वो नागिन सी मचल रही थी।
अब मैं उठा और कमरे को कुंडी लगाकर अपने कपड़े उतारे!
वो वेसे ही पड़ी रही आँखों को बँद किये मचलती रही!
अब भी कमरे में भरपूर रोशनी थी, जिसमें वो चमक रही थी एकदम सफेद !
उसकी साड़ी घुटनों से थोड़ी नीचे तक उठ चुकी थी, फ़िर पेट और फ़िर वक्ष की घाटी से गर्दन तक दिख रही थी।
स्लीवलेस ब्लाउज में हाथ ऊपर करने से अंडरआर्म और बाजू चमक रहे थे सफेद!
उसके गोरे चेहरे पर बिखरी काली रेशमी जुल्फें किसी अप्सरा का आभास दे रही थी… वो कामयौवना मुझे पागल कर रही थी!
अब मैंने धीरे धीरे उसके पेटिकोट को ऊपर उठाना शुरू किया, उसकी टाँगें एकदम चिकनी, वैक्सिंग करवाये हुए थी, गोल गोल थी उसकी टांगें और जांघें तो हीरे सी चमक रही थी, मोटी मांसल जांघें जिस पर कोई बाल या दाग नहीं बिल्कुल सोनाक्षी सिन्हा जैसी थी!
उस पर स्लेटी पेंटी, मैंने उसकी टाँगों को खूब सहलाया, फ़िर उसे हाथ पकड़ कर खड़ी किया और उसकी साड़ी उतारी।
वो बिल्कुल मूर्त सी खड़ी थी!
फ़िर मैंने उसके ब्लॉउज और पेटिकोट खोल दिए! अब वो ब्रा पेंटी में खड़ी थी।
‘ऊऊऊ ऊऊम्म्म म्म्म्म्माआह्ह…’ सफेद मूर्त थी, जिसका गदराया बदन इतना कामुक था कि मुरदे का भी खड़ा कर दे।
अब मैंने उसके पीछे अपना लन्ड उसकी गांड पर टीका दिया, उसके हाथों में अपने हाथ फँसा दिया और अपने मुँह से उसकी ब्रा की स्टेप उसके कंधे से नीचे खिसका दी!
आआह्ह्ह… क्याआ आह्ह्ह्ह्ह कर रहे ईईईईऐ होओ जान!’ वो फ़ुसफ़ुसाई और सिसकारियाँ भरने लगी- आअह्हह ह्हह ऊम्म्म आआऊच्च्च ऊओह्ह!
थोड़ा झुक कर मेरे लिंग पर अपनी गांड का दबाव बढ़ा दिया! मेरे हाथ उसके हाथों में फँसे थे, उनको वो अपने पेट पर ले गई और फ़िर अपने बूब्स के बिल्कुल नीचे ले जाकर दबाव दिया और छोड़ दिया।
अब मैंने उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से हल्के से सहलाना और दबाना शुरू किया।
उसने स्पोंज वाली ब्रा पहनी थी।
मेरा मुँह अब उसकी पीठ पर और गरदन पर बालों के नीचे तक चल रहे थे, हाथ बूब्स को सहला रहे थे।
मैंने महसूस किया कि 34 साइज़ के होंगे बूब्स!
अब मैं उसके कान के निचले हिस्से को काट रहा था और कान की नीचे भी चूस रहा था, वो ‘आअह्ह ह्हह्हह जान्नन आआह्ह आअह्ह हह्हह…’ कर रही थी, पीछे की तरफ़ पूरा दबाव बना रही थी!
फ़िर मैंने उसकी ब्रा पेंटी भी उतार दी, अब उसे सीधा लेटा कर उसके दोनों बूब्स पर पहले थोड़ा मसाज़ किया, फ़िर उसे चूसा जोर से, बीच बीच में हल्का सा गुलाबी निप्पल को काट रहा था!
उसकी निप्पल का रंग हल्का था और चूसने से और भी गुलाबीपन आ गया था।
वो बुरी तरह से मचल गई थी!
फ़िर मैं उसके रसीले होंठ मुँह में डाल कर चूसने लगा!
अब मेरे हाथ उसके पेट और चुचूक को सहला रहे थे, वो भी सिसकारियाँ भर रही थी और मेरा साथ भी दे रही थी, ‘उउउम्म्म आआह्ह्ह’ कर रही थी!
अब उसने अपनी रसीली जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा!अब मैंने थोड़ा नीचे होकर फ़िर से बूब्स चूसने लगा, एक हाथ उसकी चूत पर घुमाया तो वो पानी छोड़ रही थी।
अब मुझसे रहा नहीं गया, मैं उसके पेट और कमर को चूमते हुए उसकी चूत तक पहुँच गया!
क्या मस्त चूत थी, हल्की काली जिस पर कोई बाल नहीं, गोरे रंग की मांसल मुलायम जांघों के बीच में हल्की कली सी मस्त चूत!
अब मेने उसे बेड के किनारे पर बैठाया और उसकी चूत चाटने लगा, उसकी चूत की ऊपरी हिस्से पर जो दाना था, उसे चाटा, सहलाया और हल्का काटने लगा तो वो बहुत ज्यादा सिसकारियाँ भरने लगी ‘आआह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह आआह्ह ऊम्म्मह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह ऊऊइई इइइस्स्स स्स्साआआह्ह्ह आह्ह!’
उसका हाथ मेरे सिर को अपने अंदर दबा रहा था!
फ़िर उसने खड़ी होकर मुझे लिटा दिया और मेरा लन्ड चूसने लगी।
‘आअह ह्हह…’ अब मैं ‘आअह्हह्ह ह्हह आअह्ह ह्हह्हह…’ कर रहा था!
2-3 मिनट बाद वो बोली- जीज्जु जान, और ना तड़फ़ाओ… डाल दो अब!
मैं तो पहले ही तैयार था, मैंने उसे गोद में उठा कर दीवार के सहारे उसकी पीठ लगा कर, उसकी गर्म टपकती चूत में लन्ड डाल दिया ! लंड उस गरम भट्टी की दीवारें चीरता अंदर तक चला गया।
‘आह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह जीज्जु… उउम्म्म म्म्म…’ उसने अपने होंठ काटे तो मैं भी उसके रसीले होंठ चूसने लगा, उसके हाथ मेरे कंधों को नोचने लगे!
फ़िर सोनू एक हाथ मेरी गर्नन के पीछे से ले जा कर बालों को सहलाने लगी। अब वो अपने पैरों को, जिनको मैंने अपने हाथों से उठा रखा था, जोर लगाने लगी और खुद उछलने लगी।
वो बहुत जोर से ‘आआह्ह्ह आह्ह्ह्ह आअह्ह ह्हह्हह ऊम्म्म्माआह्ह्ह…’ करने लगी।
अब कुछ देर ऐसा करने में वो झड़ गई।
अब मैं उसे वापिस बेड पर लाया और लिटा कर उसके मस्त चूचों को फ़िर चूसने लगा!
फ़िर मैंने उसे बेड के किनारे डॉगी स्टाइल चोदा और झड़ गया।
मैं हांफ़ते हुए उसे सीधा लेटा कर उसके नंगे शरीर पर लेट गया !
थोड़ी देर ऐसे चुपचाप लेटे रहने के बाद वो बोली- जीज्जु, दीदी तो बड़ी किस्मत वाली है, आपने आज खूब आनन्द दिया… थेंक्स!
मैंने उसके होंटों को एक बार फ़िर चूम लिया!
अगले दिन मैं वापिस आ गया और हमें आज तक दोबारा मौका नहीं मिला!